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RAS मुख्य परीक्षा 17-18 जून को होगी, RPSC ने दायर की राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर में केविएट, जानें क्यों

RPSC Update : RAS मुख्य परीक्षा को लेकर नया अपडेट। RAS मुख्य परीक्षा 17-18 जून को होने जा रही है। परीक्षा होने से पूर्व परीक्षा तिथि को लेकर RPSC ने राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर में केविएट दायर कर दी है। जानें अब क्या होगा।

RAS Main Exam will be held on 17-18 June RPSC Filed Rajasthan High Court Jodhpur Caveat know why
फोटो पत्रिका

RPSC Update : RAS मुख्य परीक्षा को लेकर नया अपडेट। आरपीएससी की ओर से आयोजित आरएएस मेंस परीक्षा-2024, 17 और 18 जून को दो पारियों में अजमेर और जयपुर जिला मुख्यालय पर 77 केंद्रों पर होगी। इसमें 21 हजार 539 अभ्यर्थी शामिल होंगे। अभ्यर्थियों के प्रवेश पत्र रविवार को वेबसाइट पर अपलोड कर दिए हैं। पर इस बीच एक बड़ी खबर है। परीक्षा तिथि को लेकर RPSC ने राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर में केविएट दायर कर दी है। RPSC को अंदेशा है कि परीक्षा तिथि आगे बढ़ाने को लेकर परीक्षार्थी कहीं हाईकोर्ट में याचिका न दायर कर दें। ऐसे में यदि कोई याचिका दायर होती है, तो कोर्ट में RPSC का पक्ष सुने बिना कोई आदेश पारित ना करे। इसलिए अधिक सतर्कता बरतते हुए RPSC के सचिव रामनिवास मेहता ने यह अहम कदम उठाया है।

राजस्थान विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर धरना दे रहे अभ्यर्थी

मामला यह है कि राजस्थान लोक सेवा आयोग की आरएएस-2024 मुख्य परीक्षा की प्रस्तावित डेट को स्थगित करने की मांग लगातार जोर पकड़ रही है। बीते 10 दिनों से अधिक समय से अभ्यर्थी राजस्थान विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर धरना दे रहे थे। अभ्यर्थियों का कहना था कि वे केवल चाहते हैं कि आरएएस-2023 भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही आरएएस-2024 मुख्य परीक्षा करवाई जाए, ताकि किसी भी उम्मीदवार को दोहरी चयन की स्थिति का सामना न करना पड़े और उन्हें पर्याप्त तैयारी का समय भी मिल सके। अभ्यर्थियों ने बताया कि वर्तमान सरकार के 10 से अधिक मंत्री और 40 से ज्यादा विधायक पहले ही परीक्षा को स्थगित करने की मांग कर चुके हैं।

क्या होता है केविएट?

'केविएट' एक कानूनी प्रक्रिया है। जिसका मतलब – सुने बिना कोई निर्णय न लिया जाए। अबर किसी संस्था या व्यक्ति को यह आशंका होती है कि उनके खिलाफ कोर्ट में कोई याचिका दायर की जा सकती है तो अपनी सुरक्षा के लिए वे पहले से ही केविएट दायर कर देते हैं। जिसका मतलब है कि अदालत से यह अनुरोध है कि अगर उस विषय पर कोई याचिका आती है तो फैसला लेने से पहले उन्हें सुना जाए।

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