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स्त्री: देह से आगे विशेष विवेचन कार्यक्रम: ‘हम जीवन के लिए नई ऊर्जा, आंतरिक शक्ति, नया दृष्टिकोण लेकर जा रही हैं’

‘आज की स्त्री औरों से सशक्तीकरण मांगती है, जबकि वह स्वयं शक्ति स्वरूपा है। वह अपनी शक्ति को भूल चुकी है, जिसे याद दिलाने की जरूरत आज उसे ही सबसे अधिक है’। पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी के इस प्रेरक उद्बोधन से सभागार में उपस्थित आर्मी वुमन वेलफेयर एसोसिएशन (आवा) से जुड़ी हर महिला नई ऊर्जा से भर गई।

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कार्यक्रम में पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का प्रेरक उद्बोधन, पत्रिका फोटो

जयपुर. ‘आज की स्त्री औरों से सशक्तीकरण मांगती है, जबकि वह स्वयं शक्ति स्वरूपा है। वह अपनी शक्ति को भूल चुकी है, जिसे याद दिलाने की जरूरत आज उसे ही सबसे अधिक है’। पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी के इस प्रेरक उद्बोधन से सभागार में उपस्थित आर्मी वुमन वेलफेयर एसोसिएशन (आवा) से जुड़ी हर महिला नई ऊर्जा से भर गई। महिलाएं बड़ी संख्या में उन्हें सुनने पहुंचीं, कई महिलाएं अपने छोटे बच्चों को भी साथ लाई थीं।

राजस्थान पत्रिका समूह की ओर से समूह के संस्थापक श्रद्धेय कर्पूरचन्द्र कुलिश की जन्मशती वर्ष के उपलक्ष में ‘स्त्री: देह से आगे’ विषय विवेचन कार्यक्रम के बाद महिलाओं ने कहा कि, आज उन्हें यह अहसास हुआ कि वे कितनी सशक्त हैं और समाज के लिए क्या कुछ कर सकती हैं।

उन्होंने कहा कि कोठारी का यह उद्बोधन उन्हें जीवन में आगे बढ़ने और नई पीढ़ी को सही दिशा देने में सहायक रहेगा। इससे पहले कार्यक्रम का दीप प्रज्वलन शिवानी महरोत्रा, स्वप्ना मनोज, सहेली ऑडी, दीप्ति कोठारी और वृंदा कोठारी ने किया।

ऐसे कार्यक्रम होते रहें

महिलाओं के लिए इस तरह के कार्यक्रम होते रहने चाहिए। आज हमें एक महत्वपूर्ण संदेश मिला है। गुलाबजी ने विशेष रूप से बताया कि जब आप शक्ति स्वरूपा हैं तो आप कुछ भी कर सकती हैं, बस अपनी शक्ति को पहचानना आवश्यक है।
शिवानी महरोत्रा, वी नारी चेयरपर्सन, आवा

हम अपनी शक्ति पहचानें

नारी सशक्तीकरण पर दिया गया उद्बोधन अत्यंत प्रेरणादायक है। यह मेरे मन में गूंजता रहेगा। गुलाबजी ने सही कहा कि सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए आवश्यक है कि नारी पहले अपनी शक्ति और आंतरिक क्षमता को समझे। अपनी शक्ति को पहचानने से ही सशक्तीकरण संभव है। मेरा एक प्रश्न है कि, जब एक ओर हम कन्या पूजन करते हैं और दूसरी ओर कन्याओं को दबाते हैं, तो इस प्रवृत्ति से मुक्ति कैसे मिले।
स्वप्ना मनोज, सजनी विंग, आवा

मानसिकता में होगा बदलाव

मुझे यह कार्यक्रम बहुत अच्छा लगा। विशेष रूप से जब विषय नारी शक्ति का हो, तो वह कार्यक्रम हमेशा प्रेरक होता है। गुलाबजी के दृष्टिकोण से देखें तो इस कार्यक्रम का सबसे बड़ा सकारात्मक प्रभाव यह होगा कि यह उन लोगों की मानसिकता में बदलाव लाएगा जो मानते हैं कि नारी का स्थान केवल घर तक सीमित है या जो उन्हें आगे बढ़ने से रोकते हैं। साथ ही, नारी को भी अपनी क्षमता को पहचानने की आवश्यकता है।
सहेली ऑडी, सदस्य, आवा

स्त्री-पुरुष, दोनों एक-दूसरे के पूरक

कार्यक्रम में स्त्री के अस्तित्व और सामर्थ्य जैसे विषय पर चर्चा हुई। अच्छा पहलू यह रहा कि इसमें स्त्री और पुरुष की समानता को रेखांकित किया गया।
सविता

मैं यह सीख लेकर जा रही हूं कि स्त्री और पुरुष समान हैं। स्त्री पुरुष के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकती है। कार्यक्रम से समझ आया कि स्त्री कमजोर नहीं है।
मोहिनी संग्राम


इस उद्बोधन के बाद हमने जाना कि स्त्री और पुरुष यदि समझें तो दोनों एक ही हैं। वे एक-दूसरे के आधे-आधे भाग हैं और एक-दूसरे के बिना बिल्कुल अधूरे हैं।
कमलप्रीत कौर

जैसे आज स्त्री घर संभालती है और बच्चों की देखभाल करती है, वैसे ही पुरुष को भी इन कार्यों में सहयोग देना चाहिए, तभी परिवार पूर्ण होगा।
अमनप्रीत कौर

इस कार्यक्रम ने स्पष्ट किया कि स्त्री किसी भी तरह से कमजोर नहीं, बल्कि पुरुष के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने में सक्षम है। उसे खुद को पहचानना है।
विजेता प्रजापति