
सऊदी अरब में बसे लक्ष्मण सिंह परमार (फोटो-पत्रिका)
जयपुर। प्रवासी राजस्थानी अपनी मिट्टी से जुड़कर उद्योग, व्यापार, शिक्षा और कौशल विकास से जुड़े कई सेक्टर में काम कर रहे हैं। अब इन गतिविधियों का दायरा भी बढ़ने लगा है। रियाद में बसे और राजस्थान फाउंडेशन रियाद चैप्टर के वाइस-प्रेसिडेंट लक्ष्मण सिंह परमार का कहना है कि उद्योग, व्यापार, पर्यटन, शिक्षा और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में प्रवासी राजस्थानियों का योगदान लगातार बढ़ रहा है। यदि प्रवासियों के वैश्विक अनुभव, नेटवर्क और तकनीकी समझ को राज्य की नीतियों से जोड़ा जाए, तो आने वाले वर्षों में राजस्थान एक बड़े निवेश केंद्र के रूप में उभर सकता है।
परमार के अनुसार फूड प्रोसेसिंग, एग्री-टेक, स्टार्टअप और पर्यटन जैसे सेक्टरों में राजस्थान के लिए सबसे अधिक संभावनाएं हैं। निवेश प्रक्रियाओं को सरल बनाने, सिंगल-विंडो सिस्टम को मजबूत करने और प्रवासियों के लिए विशेष सेल बनाने या उसके दायरे को बढ़ाने की आवश्यकता है। युवाओं को वैश्विक माइंडसेट अपनाने और नई तकनीक सीखने पर भी जोर दिया जाना चाहिए।
जवाब: मैं पिछले 17 वर्षों से विदेश में हूं, लेकिन मेरी परवरिश, संस्कार और पहचान राजस्थान की संस्कृति से ही बनी है। विदेश की आधुनिक सोच और अनुशासन ने बहुत कुछ सिखाया है, लेकिन मन हमेशा अपने राज्य की मिट्टी से ही शक्ति पाता है।
जवाब: यह सम्मेलन केवल औपचारिक आयोजन न होकर एक व्यावहारिक और परिणाम-आधारित प्लेटफॉर्म बने। प्रवासी राजस्थानियों के अनुभव, वैश्विक एक्सपोजर और औद्योगिक समझ को राज्य की नीतियों, निवेश और विकास परियोजनाओं से जोड़ा जाए। यदि सरकार इस आयोजन को नियमित प्लेटफॉर्म के रूप में विकसित करे तो इसका बड़ा लाभ मिल सकता है।
जवाब: बिल्कुल दे सकता है, बशर्ते इसे निरंतर रूप से चलाया जाए। प्रवासी राजस्थानी विभिन्न देशों में रहते हुए वहां की श्रेष्ठ कार्य-प्रणालियां और तकनीक सीखते हैं। यदि इस ज्ञान और नेटवर्क को राजस्थान से जोड़ा जाए, तो निवेश बढ़ने के साथ-साथ परियोजनाओं का क्रियान्वयन भी बेहतर होगा। यह आयोजन उस कड़ी को मजबूत कर सकता है।
जवाब: फूड प्रोसेसिंग और एग्री-टेक की गल्फ देशों में बड़ी मांग है, इसलिए राजस्थान इन देशों के लिए प्रमुख निर्यात का केंद्र बन सकता है। पर्यटन और संस्कृति से रोजगार भी बढ़ेगा और राज्य की वैश्विक ब्रांडिंग भी मजबूत होगी। स्टार्टअप और नवाचार के लिए भी यहां बहुत अवसर मौजूद हैं।
जवाब: पहली चुनौती अनुमति और प्रक्रियाओं में लगने वाला समय। दूसरी चुनौती नीतियों की स्पष्टता और उनके स्थायी रूप से लागू होने से जुड़ी है। तीसरी चुनौती इंफ्रास्ट्रक्चर और परियोजना क्रियान्वयन की गति है। इन तीनों क्षेत्रों में सुधार होने पर राजस्थान निवेश के मामले में देश के शीर्ष राज्यों में शामिल हो सकती है।
जवाब: सिंगल-विंडो सिस्टम काफी समय से जुड़ा है, लेकिन जरूरत है कि यह निरंतर काम करे। निवेशक को अलग-अलग विभागों के चक्कर न लगाने पड़ें और सभी आवश्यक प्रक्रियाएं इसी सिस्टम से पूरी हों। नीतियों और प्रोत्साहनों की स्पष्ट जानकारी मिले, तथा भूमि और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े काम समय पर हो जाएं। यह मॉडल निवेशक का आत्मविश्वास बढ़ाता है।
जवाब: फूड पार्क, एग्री-प्रोसेसिंग, एक्सपोर्ट-लिंक्ड क्लस्टर और कौशल विकास जैसी परियोजनाओं पर काम चल रहा है। मेरी इच्छा है कि राजस्थान को ग्लोबल फूड एंड एग्री हब के रूप में विकसित किया जाए, जिससे किसानों, उद्यमियों और युवाओं को सीधा लाभ मिल सके।
जवाब: किसी भी सरकार की सबसे बड़ी भूमिका स्पष्ट और स्थिर नीति देना है। इसके अलावा तेज निर्णय प्रक्रिया, समयबद्ध जवाबदेही और निवेशकों के लिए फास्ट-ट्रैक सेल बहुत आवश्यक है। यदि मंजूरियों और फाइलों के लिए समय सीमा तय हो जाए, तो राज्य में निवेश कई गुना बढ़ सकता है।
जवाब: गल्फ में रहने वाले एनआरई, जो भारतीय पासपोर्ट रखते हैं और लगातार निवेश व रेमिटेंस भेजते हैं, उन्हें अलग तरह की सहायता की आवश्यकता होती है। यदि उन्हें एक डेडिकेटेड सेल मिले, तो वे न केवल स्वयं निवेश करेंगे बल्कि अन्य निवेशकों को भी प्रेरित करेंगे।
जवाब: युवाओं को ग्लोबल माइंडसेट अपनाना चाहिए। मजबूत संवाद कौशल, तकनीक व नवाचार की समझ, अनुशासन और समय पर कार्य पूरा करने की क्षमता- ये चार बातें उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाती हैं। जो युवा इन मानकों पर खुद को तैयार करेंगे, वे विदेश ही नहीं बल्कि भारत में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
जवाब: राजस्थान तेजी से आगे बढ़ रहा है। अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने वैश्विक अनुभव, संपर्क और सीख को राज्य के विकास से जोड़ें। आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सभी स्तरों पर योगदान दें। जुड़ें, सहयोग करें और नए राजस्थान के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएं। यही समय की मांग है।
Published on:
09 Dec 2025 08:49 pm
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