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Rajasthan News : राजस्थान सरकार की एक बड़ी पहल। राजस्थान सरकार, राज्य के सरकारी स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाओं में संस्कृत को एक विषय के रूप में शामिल करने की तैयारी कर रही है। राजस्थान के संस्कृत और शिक्षा विभाग का उद्देश्य है कि 3 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों को यह प्राचीन भाषा सिखाना है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि यह पूरे देश में राजस्थान पहला राज्य होगा जहां प्री-प्राइमरी स्तर पर संस्कृत पढ़ाई जाएगी। संस्कृत शिक्षा विभाग ने पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर ली है और किताबें भी लॉन्च कर दी हैं। सरकारी अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। यह पाठ्यक्रम की रूपरेखा और किताबें संस्कृत और हिंदी/अंग्रेजी माध्यम वाले सरकारी स्कूलों में उपयोग के हिसाब से डिज़ाइन की गई है। ।
राजस्थान सरकार का दावा है कि वर्तमान में प्रदेश में 2,369 संस्कृत विद्यालय हैं, जिनमें 1,867 सरकारी और 502 निजी विद्यालय हैं।
शैक्षिक सामग्री की बात करें तो संस्कृत सिखने के लिए खाद्य पदार्थों, संख्याओं, जानवरों, पक्षियों और परिवहन के साधनों को दर्शाने वाले चित्र शामिल हैं। प्रत्येक चित्र के साथ उनके संबंधित संस्कृत शब्द भी दिए गए हैं। सीखने के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए, शिक्षण सामग्री में इंटरैक्टिव गतिविधियां शामिल की गई हैं। जो बच्चों को शब्दों को चित्रों से मिलाने के लिए प्रोत्साहित करती है। जिससे शब्दावली बहुत अच्छे ढंग से याद रहती है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुरूप, प्रत्येक पुस्तक में पढ़ाए जाने वाले सभी शब्दों की एक व्यापक सूची दी गई है। जिसे संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी में प्रस्तुत की गई है। साथ ही बच्चों के लिए अपनी मातृभाषा में समानार्थी शब्द लिखने के लिए एक कॉलम भी दिया गया है।
संस्कृत शिक्षा आयुक्त प्रियंका जोधावत ने इस पहल के महत्व पर जोर देते हुए बताया, पुस्तकों में सरल संस्कृत शब्द दिए गए हैं ताकि बच्चे बातचीत में उनका उपयोग कर सकें और छोटी उम्र से ही भाषा से परिचित हो सकें। पुस्तकों में रंगीन गेंदों के माध्यम से संख्याओं जैसी अवधारणाओं का परिचय दिया गया है। साथ ही सप्ताह के दिनों, शरीर के अंगों और नैतिक कहानियों के बारे में भी पाठ दिए गए हैं। जिन्हें बेहतर जुड़ाव के लिए सचित्र रूप में पेश किया गया है।
हालांकि समय-सीमा लागू करने का निर्णय अभी राज्य सरकार के स्तर पर लंबित है, फिर भी इस पहल ने पहले ही ध्यान आकर्षित कर लिया है। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर के निदेशक और इन पुस्तकों के लिए पाठ्यक्रम विकास समिति के प्रमुख वाईएस रमेश ने कहा, राजस्थान संस्कृत शिक्षा में एनईपी के पैटर्न को लागू करने वाला पहला राज्य है, जिसने पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं के लिए संस्कृत में पुस्तकें तैयार की हैं।
प्रमुख वाईएस रमेश ने कहा, चूंकि राज्य नई भाषा नीति को लागू करने की तैयारी कर रहा है, इसलिए कई लोगों को उम्मीद है कि इससे न केवल संस्कृत सीखने को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि युवा पीढ़ी में सांस्कृतिक विरासत की भावना भी पैदा होगी।
संस्कृत शिक्षा आयुक्त प्रियंका जोधावत ने बताया कि इस संबंध में वर्ष की शुरुआत में ही कैबिनेट को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। हमने पाठ्यक्रम का ढांचा तैयार कर लिया है और किताबें भी लॉन्च कर दी है। कैबिनेट की अंतिम मंजूरी मिलते ही कक्षाएं शुरू कर दी जाएंगी।
संस्कृत दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है। इसे देवनागरी या देववाणी भी कहा जाता है। इसका इतिहास करीब 3500 साल पुराना है।
Published on:
18 Aug 2025 02:07 pm
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