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बांधों को मत बांधो: राजस्थान में अच्छी बारिश के बाद भी खाली रहे बांध, सवालों के घेरे में जिम्मेदार

बांधों तक पानी की राह में अतिक्रमण और अवैध निर्माण बड़ी बाधा बने हुए हैं। सरकार के आदेशों और कलेक्टरों की जिम्मेदारी तय होने के बावजूद कार्रवाई कागजों तक सीमित है।

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जयपुर

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Arvind Rao

Sep 30, 2025

Rajasthan dams remain empty

राजसमंद का नाहर सागर तालाब केवल पेंदे में बने गड्ढों तक ही सीमित रह गया (फोटो- पत्रिका)

जयपुर: प्रदेश के बांध सहित अन्य जल स्रोतों तक पानी पहुंचने की राह में अतिक्रमण और अवैध निर्माण बाधा बने हुए हैं। कहने को तो सरकार ने बहाव क्षेत्र अतिक्रमण मुक्त करने और बांधों तक पानी के प्रवाह को निर्बाध बनाए रखने की जिला कले€क्टरों को भी जिम्मेदारी सौंप रखी है।


कलेक्टरों के निर्देशन में कमेटियां भी गठित की गई, लेकिन ज्यादातर काम कागजों तक सिमटकर रह गया है। नतीजा, बहाव क्षेत्र में कहीं रसूखदारों के फार्म हाउस खड़े हो गए तो कहीं अतिक्रमियों की जड़ें गहरी हो गई। केवल जयपुर का रामगढ़ बांध ही ऐसा उदाहरण है, जहां हाइकोर्ट के आदेश पर लगातार सक्रियता दिख रही है। हाईकोर्ट की गठित विशेष कमेटी यहां निगरानी कर रही है।


सवालों के घेरे में जिम्मेदार, फाइलों में बंद रिपोर्ट


सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा था कि हर कलेक्टर जल स्रोतों के प्रवाह को निर्बाध बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होगा, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि रिपोर्ट सिर्फ फाइलों में दबी हुई हैं। कार्रवाई की गति इतनी धीमी है कि स्थानीय लोग इसे औपचारिकता से ज्यादा कुछ नहीं मान रहे।


विशेषज्ञों ने दिखाया, ऐसे बदलेगी तस्वीर


-विशेषज्ञों का मानना है कि यदि राज्य सरकार हर बांध के लिए निगरानी व्यवस्था करे तो तस्वीर बदल सकती है।
-नियमित रिपोर्ट भेजने की व्यवस्था को अनिवार्य करना, साथ ही एक उच्च स्तरीय निगरानी तंत्र गठित करना।
-रिमोट सेंसिंग, ड्रोन सर्वे और तकनीकी उपायों का व्यापक उपयोग करना।
-समन्वय में सुधार, जल विभाग, राजस्व, वन व स्थानीय प्रशासन के बीच स्पष्ट साझा जिम्मेदारी तय हो।
-जब तक जवाबदेही तय कर कड़ी कार्रवाई नहीं होती, तब तक बांधों का गला घोंटने वाला यह खेल बंद नहीं होगा।


निर्माण पर न्यायालयों की कड़ी नाराजगी


-जितेंद्र सिंह बनाम पर्यावरण मंत्रालय के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि कोई भी योजना जो सामान्य जल निकायों, जल स्रोतों, बहाव क्षेत्र को खत्म करने या उनका स्वरूप बदलने की दिशा में हो, पर्यावरण संबंधित दायित्वों का उल्लंघन करती है।
-मद्रास उच्च न्यायालय ने आदेश दिए हैं कि बांध और उन जल निकायों की सीमा और भौतिक संरचनाओं को बहाल किया जाए। बहाव क्षेत्र में निर्माण के कारण प्रवाह क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने वालों पर कार्रवाई हो।
-दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरकार, दिल्ली विकास प्राधिकरण को निर्देश दिए कि वह सभी झीलों, तालाबों और जल निकायों के चारों ओर अतिक्रमण हटाए और उन्हें संरक्षित रखें।
-झारखंड हाइकोर्ट राज्य सरकार को आदेश दे चुका है कि जल स्रोतों की सुरक्षा करने और अतिक्रमणों की सूची तैयार कर उन्हें हटाने का प्लान दें।