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राजस्थान में कफ सिरप मामले में नया अपडेट, बच्चों की हुई मौत की जांच के लिए 5 सदस्यीय पैनल गठित

Cough Syrup Case New Update : राजस्थान स्वास्थ्य विभाग ने डेक्स्ट्रोमेथॉरफन एचबीआर युक्त कफ सिरप से हुई मौतों की जांच के लिए 5 सदस्यीय पैनल का गठन किया है। समिति को 3 दिनों में अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।

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Rajasthan cough syrup case New update childrens deaths 5-member panel formed and health department has issued a directive

फोटो पत्रिका

Cough Syrup Case New Update : राजस्थान स्वास्थ्य विभाग ने डेक्स्ट्रोमेथॉरफन एचबीआर युक्त कफ सिरप से हुई मौतों की जांच के लिए 5 सदस्यीय पैनल का गठन किया है। इस समिति में राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी बाल चिकित्सालय जे. के. लोन अस्पताल के बाल रोग विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर शामिल हैं। पैनल को तीन दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।

3 दिनों में रिपोर्ट देने के निर्देश

प्रमुख स्वास्थ्य सचिव गायत्री राठौर ने कहा, यह 5 सदस्यीय समिति सरकारी अस्पतालों में मौसमी लक्षणों वाले बच्चों को दी जाने वाली दवाओं और उससे होने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं की विस्तृत जांच करेगी। इसमें राज्य के सबसे बड़े सरकारी बाल रोग विशेषज्ञ केंद्र, जेके लोन अस्पताल के बाल रोग विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर शामिल हैं। समिति को 3 दिनों में अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।

डेक्सट्रोमेथॉर्फन पर लगा बैन

यह घटनाक्रम स्वास्थ्य विभाग द्वारा सीकर, भरतपुर और अन्य जिलों में कफ सिरप डेक्सट्रोमेथॉर्फन से जुड़ी बच्चों की मौतों की रिपोर्ट की जांच के लिए टीमों को तैनात करने के कुछ ही दिनों बाद सामने आया है। डेक्सट्रोमेथॉर्फन राज्य सरकार की मुफ्त दवा योजना के तहत वितरित किया जा रहा था। अब इस दवा को प्रतिबंध कर दिया गया है। इस टीमों को विभिन्न सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में सर्दी, खांसी और बुखार जैसे लक्षणों के लिए इलाज करा रहे बच्चों के इलाज के रिकॉर्ड एकत्र करने और स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं की जांच करने का काम सौंपा गया है।

बाल रोग विशेषज्ञों और चिकित्सा विशेषज्ञों संग व्यापक विचार-विमर्श

इसके अलावा, अधिकारियों ने बताया कि विभाग राजस्थान में पतझड़-सर्दी के मौसम में बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों से निपटने के लिए अपनी प्रतिक्रिया को और बेहतर बनाने के लिए बाल रोग विशेषज्ञों और चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ व्यापक विचार-विमर्श कर रहा है। अधिकारियों ने बताया कि इस मौसम में आम तौर पर होने वाली इंसेफेलाइटिस, निमोनिया और सांस लेने में तकलीफ जैसी बीमारियां छोटे बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं, जब तक कि उनका सही निदान और सही इलाज न किया जाए।


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