
UGC News Instructions : विश्वविद्यालयों में शोध का स्तर गिरता जा रहा है। बिना यूनिवर्सिटी आए ही शोधार्थी शोध कर रहे हैं। लगातार शिकायत आने के बाद अब यूजीसी ने शोधार्थियों के लिए सख्ती शुरू की है। यूजीसी ने निर्देश जारी किए कि हर शोधार्थी की अलग से रिसर्च कमेटी होगी। इतना ही नहीं, शोधार्थी को अब हर 6 महीने में रिसर्च कमेटी के सामने पेश होना पड़ेगा। हालांकि यूजीसी की ओर से यह निर्देश पहले ही जारी किए गए थे, लेकिन इसकी पालना नहीं की गई। इस पर यूजीसी ने फिर से यह व्यवस्था सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं। राजस्थान यूनिवर्सिटी ने तैयारी शुरू कर दी है। यूनिवर्सिटी की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं कि अप्रेल और अक्टूबर में शोधार्थी को रिसर्च कमेटी के सामने पेश होना पड़ेगा।
यूजीसी का मानना है कि शोध का उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं, बल्कि महत्वपूर्ण योगदान देना है। पिछले कुछ वर्षों में विश्वविद्यालयों में शोध की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं। आलम यह है कि निजी यूनिवर्सिटी में तो शोध के नाम पर फर्जीवाड़े हो रहे हैं। पैसे देकर पीएचडी पूरी करवाई जा रही है। इसकोे देखते हुए हुए यूजीसी ने अब सख्ती शुरू की है।
राजस्थान यूनिवर्सिटी की बात करें तो करीब दो हजार शोधार्थी हैं। 80 फीसदी शोधार्थी ऐसे हैं जो नियमित नहीं हैं। कोर्स वर्क पूरा होने के बाद छात्र भी यूनिवर्सिटी नहीं आते। इससे शोध में गुणवत्ता की कमी आ रही है। जबकि 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य है। कई साल से चल रही इस व्यवस्था पर यूनिवर्सिटी की ओर से भी आपत्ति नहीं की जाती। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए यूजीसी ने शोध की गुणवत्ता में सुधार लाने के सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
एक अच्छा शोध समाज की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत कर सकता है, नए विचार उत्पन्न कर सकता है और तकनीकी प्रगति की दिशा में कदम बढ़ा सकता है। इस तरह के शोध कार्यों से विश्वविद्यालयों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा भी बढ़ती है। जब शोध में गुणवत्ता और नवीनता होती है तो विश्वविद्यालय अपने शोध कार्यों को अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित करवा सकता है जिससे न केवल भारत, बल्कि अन्य देशों में भी उसकी पहचान बनती है।
अरविंद शर्मा, उपकुलसचिव शोध, राजस्थान यूनिवर्सिटी
Published on:
24 Nov 2024 11:18 am
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
