
SMS अस्पताल में मरीज। फोटो पत्रिका
Scrub Typhus in Jaipur : जयपुर बारिश के मौसम के बीच स्क्रब टाइफस ने छह महीने बाद एक बार फिर पलटवार कर दिया है। हालात यह है कि एसएमएस अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 10 से 12 मरीज गंभीर हालत में पहुंच रहे हैं। इनमें से चार से पांच मरीजों को तुरंत आइसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है। अस्पताल में फिलहाल 3 मरीज कोमा की स्थिति में भर्ती है। हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि समय पर इलाज मिलने से मरीज जल्दी रिकवर भी कर रहे है, लेकिन आगामी दिनों में केस और तेजी से बढ़ सकते हैं। ऐसे में अक्टूबर माह के अंत तक सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है।
एसएमएस अस्पताल के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सी.एल. नवल ने बताया कि इस महीने के पहले सप्ताह से मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। संक्रमित मरीजों में निमोनिया, सांस लेने में तकलीफ, तेज बुखार, सिरदर्द और सांस फूलने जैसी शिकायतें पाई जा रही हैं। 25 से 55 वर्ष के लोग ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन कुछ बच्चों में भी इसके केस सामने आए हैं।
1- लगभग 30 से 40 प्रतिशत मरीजों में लिवर, किडनी और ब्रेन पर असर देखा गया है।
2- 10 से 15 प्रतिशत मरीज गहरी बेहोशी की स्थिति में अस्पताल पहुंच रहे हैं।
3- रोजाना-वार-पांच मरीजों को आइसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है।
4- कई मरीजों को डायलिसिस और वेंटिलेटर की जरूरत भी पड़ी है।
चिकित्सकों के अनुसार, सामान्य लक्षण वाले मरीज पांच से सात दिन में ठीक हो जाते हैं। जबकि गंभीर मरीजों को पूरी तरह स्वस्थ होने में 10 से 15 दिन का समय लग रहा है। बुजुर्ग मरीजों में रिकवरी की अवधि और लंबी हो रही है।
कारण- बैक्टीरिया ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी।
प्रसारण- संक्रमित चिगर्स (माइट्स) के काटने से।
लक्षण- तेज बुखार, कंपकपी, मांसपेशियों में दर्द, त्वचा पर पपड़ीवार दाने, बेहोशी, सांस फूलना सीने में दर्द, निमोनिया आदि।
1- झाड़ीदार, जंगल या जलभराव वाले दक्षेत्रों में जाने से बचें।
2-पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें।
3- कीट विकर्षक (रिपेलेंट) का उपयोग करें।
4- लक्षण दिखें तो तुरंत जांच और उपचार कराएं।
अस्पताल में भर्ती अधिकांश मरीज जयपुर ग्रामीण, दौसा, अलवर, भरतपुर और करौली क्षेत्रों से आ रहे हैं। खेतों में काम करने वाले और खुले में रहने वाले लोग ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में मरीजों की संख्या और बढ़ सकती है. इसलिए सतर्कता और बचाव के उपाय ही सबसे बड़ी सावधानी है।
Updated on:
28 Aug 2025 08:35 am
Published on:
28 Aug 2025 07:25 am
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