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Patrika National Book Fair : अब हम अपनी देसी थाली से शर्माने लगे हैं…, पाक कला विशेषज्ञ ने कही बड़ी बात

Patrika National Book Fair : जयपुर के जवाहर कला केंद्र में पत्रिका नेशनल बुक फेयर के सातवें दिन भूले-बिसरे स्वाद विषय पर चर्चा हुई। जिसमें पाक कला विशेषज्ञ दीपाली खंडेलवाल ने भारतीय खाने की परंपरा और पोषण पर चर्चा की।

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Patrika National Book Fair Culinary expert Deepali Khandelwal has a big say on Indian food and desi thali
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जयपुर के जवाहर कला केंद्र में पत्रिका नेशनल बुक फेयर के सातवें दिन पाक कला विशेषज्ञ दीपाली खंडेलवाल। फोटो पत्रिका

Patrika National Book Fair : जयपुर के जवाहर कला केंद्र में पत्रिका नेशनल बुक फेयर के सातवें दिन शुक्रवार को भूले-बिसरे स्वाद विषय पर चर्चा हुई। जिसमें पाक कला विशेषज्ञ दीपाली खंडेलवाल ने भारतीय खाने की परंपरा और पोषण पर चर्चा की और इसको लेकर सुझाव भी बताए। सत्र के दौरान उन्होंने भारतीय खाने की विविधता, परंपरा और पोषण के महत्व पर खुलकर कहा कि भारतीय भोजन केवल स्वाद का नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, पर्यावरण और समाज से जुड़ा हुआ एक जीवंत हिस्सा है।

हमारी परंपराओं में छिपे पोषण के गुण और स्वाद को पहचानना जरूरी है। हमारी धरोहर बहुत रिच है, लेकिन हम अक्सर इसे नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसे में बच्चों को इस सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ना बेहद जरूरी है।

विविधता हमारी बड़ी ताकत, लेकिन हम इसे खो रहे हैं

दीपाली खंडेलवाल के मुताबिक, गांव में जो खाना बनता है, वह पोषण से भरपूर होता है। हर व्यंजन के पीछे मौसम, भूगोल और स्वास्थ्य का तर्क होता है। लेकिन शहरों में हम अपनी ही देसी थाली से शर्माने लगे हैं। राजस्थान में कुछ किलोमीटर चलते ही स्वाद, सामग्री और पकाने की विधि बदल जाती है। एक ही राज्य में सैकड़ों माइक्रो-क्यूज़ीन मौजूद हैं। यह विविधता हमारी सबसे बड़ी ताकत है, लेकिन हम इसे खो रहे हैं।

पारंपरिक बर्तन और विधियों से बना खाना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी

दीपाली खंडेलवाल ने पारंपरिक कुकिंग तकनीकों और उपकरणों के महत्व पर भी अपनी बात रखी। आजकल के आधुनिक किचन उपकरणों की बजाय, पारंपरिक बर्तन और विधियों से बना खाना स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभकारी होता है। इस सत्र का मॉडरेशन राजस्थान पत्रिका की पत्रकार राखी हजेला ने किया।