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बिन Vasundhara Raje आज संपन्न हो रहा BJP का ‘चिंतन’, ‘बाहरी चिंता’ से ज़्यादा ‘अंदरूनी चिंता’ बनी है चुनौती

locationजयपुरPublished: Sep 22, 2021 10:58:10 am

Submitted by:

Nakul Devarshi

Rajasthan BJP Chintan Meeting : प्रदेश भाजपा की चिंतन बैठक का आज समापन, कुम्भलगढ़ स्थित रिज़ॉर्ट में जुटे हुए हैं वरिष्ठ नेता, सत्ता में लौटने को लेकर बन रही है रणनीति, अंदरूनी गुटबाज़ी के बीच पार्टी को मजबूत करने पर मंथन
 

Rajasthan BJP Chintan Baithak at Kumbhalgarh Rajsamand Latest News

जयपुर।

राजसमंद के कुम्भलगढ़ स्थित एक रिज़ॉर्ट में बुलाई गई प्रदेश भाजपा की चिंतन बैठक के दूसरे और अंतिम दिन भी आज विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हो रही है। बैठक का मुख्य फोकस वर्ष 2023 में प्रस्तावित राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी को मजबूत करने के साथ ही सत्ता में काबिज़ होने की रणनीति बनाने पर है। राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष और प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह इस बैठक में शामिल हो रहे वरिष्ठ नेताओं की टीम को मार्गदर्शित कर रहे हैं। आज विभिन्न सत्रों के पूरे होने के साथ ही चिंतन बैठक का समापन हो जाएगा।


योग के साथ शुरू हुआ दिन
चिंतन बैठक के दूसरे दिन की शुरुआत योग कार्यक्रम के साथ हुई। बैठक में शामिल होने पहुंचे सभी नेताओं ने यहां योग के विभिन्न आसन करते हुए ‘निरोगी स्वास्थ्य व स्वस्थ मन’ का संदेश दिया।

 

महादेव के दर्शन करने पहुंचे पूनिया

चिंतन बैठक के दूसरे दिन के सत्र शुरू होने से पहले भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया रिज़ॉर्ट के नज़दीक स्थित परशुराम महादेव मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने मंदिर के दर्शनकर पूजा अर्चना की। बताया जाता है कि भगवान परशुराम ने इस क्षेत्र में द्रोणाचार्य और कर्ण को शिक्षा दी थी। मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना परशु के जरिये पहाड़ काटकर की गई थी।

 

आसान नहीं सत्ता में लौटने की राह
चिंतन बैठक में भले ही प्रदेश भाजपा सत्ता में लौटने को लेकर रणनीति बनाने में जुटी है, लेकिन इस मकसद तक पहुंचना पार्टी के लिए आसान नहीं है। कई तरह की ‘चिंताएं’ पार्टी के सामने अब भी चुनौती बनी हुई हैं और संभवतया आगे भी बनी रहेगी। इनमें पार्टी को बाहरी चुनौतियों से निपटने से पहले अंदरूनी चुनौतियों से निपटना सबसे ज़रूरी माना जा रहा है।

 

गुटबाज़ी दूर करने की ‘चिंता’
प्रदेश भाजपा में अंदरूनी गुटबाज़ी एक-दो बार नहीं बल्कि कई दफा खुलकर सामने आ चुकी है। यहां तक कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की नसीहतों के बाद भी गुटबाज़ी थमने का नाम नहीं ले रही है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया के दो धड़ों को एक जाजम पर लाना आसान नहीं है। ऐसे में इस गुटबाज़ी के वर्ष 2023 चुनाव आने से पहले और उभरकर सामने आने की आशंका है जो पार्टी के लिए चिंताएं बढ़ा सकता है।

 

वसुंधरा की समानांतर टीम भी चिंता
प्रदेश भाजपा में अंदरखाने बधिति गुटबाज़ी के बीच पार्टी के सामने अगला मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने का भी लगातार दबाव बना हुआ है। वसुंधरा राजे के समर्थक विधायकों और जनप्रतिनिधियों ने पूर्व मुख्यमंत्री को ही अगला सीएम चेहरा घोषित करने की अपील की है। इधर, वसुंधरा समर्थकों ने प्रदेश भाजपा के समानांतर भी संगठन चलाये हुए हैं जो पार्टी की चिंताएं बढ़ा रहा है।

 

कैसे दूर हो किसानों-आमजन की नाराज़गी?
प्रदेश भाजपा के सामने किसानों, बेरोज़गारों और मध्यम वर्गी परिवारों के एक बड़े वोट बैंक की नाराज़गी को दूर करना भी सबसे बड़ी चिंताओं में से एक है। किसान जहां केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाये हुए हैं, तो वहीं आमजन बेकाबू महंगाई से परेशान है। वहीं बेरोज़गारी का मुद्दा भी युवाओं के बीच नाराज़गी बड़ा रहा है। इन सभी ‘चिंताओं’ से पार पाने पर भी मंथन करना पार्टी के लिए ज़रूरी हो गया है।

 

बीटीपी का बढ़ता प्रभाव भी चिंता
उदयपुर संभाग के जनजाति क्षेत्रों में जिस प्रकार पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय ट्राईबल पार्टी का प्रभाव बढ़ा, उससे भाजपा चिंतित है, क्योंकि भाजपा के गढ़ में बीटीपी ने एक तरह से सेंध लगाने का काम पिछले चुनाव में किया था। यही कारण रहा कि पार्टी चाहती है कि इस बार चुनाव में बीटीपी का प्रभाव देखते हुए पहले से ही मजबूती से काम शुरू हो और आदिवासी क्षेत्रों में बीजेपी का जनाधार बढ़ाने पर भी फोकस किया जाए। यही कारण है कि पार्टी के तमाम बड़े नेता चिंतन बैठक के जरिए इस क्षेत्र में चिंतन के लिए जुटे हैं।

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