
फाइल फोटो पत्रिका
Rajasthan High Court : राजस्थान हाईकोर्ट ने करीब 38 साल से फरार एक महिला को पुलिस के तलाश नहीं कर पाने पर आश्चर्य जताया। कोर्ट ने कहा कि महिला करीब चार दशक से एक ही जगह पर रह रही थी, लेकिन पुलिस उस तक नहीं पहुंच सकी। यह निराशाजनक है। इतने समय तक आरोपी को नहीं तलाश पाना कानूनी प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है।
हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि वर्षों तक ट्रायल पूरी नहीं होने से जहां लोगों का भरोसा टूट रहा, वहीं मानवाधिकार व कानून का राज भी प्रभावित हो रहे हैं। कोर्ट ने इस स्थिति को लेकर प्रमुख गृह सचिव एवं पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि फरार अपराधियों को तलाश कर पकड़ने के लिए विशेष सेल बनाया जाए, जिससे भगौड़े आरोपियों की ट्रायल पूरी हो और पीड़ितों को समय पर न्याय दिलाया जा सके। न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड ने नाथी देवी की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदला गया तो यह न्याय व्यवस्था का मखौल उड़ाने जैसा है। आरोपी की अनुपस्थिति के बिना आरोप पत्र दाखिल नहीं होने से केस कई वर्षों तक अटका रहेगा और आरोपी बच निकलेंगे। दु:ख की बात है गिरफ्तारी वारंट पुलिसकर्मी तामील नहीं करा पाते और मुकदमा अनिश्चितकाल तक लंबित रहता है।
याचिका में कहा था कि अधीनस्थ अदालत ने अप्रेल 1987 में जमानत मुचलके जब्त कर याचिकाकर्ता को फरार घोषित कर दिया। याचिकाकर्ता देहाती महिला है। ऐसे में गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदला जाए।
नाथी देवी के खिलाफ रास्ता रोकने और मार-पीट के आरोप में 1983 में आमेर थाने में मामला दर्ज हुआ था।
Published on:
13 Nov 2025 07:41 am
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