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राजा रघुवंशी मर्डर के बाद संस्कारों पर हुए संवाद की सार्थक पहल को सराहा, जानें क्या है महिलाओं की राय

पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की ओर से वर्तमान परिस्थितियों पर व्यक्त किए प्रभावी विचारों की चर्चा होने लगी है। राजा हत्याकांड के बाद संस्कारों पर हुए संवाद की सार्थक पहल को महिलाओं ने सराहा है।

जयपुर

Arvind Rao

Jun 13, 2025

Stree Deh Se Aage
Stree Deh Se Aage Book Logo (फोटो- पत्रिका)

जयपुर: सोनम रघुवंशी ने अपने पति राजा की हत्या कर पूरे देश को झकझोर दिया। एक बार फिर रिश्तों, नैतिकता के पतन, मानवीय संवेदनाओं, संस्कारों और पाश्चात्य संस्कृति पर बहस छिड़ गई है। हर कोई घटना से स्तब्ध होकर यही सवाल कर रहा है कि ऐसे कृत्य कैसे हो रहे हैं।


इस बीच पिछले दिनों जयपुर, सीकर, पाली, जोधपुर और सवाई माधोपुर में पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की ओर से वर्तमान परिस्थितियों पर व्यक्त किए प्रभावी विचारों की चर्चा होने लगी है। गुलाब कोठारी ने ‘स्त्री देह से आगे’ विषय पर संवाद करते हुए विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी सैकड़ों महिलाओं को संबोधित किया था।

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उन्होंने वर्तमान में टूटते रिश्ते, संवेदनाओं की कमी, नैतिकता का पतन, ममता के भाव में कमी जैसे कई बिंदुओं पर अपनी राय रखी थी। सोनम रघुवंशी मामले में ऐसे कई बिंदु वर्तमान में चर्चा का विषय हैं। संवाद में शामिल महिलाओं ने इस घटनाक्रम पर गुलाब कोठारी के उद्बोधन को लेकर एक बार फिर अपने विचार व्यक्त किए हैं।

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'करुणा का पाठ पढ़ाएं'


पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की किताब स्त्री देह से आगे में बताया गया है कि लड़कियों में संस्कार और ममता होना क्यों जरूरी है। इस हत्याकांड के बाद महिलाओं को अपनी बेटियों को सिखाना चाहिए कि कैसे जीवन में प्यार और करुणा रखनी चाहिए।
-शीला आसोपा, शिक्षक, जोधपुर


'निर्माण ही स्त्री है'


स्त्री सुंदरता का प्रतीक थी और रहेगी स्त्री शरीर का ही नाम नहीं है, इसमें प्रतिष्ठित दिव्यता, वात्सल्य, मधुर, पोषण और निर्माण ही स्त्री है। मां गुरु है, वही ज्ञान है, संवेदना है, आत्मा का मानवीकरण है। कोठारीजी का उद्बोधन नारी की दिव्यता के वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विश्लेषित करता है।
-जयश्री शर्मा, पाली


'संस्कार जरूरी'


गुलाब कोठारी की किताब स्त्री देह से आगे में बताया गया है कि महिलाओं में संवेदना, ममता और संस्कृति का होना समाज को मजबूत बनाता है। आज के समय में बेटियों को सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, संस्कार भी जरूरी हैं, ताकि राजा हत्याकांड जैसी घटनाएं समाज में न हो।
-निरूपा पटवा, जोधपुर


'दृष्टिकोण विकसित हो'


यह कार्यक्रम जीवन का एक जीवंत अनुभव था, गुलाब कोठारी के विचारों को जानकर समाज के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और संवेदनशील भावनाओं का संचार हुआ। नई पीढ़ी में आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होना चाहिए।
-आशा गहलोत, गृहणी, पाली


'संस्कृति समझाएं'


गुलाब कोठारी ने चर्चा में बताया कि नारी सिर्फ शरीर नहीं, एक भावना है, जिसमें ममता, त्याग और संस्कृति की गहराई होती है। हाल ही में हुई घटना के बाद हर मां को अपनी बेटी को आधुनिकता के साथ-साथ संस्कृति भी सिखानी होगी।
-पुष्पा लुनावत, जोधपुर


'संस्कार पर हो जोर'


संस्कार के बिना शिक्षा अधूरी रह जाती है। वर्तमान समाज में मुस्कान एवं सोनम के कृत्यों को देखते हुए शिक्षा के साथ-साथ संस्कारों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। गुलाब कोठारीजी की पुस्तक स्त्री देह में नारी को दिव्य शक्ति के रूप में दर्शाया है।
-मिथिलेश शर्मा, पूर्व शिक्षा उपनिदेशक, सवाई माधोपुर


'मूल्यों का पतन हो रहा'


इस कृत्य से यह समझ सकते हैं कि आज के परिवेश में सामाजिक मूल्यों और मानदंडों का किस तरह पतन हो रहा है। गुलाब कोठारीजी की पुस्तक स्त्री देह से आगे इसका सटीक जवाब प्रस्तुत करती है।
-सुनीता, महामंत्री अग्रवाल महिला मंडल, सवाई माधोपुर


'भावनाएं महत्वपूर्ण'


टेक्नोलॉजी के दौर में यह नहीं भूलना चाहिए कि भावनाएं ही इंसान को इंसान बनाती हैं। बेटियों में ममता और शिक्षा का तालमेल ही उन्हें सशक्त बनाता है। गुलाब कोठारीजी की किताब ने एक गहरी सोच को जन्म दिया है।
-सीमा जोशी, शिक्षक, जोधपुर


'दृष्टिकोण देखें'


गुलाब कोठारी के विचारों ने यह सिद्ध किया है कि नारी की शक्ति और दिव्यता को पहचानना आवश्यक है। नारी को केवल शारीरिक रूप से नहीं, बल्कि मानसिक, आत्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी देखने की आवश्यकता है।
-जयलक्ष्मी सोलंकी, पाली


'मिले एक जैसे संस्कार'


राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने सीकर में स्त्री देह से आगे के बारे में बताया। उनके विचार सुनकर बहुत अच्छा लगा। स्त्री व पुरुष दोनों एक हैं। वहीं, बेटा व बेटी को एक जैसे संस्कार देने की सीख भी दी।
मधु कुमावत, सीकर