
Rajasthan News : राजस्थान सरकार ने प्रदेश में नए हिल बायलॉज लागू कर दिए हैं। इसमें पहाड़ी क्षेत्र को बचाने के लिए कई कड़े प्रावधान किए गए हैं। पहाड़ी क्षेत्र को अंधाधुंध तरीके से काटकर रिजॉर्ट, मोटल्स, फार्म हाउस, एम्यूजमेंट पार्क, कैम्पिंग साइट निर्माण अब नहीं हो सकेगा। अभी तक पहाड़ों पर 60 डिग्री स्लोप (ढाल) तक इनके निर्माण की अनुमति थी, लेकिन अब इसका दायरा घटाकर केवल 15 डिग्री तक सीमित कर दिया है। इससे ज्यादा ढलान के पहाड़ी हिस्सा ’नो कंस्ट्रक्शन’ जोन होगा।
पहाड़ी क्षेत्र को तीन श्रेणी (अ, ब, स) में बांटा गया है। आठ से अधिक और पन्द्रह मीटर ढलान वाले इलाके में निर्माण की ऊंचाई अधिकतम 9 मीटर (भूतल प्लस 1) ही कर पाएंगे। मास्टर और जोनल डवलपमेंट प्लान में भी पहाड़ी क्षेत्रों की श्रेणियों का निर्धारण किया जाएगा। खास यह भी है कि जल स्त्रोतों (नहर, नाला,स्टॉर्म वाटर ड्रेन) से दूरी भी तय कर दी है, जिससे उन्हें प्रभावित होने से बचाया जा सके। भूमि के कुल क्षेत्रफल के 40 प्रतिशत भाग में सघन वृक्षारोपण करना होगा।
पर्यटन के नाम पर पहाड़ी क्षेत्र व उसके आस-पास निर्माण होते रहे। इससे उदयपुर, माउंट आबू, राजसमंद, अलवर, चित्तौडगढ़, बांसवाड़ा सहित कई शहरों व आस-पास का पहाड़ी क्षेत्र प्रभावित हुआ है। सूत्रों के मुताबिक पहाड़ों को काटकर कॉमर्शियल गतिविधि करने से जुड़े मामले में सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई है। इसीलिए नगरीय विकास विभाग को छुट्टी के दिन शनिवार को पॉलिसी जारी करनी पड़ी।
1-फार्म हाउस : भूखण्ड का न्यूनतम क्षेत्रफल 5000 वर्गमीटर रहेगा। यहां अधिकतम 500 वर्गमीटर एरिया में निर्माण कर सकेंगे।
2-रिसोर्ट : न्यूनतम क्षेत्रफल 2 हेक्टेयर और अधिकतम ऊंचाई 9 मीटर (भूतल 1) अनुज्ञेय होगी। 20 प्रतिशत एरिया में निर्माण कर पाएंगे।
3- एम्यूजमेन्ट पार्क : न्यूनतम क्षेत्रफल 5 हेक्टेयर एवं निर्माण एरिया 10 प्रतिशत होगा। उपकरणों, झूलों की ऊंचाई 9 मीटर से अधिक भी हो सकेगी।
4- न्यूनतम 1 हेक्टेयर क्षेत्रफल होने पर धार्मिक स्थल, आध्यात्मिक केन्द्र, योग केन्द्र तथा प्राकृतिक चिकित्सा एवं वेलनेस सेन्टर बना सकेंगे।
5- भवन के टैरेस पर मम्टी, मशीन रूम, वाटर टैंक की अधिकतम ऊंचाई 3 मीटर दी जा सकेगी।
6. नहीं बना सकेंगे बेसमेंट : भवन में बेसमेंट और स्टील्ट फ्लोर की अनुमति नहीं होगी। वहीं पार्किंग भी परिसर के शुरुआती हिस्से में बनानी होगी।
'अ' श्रेणी - 8 डिग्री स्लोप तक आवासीय योजना व कॉमर्शियल गतिविधि (टाउनशिप पॉलिसी के अनुसार) की अनुमति।
'ब' श्रेणी - 9 से 15 डिग्री तक पहाड़ी क्षेत्र में रिजॉर्ट, फार्म हाउस, होटल, , एम्यूजमेंट पार्क, प्राकृतिक चिकित्सा, वेलनेस सेंटर, कैम्पिंग साइट,सौर ऊर्जा संयत्र।
'स' श्रेणी - 15 डिग्री से अधिक स्लोप होने पर नो-कंस्ट्रक्शन जोन।
1- 15 डिग्री स्लोप तक आवासीय कॉलोनी
2- 15 से 30 डिग्री स्लोप होने पर रिजॉर्ट, फार्म हाउस, होटल
3- 30 से 45 डिग्री तक 15 प्रतिशत तक बिल्टअप एरिया
4- 45 से 60 डिग्री तक 5 प्रतिशत तक बिल्टअप एरिया की अनुमति
10 मीटर से अधिक चौड़ाई वाले नहर, नाला, स्टॉर्म वाटर ड्रेन की सीमा से न्यूनतम 9 मीटर।
10 मीटर तक की चौड़ाई वाले नहर, नाला, छोटे जल निकायों, स्टॉर्म वाटर ड्रेन सीमा से न्यूनतम 6 मीटर।
बावड़ी से सभी तरफ न्यूनतम 6 मीटर।
(किसी भी स्थिति में इनकी भूमि का परिवर्तन नहीं किया जा सकेगा)
1- अधिकतम 3 मीटर की खड़ी गहराई तक पहाड़ी का कटाव की अनुमति होगी।
2- जल-मल निस्तारण के लिए बायो-डायजेस्टर की व्यवस्था करना अनिवार्य होगा। अपशिष्ट भूखण्ड क्षेत्र से बाहर प्रवाहित नहीं कर सकेंगे।
3- निर्धारित पार्किंग उपलब्ध होगी। भूखण्ड में पार्किंग उपलब्ध नहीं होने पर निर्माणकर्ता को स्वयं के स्वामित्व की दूसरी समतल भूमि पर भी (500 मीटर की परिधि क्षेत्र में) पार्किंग उपलब्ध करानी होगी।
4- पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षा जल संचयन के लिए छोटे जलाशय निर्मित करने होंगे।
पॉलिसी लागू होने से पहले यदि आवासीय, वाणिज्यिक, संस्थागत व अन्य उपयोग की योजनाओं के पट्टे जारी किए गए हो, लेकिन भवन निर्माण स्वीकृति जारी नहीं की गई है। ऐसे पट्टों में भी अधिकतम ऊंचाई 9 मीटर (भूतल प्लस 1 तल) ही अनुमति होगी। भवन निर्माण स्वीकृति जारी की जा चुकी हो, ऐसे प्रकरणों में स्वीकृति को संशोधित किया जा सकेगा।
राजस्थान पत्रिका ने पहाड़ों को छलनी कर बेचने, लीज पर देने, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के खेल का समाचार शृंखला के जरिए खुलासा किया था। इसमें कंपनियों के साथ अफसरों की मिलीभगत को भी उजागर किया गया। इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने बायलॉज को रद्द कर दिया था।
Published on:
20 Apr 2025 07:20 am
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