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राजस्थान की चट्टानों में मिला इलेक्ट्रिक कार से न्यूक्लियर पावर तक का कच्चा माल, 8 साल में भारत हो सकता है आत्मनिर्भर

बाड़मेर के सिवाना रिंग कॉम्प्लेक्स में रेयर अर्थ एलिमेंट्स का घनत्व बाकी जगहों से 100 गुना ज्यादा मिला है। नियोबियम और जिरकोनियम जैसे तत्व मोबाइल, इलेक्ट्रिक कार, रॉकेट और न्यूक्लियर पावर तक में उपयोगी हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, तेजी से काम हो तो 5-8 सालों में भारत रेयर अर्थ में आत्मनिर्भर हो सकता है।

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Barmer Siwana Ring Complex Raw

Siwana Ring Complex of Barmer (Patrika Photo)

Siwana Ring Complex: जयपुर: राजस्थान में थार के रेगिस्तान में मौजूद बाड़मेर जिले के सिवाना रिंग कॉम्प्लेक्स को खास गुणवत्ता वाले रेयर अर्थ मैटेरियल के कारण दुनिया के सबसे समृद्ध खजानों में से एक बताया जा रहा है। इन चट्टानों में इलेक्ट्रिक कार, मोबाइल और रॉकेट से लेकर न्यूक्लियर पावर तक का पूरा कच्चा माल मौजूद है।

देश के प्रमुख संस्थानों की नई रिपोर्ट में कहा गया कि जहां बाकी जगह रेयर अर्थ एलिमेंट्स (आरईई) का औसत घनत्व 100 से 200 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) मिले हैं, सिवाना में इससे करीब 100 गुना ज्यादा दर्ज हुआ है। यह क्षेत्र इनके उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भरता दिलाने और दुनिया में आगे रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, सिवाना की चट्टानों में आरईई की भरमार है। उदाहरण के लिए नियोबियम की मात्रा 246 से 1681 पीपीएम और जिरकोनियम की 800 से 12,000 पीपीएम तक है।

हमारे लिए फायदा

भारत का लक्ष्य रेयर अर्थ तत्त्वों और सुपर मैग्नेट में आत्मनिर्भरता हासिल करना है। चीन द्वारा इसके निर्यात पर नियंत्रण के बाद दुनिया में इन्हें लेकर चिंताएं बढ़ी हैं। इसे देखते हुए भारत ने इनकी खोज व अनुसंधान को तेज किया है और नीलामी प्रक्रिया भी जारी हैं। तेजी से काम हो तो अगले 5 से 8 वर्ष में भारत को आत्मनिर्भरता हासिल हो सकती है।

जहां यह सब मिला, वह क्यों है खास

करीब 70 से 80 करोड़ वर्ष (नियोप्रोटेरोजोइक काल) पहले ज्वालामुखी से बने हिस्सों को ही सिवाना रिंग कहते हैं। ये चट्टानें बाकी जगहों से अलग हैं। क्योंकि इनमें रेयर अर्थ एलिमेंट और कुछ खास मेटल की भरमार है।

यह खजाना पृथ्वी के मैंटल यानी सतह से 35 से 3000 किमी गहराई से ज्वालामुखी के जरिए ऊपर पहुंचा। ज्वालामुखी से निकला लावा और मैग्मा के ठोस हो जाने और पानी व कई गैसों की वजह से परतों में जमा हुआ।

खनिजों की सारणी : कौन सा, कितना और क्या काम का

खनिज का नाममात्रा / उपस्थितिउपयोग / काम
गिटिन्साइटमाइक्रो ग्रेनाइट में छोटे दानों के रूप मेंजिरकोनियम मिलता है- न्यूक्लियर रिएक्टर की ईंधन रॉड की ट्यूब, जेट इंजन पार्ट्स, सर्जिकल चाकू और इंप्लांट
पायरोक्लोरनियोबियम की मात्रा, कुछ सैंपल में 168 पीपीएम तकमजबूत स्टील, जेट इंजन, किट पार्ट्स, एमआरआई के सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट, मोबाइल-लैपटॉप कैपेसिटर
पेरिसाइटकम मात्रा, नियोडिमियम और प्रासियोडिमियम मौजूदइलेक्ट्रिक कार, पान चक्की, रिफाइनरी, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स – बेहद उपयोगी
एलानाइटसैंपल का 0.65 से 1% तकलैंथेनम-सिरियम, थोरियम मिलता है- ग्लास-सेरामिक में रंग, थोरियम आधारित न्यूक्लियर रिएक्टर
टाइटेनाइटचट्टान में छोटे दाने, नियोबियम भी मौजूदटाइटेनियम- एयरक्राफ्ट बॉडी, घुटने-कूल्हे रिप्लेसमेंट; नियोबियम-स्टील, रॉकेट, जेट, मोबाइल
सिलिकेटरेयर अर्थ ऑक्साइड डिस्प्रोसियम बड़ी मात्रा मेंडिस्प्रोसियम वाले सुपर मैग्नेट- इलेक्ट्रिक कार, विंड मिल, लेजर इलाज, न्यूक्लियर रिएक्टर कंट्रोल रॉड