
जयपुर में सवाई मानसिंह अस्पताल का हादसे के बाद दृश्य। फोटो पत्रिका
SMS Hospital Fire : जयपुर में सवाई मानसिंह अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में रविवार रात को आग लगने की घटना के बाद सोमवार को पत्रिका टीम ने देश के अन्य राज्यों के बड़े अस्पतालों में व्यवस्थाएं टटोली तो कमोबेश एक जैसी लापरवाही सामने आई। राजस्थान के झालावाड़, जोधपुर, कोटा, नागौर, पाली, अजमेर, उदयपुर, श्रीगंगानगर, बाड़मेर, भीलवाड़ा, सीकर, बूंदी, चित्तौड़गढ़ और अलवर समेत अधिकांश जिलों में फायर फाइटिंग सिस्टम या तो जर्जर हैं, या सिर्फ दिखावे के लिए लगे हैं। कई अस्पतालों के पास फायर एनओसी तक नहीं है।
छत्तीसगढ़ की राजधानी भोपाल के सरकारी अस्पतालों में फायर सेफ्टी की स्थिति चिंताजनक है। ज्यादातर अस्पतालों में आग बुझाने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल हमीदिया, जेपी जिला अस्पताल और कमला नेहरू अस्पताल में अग्निशमन व्यवस्था की नियमित जांच नहीं हो रही। अग्निशामक यंत्रों की निर्धारित समय पर रिफिलिंग नहीं की गई है। फायर सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट और निरीक्षण सूची भी कई अस्पतालों से गायब हैं।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के आंबेडकर अस्पताल में पिछले साल नवंबर में न्यू ट्रोमा सेंटर में आगजनी की घटना के बाद फायर सिस्टम को दुरुस्त तो किया गया है, लेकिन यह नाकाफी है। प्रदेश के ज्यादातर अस्पतालों में भी आइसीयू, एनआइसीयू, पीआइसीयू में विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए एग्जिट डोर नहीं है। कई निजी अस्पतालों में फायर सिस्टम की दुर्दशा है। यहां तक की फायर ऑडिट नहीं कराया गया है।
Published on:
07 Oct 2025 07:53 am
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