
सोलर पैनल। पत्रिका फाइल फोटो
जयपुर। सरकारी इमारतों पर सोलर पैनल लगाने के लिए हुए 456 करोड़ रुपए के टेंडर में 60 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी जमा कराने के मामले में अनुबंधित कंपनी के प्रबंध निदेशक व अन्य कर्मचारियों की गिरफ्तारी हुई है। इसमें राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश में भी सरकारी काम के लिए फर्जी बैंक गारंटी दी गई थी।
सीबीआइ ने तीर्थ गोपीकोन कंपनी के एमडी को गिरफ्तार किया है। इसमें अब राजस्थान में हुए घोटाले की परतें भी खुलेंगी। उधर, राजस्थान सरकार ने भी आंतरिक जांच के लिए तीन अफसरों की कमेटी गठित कर दी है।
कमेटी को 15 दिन में रिपोर्ट देनी है। अब इस बात का खुलासा होगा कि घपले में अक्षय ऊर्जा निगम के मौजूदा व तत्कालीन अफसरों में से कौन-कौन शामिल हैं। राजस्थान पत्रिका ने पिछले दिनों इस मामले को प्रमुखता से उठाया है।
कंपनी ने अक्षय ऊर्जा निगम को एडवांस राशि नहीं लौटाई। सीबीआइ पहले ही एंट्री कर चुकी थी। इसके अलावा कंपनी को इस काम से टर्मिनेट कर ब्लैकलिस्ट कर दिया। चूंकि, कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर्ड है, इसलिए सेबी को भी पत्र लिखकर जानकारी दी गई है। साथ ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को भी घपले के बारे में बताया गया, क्योंकि फर्जी बैंक गारंटी में बैंक कर्मचारियों के मिलीभगत की भी आशंका जताई गई।
राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम की वित्त निदेशक हेम प्रभा, राज्य विद्युत उत्पादन निगम के मुख्य लेखाधिकारी राजेश खंडेलवाल, राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम के मुख्य लेखाधिकारी एन.एल. जाट शामिल है।
सीबीआइ ने कंपनी के एमडी व अन्य कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। इसमें मध्यप्रदेश में भी फर्जी बैंक गारंटी का मामला था। निगम ने जो मामला दर्ज कराया है, उसमें भी जांच चल रही है। आंतरिक कमेटी भी जांच कर रही है।
-दुर्गेश राजोरिया, निदेशक (वित्त), राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम
Published on:
24 Sept 2025 07:09 am
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
