
कॉलोनियों-खेतों में दरिया सा हाल (All Photo Credits : Dinesh Dabi)
Rain in Jaipur: जयपुर की बारिश ने इस बार लोगों की जिंदगी को थामकर रख दिया है। पांच दिन गुजर चुके हैं, लेकिन कई इलाकों में पानी अब भी उफान मार रहा है। कॉलोनियों में दरिया, गलियों में तालाब और घरों में कैद इंसान। बस्तियों में लोग हर पल अनहोनी के डर के साए में जी रहे हैं।
लेकिन अफसोस, इस मुश्किल घड़ी में सबसे बड़ा सवाल लोगों के होंठों पर वही है, ‘कहां है प्रशासन?’ करोड़ों खर्च कर बनाए गए ड्रेनेज और नाला सफाई की योजनाएं पहली ही बारिश में बह गईं। बारिश ने एक बार फिर शहर को आइना दिखा दिया, यहां पानी से ज्यादा लापरवाही और दावों का सैलाब बह रहा है।
राजधानी जयपुर में सोमवार से बुधवार तक हुई मूसलाधार बारिश के बाद जलमहल, मावठा और सागर का ओवरफ्लो पानी गुरुवार दोपहर तक भी आसपास की कॉलोनियों और खेतों में नदी की तरह बहता रहा। उफान के बाद इन सरोवरों का पानी दिल्ली रोड की ओर निकल रहा है। जयपुर-दिल्ली हाइवे से लेकर आमेर तक हालात बिगड़े हुए हैं।
पांच दिन से लगातार बह रहा यह पानी सूगली नदी तक नहीं पहुंच पा रहा। राजस्थान पत्रिका टीम ने गुरुवार को करीब 40 किलोमीटर क्षेत्र का जायजा लिया और प्रभावित लोगों से बातचीत की। कई लोगों ने कहा, यह नजारा पुराने दिनों की याद दिला रहा है, जब राजधानी के जलस्रोतों से पानी सूगली नदी होते हुए कानोता बांध तक पहुंचता था।
पिछले कुछ वर्षों में जयसिंहपुरा खोर से लेकर आमेर तक अतिक्रमण और अवैध निर्माणों के कारण पानी का प्राकृतिक बहाव रुक गया। जब पानी कॉलोनियों की ओर मुड़ा तो सड़कों पर नदी जैसा हाल बन गया। लोग घरों में कैद होकर बेहाल हैं।
प्रशासन ने एक जेसीबी से मोरी खोलने का काम दिखाया। वहीं, हाइवे पर गड्ढों में भरी गई ग्रेवल पहली ही बारिश में बह गई।
जयसिंहपुरा खोर, आमेर मुख्य सड़क से दिल्ली रोड तक, हाथी गांव के आसपास का क्षेत्र और सड़वा मोड़। पत्रिका की टीम हरे कृष्णा नगर, वेद नगर, बढ़ान का बाग, सांखला की ढाणी, बक्शा कुंड, कुंडा, नारद का बाग, लालबास आदि इलाकों में पहुंची। अनुमान है कि 10-12 हजार की आबादी पानी के बीच जी रही है और हजारों लोगों की आवाजाही बाधित है।
-मुख्य हाईवे और सड़वा मोड़ पर गड्ढे पानी में छिपे हुए हैं।
-कई घरों के बेसमेंट में पानी भर गया।
-मिट्टी के कट्टे और राहत सामग्री समय पर नहीं पहुंच रही।
-लोग कहते हैं, रात में पानी की आवाज आती है जैसे नदी किनारे रह रहे हों।
-कुछ परिवार सुरक्षित जगह की तलाश में रिश्तेदारों के यहां शिफ्ट हो गए हैं। बढ़ान का बाग में मकानों के क्षतिग्रस्त होने का अंदेशा है।
पहले आमेर के सागर और मावठा का पानी सूगली नदी में गिरता था। जलमहल से पानी सराय बावड़ी और लालबास होकर उसी नदी में जाता था। लेकिन अब अतिक्रमण और अवैध कॉलोनियों ने प्राकृतिक धारा को रोक दिया है, नतीजा पूरा क्षेत्र जलमग्न हो गया है।
कुंडा से नई माता मंदिर के बीच चार मोरी थीं, जिनमें से तीन लोगों ने बंद कर दीं। सिर्फ सांखला की ढाणी की मोरी से पानी हाथी गांव की ओर निकल रहा है। पहले यह पानी सूगली नदी में जाता था, लेकिन अवैध कॉलोनियों के कारण रास्ता अवरुद्ध हो गया।
मेरे घर में पानी घुस गया, दीवार तोड़नी पड़ी। तीन दिन से हालात वैसे ही हैं।
-कान्हाराम
रात को पानी की आवाज आती है जैसे नदी किनारे हों। सड़क पर दो फीट तक पानी है।
-सोनू
पांच दिन और ऐसे ही हालात रहे तो हालात और बिगड़ेंगे। कई बेसमेंट डूब चुके हैं।
-जितेंद्र जैन
पानी का रास्ता रोक दिया गया है। हर कॉलोनी पानी में डूबी है, गाड़ियां खराब हो गईं।
-वीना सैनी
जयसिंहपुरा खोर और आमेर क्षेत्र में लगातार जेडीए की ओर से कार्रवाई की जा रही है। पिछले एक माह में 20 से अधिक कॉलोनियों पर कार्रवाई हो चुकी है। जल्द ही एक टीम बनाकर सर्वे करवाएंगे और जो नई अवैध कालोनियां सृजित हो रही हैं, उनको ध्वस्त किया जाएगा।
-राहुल कोटोकी, उप महानिरीक्षक, पुलिस, जेडीए
Updated on:
05 Sept 2025 02:08 pm
Published on:
05 Sept 2025 02:02 pm
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