
सांभर लेक में पहुंचे लाखों फ्लेमिंगो (फोटो-@gourav.wildlifeः
जयपुर। राजस्थान की विश्वविख्यात सांभर साल्ट लेक इन दिनों प्रकृति के अनोखे रंग में रंगी नजर आ रही है। लाखों प्रवासी फ्लेमिंगो पक्षियों के आगमन से यह विशाल खारे पानी की झील मानो 'गुलाबी समंदर' में बदल गई है। जयपुर से कुछ ही दूरी पर स्थित सांभर झील का यह दृश्य इन दिनों पर्यटकों, पक्षी प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए खास आकर्षण बन गया है।
सेंट्रल एशियन फ्लाईवे के जरिए हर साल होने वाले प्रवासी पक्षियों के आगमन ने इस बार झील को और भी जीवंत बना दिया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस वर्ष अच्छी बारिश के चलते झील में पानी का स्तर संतुलित रहा, जिससे शैवाल और ब्राइन श्रिम्प जैसे भोजन की पर्याप्त उपलब्धता बनी। यही कारण है कि बड़ी संख्या में फ्लेमिंगो यहां पहुंचे हैं। जनवरी 2025 में हुई गणना में एक लाख से अधिक प्रवासी पक्षी दर्ज किए गए थे, जबकि मौजूदा समय में झील क्षेत्र में करीब दो से ढाई लाख फ्लेमिंगो मौजूद होने का अनुमान है।
लगभग 240 वर्ग किलोमीटर में फैली सांभर झील भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है और इसे रामसर साइट का दर्जा प्राप्त है। यह रूस, साइबेरिया और मंगोलिया जैसे दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाले ग्रेटर और लेसर फ्लेमिंगो के लिए प्रमुख शीतकालीन ठिकाना है। इनके साथ ही यहां विभिन्न प्रजातियों की बत्तखें और अन्य प्रवासी पक्षी भी बड़ी संख्या में देखे जा रहे हैं।
पक्षी विशेषज्ञ गौरव दाधीच बताते हैं कि सांभर झील में अब तक 300 से अधिक पक्षी प्रजातियां दर्ज की जा चुकी हैं। उनके अनुसार, इस वर्ष अनुकूल मौसम और जलस्तर ने पक्षियों के लिए आदर्श परिस्थितियां बनाई हैं, जिससे उनकी संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। आमतौर पर प्रवास अक्टूबर से मार्च तक रहता है, लेकिन परिस्थितियां अनुकूल रहने पर कई पक्षी अधिक समय तक ठहरते हैं।
झील में उड़ते, भोजन करते और पानी में अठखेलियां करते गुलाबी फ्लेमिंगो का यह नजारा प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। पक्षी दर्शन और फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए इन दिनों सांभर झील की यात्रा एक यादगार अनुभव बन सकती है।
Published on:
14 Dec 2025 04:26 pm
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