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जयपुर

राजस्थान में पुराने ढर्रे पर आई नई आबकारी नीति, अब शराब ठेकेदारों की फिर बढ़ेगी मोनोपॉली

Rajasthan New Excise Policy : राजस्थान में एक बार फिर पुराने ढर्रे पर नई आबकारी नीति चल निकली है। यानि की नीति नई पर बोतल पुरानी है। इस नई आबकारी नीति से अब शराब ठेकेदारों की फिर मोनोपॉली बढ़ेगी। साथ ही शराब कंपनियों को बड़ी राहत दी गई है। जानें पूरा मामला।

जयपुरFeb 13, 2025 / 07:22 am

Sanjay Kumar Srivastava

Rajasthan New Excise Policy has come on Old Track Now Liquor Contractors Monopoly will increase Again
सुनील सिंह सिसोदिया
Rajasthan New Excise Policy : राजस्थान में दो दशक पहले शराब ठेकेदारों का एकाधिकार (मोनोपॉली) खत्म करने के लिए शराब नीति में किए बदलावों के उलट एक बार फिर राज्य सरकार] नई आबकारी नीति में पुराने पैटर्न पर ही चल पड़ी है। क्लस्टर के नाम पर दुकानों के फिर छोटे-छोटे समूह बना दिए गए हैं। प्रदेश की 7665 दुकानों को करीब 2500 समूहों में बांटा जा रहा है। जयपुर शहर में ही 358 दुकानों को करीब 140 समूह में रखा गया है। इन समूह का संचालन आमजन नहीं कर सकता। इस हालात में ठेकेदार ही आगे आएंगे। इससे शराब ठेकेदारों की प्रदेश में मोनोपॉली फिर बढ़ेगी। वहीं शराब कंपनियों को भी बड़ी राहत देते हुए शहर में अपने गोदाम खोलने की छूट दे दी गई है। इससे शराब कंपनियां अब गोदाम से माल ठेकेदारों को बेच सकेंगी। जबकि पहले कंपनियां आरएसबीसीएल के गोदाम में माल भेजती थी। वहां से शराब दुकानदार खरीद करते थे।

प्रदेश में सात हजार से अधिक शराब दुकानें

राजस्थान में सात हजार से अधिक शराब दुकान हैं। इन दुकानों के समूह विभाग में शहरों में वार्ड और ग्रामीण इलाकों में पंचायतों के हिसाब से बनाए हैं। सूत्रों के मुताबिक समूह में 2 से 4 तक दुकानें हैं। इस तरह प्रदेश में करीब 2500 समूह बनना बताया जा रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पहले जो शराब कारोबार 7665 लोगों के हाथों में था। वह अब करीब 2500 लोगों के हाथों में सिमट कर रह जाएगा।
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कंपनियों को बड़ी राहत, शहरों में खोल सकेंगे गोदाम

नई आबकारी नीति में शराब कंपनियों को बड़ी राहत दी गई है। अब शराब कंपनियां शहरों में गोदाम खोल सकेंगी और ठेकदारों को माल बेच सकेंगी। पहले कंपनियां को शहरों में गोदाम खोलने की अनुमति नहीं थी। कंपनी से सीधे माल आरएसबीसीएल को भेजा जाता था। वहां से ठेकेदार शराब खरीदते थे। अब ठेकेदार शहरों में शराब आपूर्ति के लिए गोदाम खोल सकेंगे।
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अपराधों में आई थी कमी

राज्य में 2005 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने शराब ठेकेदारों की मोनोपॉली खत्म करने के लिए दुकानों के समूहों को खत्म कर एक-एक दुकान की लॉटरी के जरिए आवंटन करने की व्यवस्था लागू की थी। इससे बड़े शराब ठेकेदारों का इस कारोबार से एकाधिकार खत्म हो गया था और बड़ी संख्या में नए लोग इस कारोबार में आ गए थे। इससे शराब कारोबार को लेकर प्रदेश में होने वाले गैंगवार व शराब बिक्री को लेकर होने वाले अन्य अपराधों में कमी आई थी।
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7,500 के बजाय करीब ढाई हजार लोगों के हाथों में रह जाएगा कारोबार

1- 04 वर्ष के लिए लाई गई है इस बार शराब नीति।
2- 02 से 4 दुकानें एक समूह में होंगी शामिल।
2- 358 जयपुर की दुकानों को करीब 140 समूह में बांटा।
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समूह के साथ ही नवीनीकरण

इस बार नई आबकारी नीति 2025-29 तक (चार वर्ष) के लिए लाई गई है। जबकि तीन बार से लगातार पुरानी दुकानों का ही नवीनीकरण होता आ रहा है। इस नीति में फिर वर्तमान शराब दुकान संचालकों को ही वार्ड व पंचायत वार समूह बनाकर फिर से दुकानों का नवीनीकरण कराने का अवसर दिया है। शर्त रखी गई थी कि नवीनीकरण का अवसर तभी मिलेगा जब जिले की 70 फीसदी दुकानें या समूह में शामिल सभी दुकानों का नवीनीकरण कराया जाएगा। शराब ठेकेदारों ने बड़ी संख्या में बुधवार तक शराब दुकानों का नवीनीकरण भी करा लिया है।

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