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ख़त्म होगा इंतज़ार, राजस्थानी भाषा को मिलने वाली है संवैधानिक मान्यता, काउंटडाउन शुरू!

locationजयपुरPublished: Dec 15, 2019 08:33:30 am

Submitted by:

Nakul Devarshi

ख़त्म होगा इंतज़ार, राजस्थानी भाषा को मिलने वाली है संवैधानिक मान्यता, काउंटडाउन शुरू! पिछले दिनों राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिए जाने के संकेत दिए थे।

Rajasthani Language in Eighth Schedule of Constitution, Latest news
जयपुर/ जोधपुर।

राजस्थानी भाषा को जल्द ही संवैधानिक मान्यता ( Rajasthani language in Eighth Schedule of Constitution ) मिलने वाली है। केन्द्रीय भारी उद्योग व संसदीय कार्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने इस बारे में फिर संकेत दिए हैं। पंचायतराज चुनाव के सिलसिले में संभाग स्तरीय बैठक में शामिल होने आए मेघवाल शनिवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

मेघवाल ने कहा पूर्व में बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि राजस्थानी व भोजपुरी बहुत बोली जाती है। उनको मान्यता दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि नेपाल में राजस्थानी भाषा में शपथ लेने की छूट है। ऐसे में जल्द मान्यता दी जा सकती है।

राष्ट्रपति ने भी दिए थे संकेत

पिछले दिनों राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिए जाने के संकेत दिए थे। राजस्थान हाईकोर्ट के जोधपुर में बने नए भवन के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपति ने सम्बोधन में कहा था कि कोर्ट आदि संस्थानों को अपने निर्णय स्थानीय भाषा में प्रकाशित करने चाहिए, जिससे आम लोगों को समझ में आ सके। मैं भी इसलिए हिंदी में बात कह रहा हूं जिससे आमजन समझ सके। राष्ट्रपति कोविंद के इस कथन से लोगों को राजस्थानी भाषा की मान्यता मिलने की उम्मीद जगी है।
सीएम गहलोत पीएम मोदी को लिख चुके हैं खत

राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलवाये जाने के सन्दर्भ में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख चुके हैं। पत्र में सीएम गहलोत ने राजस्थानी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किए जाने का अनुरोध किया है।
बिते सितम्बर माह के दौरान लिखे पत्र में मुख्यमंत्री गहलोत ने उल्लेख किया है कि उनके पिछले कार्यकाल के दौरान राजस्थान विधानसभा ने सर्वसम्मति से संकल्प पारित कर केंद्र को भेजा था। इस संकल्प के तहत राजस्थानी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध किया गया था और उसके बाद भी कई बार राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा देने की मांग राजस्थान सरकार करती आई है।
मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि राजस्थानी देश की समृद्धतम स्वतंत्र भाषाओं में से एक है जिसका अपना इतिहास है। राजस्थानी भाषा के इतिहास के बारे में लगभग 1000 ई. से 1500 ई. के कालखंड को ध्यान में रखकर गुजराती भाषा एवं साहित्य के मर्मज्ञ स्वर्गीय श्री झवेरचंद मेघानी ने भी लिखा है कि राजस्थानी व्यापक बोलचाल की भाषा है। इसी की पुत्रियां बाद में बृजवासी, गुजराती का नाम धारण कर स्वतंत्र भाषाएं बनीं और अन्य भाषाओं की तरह ही राजस्थानी की भी मेवाड़ी, मारवाड़ी, वागडी आदि कई बोलियां हैं। यह बोलियां वैसे ही इसे समृद्ध करती हैं जैसे पेड़ को उसकी शाखाएं।
पीएम को लिखे पत्र में सीएम ने लिखा, ‘संविधान में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि एक भूभाग की अगर कोई भाषा है तो उसे बचाया और संरक्षित किया जाए। राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलना हमारी संस्कृति और समृद्ध परंपराओं से नई पीढ़ी को अवगत करवाने के साथ ही भावी पीढ़ियों के मानवीय अधिकारों के संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय कदम होगा।’

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि 2003 में राजस्थान विधानसभा द्वारा पारित कर भेजे गए संकल्प का सम्मान करते हुए राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता देने के बारे में यथोचित आदेश प्रसारित कराएं।
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