26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Rajasthan High Court : राजस्थान हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी, वर्षों से फरार अपराधियों की तलाश के लिए बनाया जाए स्पेशल सेल

Rajasthan High Court : राजस्थान हाईकोर्ट ने करीब 38 साल से फरार एक महिला को पुलिस के तलाश नहीं कर पाने पर आश्चर्य जताया। इसके बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख गृह सचिव एवं पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि फरार अपराधियों को तलाश कर पकड़ने के लिए विशेष सेल बनाया जाए।

less than 1 minute read
Google source verification
COURT

फाइल फोटो पत्रिका

Rajasthan High Court : राजस्थान हाईकोर्ट ने करीब 38 साल से फरार एक महिला को पुलिस के तलाश नहीं कर पाने पर आश्चर्य जताया। कोर्ट ने कहा कि महिला करीब चार दशक से एक ही जगह पर रह रही थी, लेकिन पुलिस उस तक नहीं पहुंच सकी। यह निराशाजनक है। इतने समय तक आरोपी को नहीं तलाश पाना कानूनी प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है।

याचिका खारिज, दिया यह आदेश

हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि वर्षों तक ट्रायल पूरी नहीं होने से जहां लोगों का भरोसा टूट रहा, वहीं मानवाधिकार व कानून का राज भी प्रभावित हो रहे हैं। कोर्ट ने इस स्थिति को लेकर प्रमुख गृह सचिव एवं पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि फरार अपराधियों को तलाश कर पकड़ने के लिए विशेष सेल बनाया जाए, जिससे भगौड़े आरोपियों की ट्रायल पूरी हो और पीड़ितों को समय पर न्याय दिलाया जा सके। न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड ने नाथी देवी की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया।

…तो यह न्याय व्यवस्था का मखौल उड़ाने जैसा

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदला गया तो यह न्याय व्यवस्था का मखौल उड़ाने जैसा है। आरोपी की अनुपस्थिति के बिना आरोप पत्र दाखिल नहीं होने से केस कई वर्षों तक अटका रहेगा और आरोपी बच निकलेंगे। दु:ख की बात है गिरफ्तारी वारंट पुलिसकर्मी तामील नहीं करा पाते और मुकदमा अनिश्चितकाल तक लंबित रहता है।

याचिका में कहा था कि अधीनस्थ अदालत ने अप्रेल 1987 में जमानत मुचलके जब्त कर याचिकाकर्ता को फरार घोषित कर दिया। याचिकाकर्ता देहाती महिला है। ऐसे में गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदला जाए।

रास्ता रोकने-मारपीट का मामला

नाथी देवी के खिलाफ रास्ता रोकने और मार-पीट के आरोप में 1983 में आमेर थाने में मामला दर्ज हुआ था।