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सोशल मीडिया की तस्वीरें बनी जाल: AI डीपफेक से किडनैपिंग स्कैम, राजस्थान में भी कई मामले आए सामने 

FBI alert 2025: भारत में भी 50k+ केस, राजस्थान में बढ़ा खतरा। आई की 'जादूगरी' से डर का माहौल बनाते हैं स्कैमर।

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जयपुर

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MOHIT SHARMA

Dec 10, 2025

AI kidnapping scam: जयपुर. अमरीकि फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI ) ने 5 दिसंबर 2025 को एक बड़ा अलर्ट जारी किया है, जिसमें चेतावनी दी गई कि साइबर हैकर्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI ) की मदद से 'वर्चुअल किडनैपिंग' स्कैम चला रहे हैं। ये अपराधी सोशल मीडिया से चुराई गई फोटोज को एआइ्र से एडिट कर 'प्रुफ ऑफ लाइफ' के रूप में भेजते हैं, जिससे परिवार वाले घबरा कर लाखों रुपए का रैनसम ट्रांसफर कर देते हैं। कोई असली अपहरण नहीं होता, लेकिन पैनिक का फायदा उठाकर ये स्कैमर क्रिप्टोकरेंसी या गिफ्ट कार्ड्स से पैसे ऐंठ लेते हैं। एफबीआई के मुताबिक, 2025 में ऐसे स्कैम्स से अमेरिका में करोड़ों डॉलर का नुकसान हो चुका है।

स्कैम कैसे काम करता है?
एआई की 'जादूगरी' से डर का माहौल बनाते हैं। स्कैमर अचानक टेक्स्ट या वॉट्सऐप पर कॉन्टैक्ट करते हैं। "आपका बच्चा/रिश्तेदार हमारे कब्जे में है, तुरंत पैसे भेजो वरना जान से मार देंगे।" प्रुफ मांगने पर एआई-जनरेटेड डीपफेक वीडियो या फोटो भेजते हैं। बच्चे की आंखों में डर, चोट के निशान, या बंधक जैसी हालत दिखाते हुए। ये इमेजेस इतनी रीयल लगती हैं कि परिवार वाले सोचे बिना पैसे भेज देते हैं। एफबीआई के अनुसार, स्कैमर टाइम्ड मैसेजिंग यूज करते हैं, ताकि विक्टिम को स्कैन करने का समय न मिले। लेकिन ध्यान से देखें तो गड़बड़ी पकड़ में आ जाती जैसे टैटू मिसिंग, बॉडी प्रोपोर्शन गलत, या लाइटिंग आदि।

भारत और राजस्थान कनेक्शन
2025 में 50k+ केस, लोकल थ्रेट बढ़ा। यह समस्या सिर्फ अमरीका तक सीमित नहीं। भारत में एआई-बेस्ड डीपफेक स्कैम्स 2025 में 50% से ज्यादा बढ़ चुके हैं, खासकर वॉइस क्लोनिंग और किडनैपिंग फ्रॉड।

राजस्थान में साइबर क्राइम पोर्टल पर 2025 में कई शिकायतें दर्ज हुई हैं। जयपुर और जोधपुर में किडनैपिंग-स्टाइल स्कैम्स बढ़े हैं। साइबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि राजस्थान के रूरल एरिया में सोशल मीडिया यूजर्स ज्यादा वल्नरेबल हैं, क्योंकि वे फैमिली फोटोज पब्लिकली शेयर करते हैं। इस संबंध में इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर ने भी अलर्ट जारी किया है।

खुद को कैसे बचाएं?

फैमिली कोड वर्ड बनाएं
आपातकाल में सिर्फ ये शब्द ही प्रुफ हो। स्कैमर को पता नहीं चलेगा।

डायरेक्ट कॉन्टैक्ट
पैसे भेजने से पहले खुद रिश्तेदार को कॉल करें।

सोशल मीडिया प्राइवेसी
फोटोज/वीडियोज प्राइवेट रखें। ट्रैवलिंग टाइम पर पर्सनल डिटेल्स शेयर न करें।

इमेज चेक
टैटू, स्कार्स, बॉडी शेप कंपेयर करें। एआई इमेज में गड़बड़ी होती है।

रिपोर्ट करें
तुरंत cybercrime.gov.in / 1930 पर शिकायत करें। स्क्रीनशॉट्स सेव रखें।

आगे का खतरा
एआई का दुरुपयोग रोकने की चुनौती बड़ी है। एक्सपर्ट्स चेताते हैं कि 2026 तक ऐसे स्कैम्स दोगुने हो सकते हैं, क्योंकि एआई टूल्स फ्री उपलब्ध हैं। भारत सरकार CERT-In के जरिए डीपफेक डिटेक्शन सॉफ्टवेयर पर काम कर रही है। लेकिन जागरूकता ही असली हथियार है। अगर आपको संदेह हो, तो दोस्तों-रिश्तेदारों से कन्फर्म करें एक कॉल आपकी लाखों बचा सकती है।


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