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राजेंद्र राठौड़ ने कहा ‘मुझे और सतीश पूनिया को सियासत की सीढ़ी पर सांप ने डस लिया’, जानें फिर मदन राठौड़ व जूली ने क्या कहा?

Satish Poonia Book Release : भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया की पुस्तक ‘अग्निपथ नहीं जनपथ (संवाद से संघर्ष तक)’ के विमोचन समारोह ने रविवार को राजधानी जयपुर में राजनीति और विनोद का संगम रच दिया।

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Satish Poonia Book Release Program Rajendra Rathod said know what Madan Rathod and Julie said
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पुस्तक का विमोचन करते राज्यपाल कटारिया व अन्य। पत्रिका फोटो

Satish Poonia Book Release : भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया की पुस्तक ‘अग्निपथ नहीं जनपथ (संवाद से संघर्ष तक)’ के विमोचन समारोह ने रविवार को राजधानी जयपुर में राजनीति और विनोद का संगम रच दिया। कार्यक्रम में पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ और कांग्रेस नेता टीकाराम जूली मंच पर एक साथ नजर आए। जहां एक ओर नेताओं ने ठहाकों के बीच सियासी तंज कसे, वहीं कटारिया ने विधानसभा की घटती गरिमा पर चिंता जताई। कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल कटारिया ने कहा कि विधानसभा में जब शोरगुल के बीच जनता की आवाज दब जाती है, तो दुख होता है। जनप्रतिनिधियों का पहला फर्ज जनता के प्रति है।

सतीश पूनिया ने अपनी किताब में दर्ज किए अनुभव

सतीश पूनिया ने कहा कि उनकी किताब में विधायक रहते सदन के अंदर और बाहर के अनुभव दर्ज हैं। उन्होंने भीलवाड़ा जिला प्रमुख वरजी बाई भील की सादगी का उल्लेख करते हुए कहा कि टिकट मिलने पर उन्होंने पूछा था, अब मेरी बकरियां कौन चराएगा?

मदन राठौड़ ने मुस्कुराते हुए कहा ‘मुझे भी डसा होगा’

कार्यक्रम का सबसे मनोरंजक क्षण तब आया जब राजेंद्र राठौड़ ने कहा ‘मुझे और सतीश पूनिया को सियासत की सीढ़ी पर सांप ने डस लिया।’ इस पर मदन राठौड़ ने मुस्कुराते हुए कहा ‘मुझे भी डसा होगा।’ जूली ने हंसते हुए कहा ‘अगर सदन होता, तो नाम खुलवाने तक अड़ जाता।’

वरजी बाई भील ने की कार्यक्रम की अध्यक्षता

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरजी बाई भील ने की। इस मौके पर कई मंत्री, सांसद, विधायक और बड़ी संख्या में आमजन मौजूद रहे। साहित्य और सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली पांच युवा प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया।

ट्रांसफर के च€कर में लोकतंत्र पीछे छूट रहा

कटारिया ने कहा कि जब विधानसभा चल रही होती है तो हम ट्रांसफर कराने के लिए कागज लेकर सचिवालय में घूम रहे होते हैं, तो €या हम लोकतंत्र का स्मान कर रहे हैं? पांच-दस प्रतिशत गड़बड़ हो सकती है, लेकिन इससे ज्यादा नहीं। दुर्भाग्य है कि आज जो लोग हवाई जहाज से आते हैं वे लोकतंत्र को नहीं समझते।