मौसम विभाग के अनुसार 20 जनवरी तक लोगों को कड़ाके की सर्दी का सितम झेलना पड़ेगा। जयपुर मौसम केंद्र ने 19 शहरों के लिए येलो और आरेंज अलर्ट जारी किया है। 18-19 जनवरी को एक नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होगा। जिसके असर से तापमान में 2-4 डिग्री की बढ़ोतरी होगी और शीतलहर से राहत मिलेगी। वहीं इस बार पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय रहेगा। जिसके कारण 22-24 जनवरी के बीच कुछ स्थानों पर मावठ भी हो सकती है।
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सोमवार सुबह प्रदेश में कई जिलों में खेतों की मेड़ और फसलों पर बर्फ की परतें जमी हुई नजर आई। भीलवाड़ा जिले के उरणा गांव में खेतों में खड़ी सरसों की फसल सफेद बर्फ की चादर की तरह ढकी हुई नजर आई। पेयजल लाइन के पाइप में भी बर्फ निकली वही वाहनों पर और दीवारों पर बर्फ की चादर दिखाई दी। वही किसानों ने फसलों को शीतलहर से बचाने के लिए अपने खेत की मेड पर धुआ किया ताकि शीत लहर के प्रकोप से फसल को बचाया जा सके। वही किसानों ने फसलों में नुकसान की आशंका जताई है।
जयपुर जिले की तहसील क्षेत्र कोटखावदा में पाला पड़ने से सोमवार सुबह फसलों पर जमी बर्फ को देखकर किसानों की चिंता बढ़ गई। यहां क्षेत्र में जैसे सुबह किसान खेतों पर पहुंचे तो किसानों ने फसलों को देखा तो फसलों पर पाला पड़ने के कारण बर्फ जमी हुई नजर आई। जिसको देखते ही किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई और जब किसानों ने फसलों से जमी बर्फ को हाथ में लिया तो कराह उठा। किसान राजकुमार चौधरी जगरामपुरा, मुकेश शर्मा नरोत्तमपुरा, ओमप्रकाश व गिर्राज बैरवा सहित कई किसानों ने बताया कि फसलों पर पाला पड़ने से फसलों में नुकसान हुआ है। जिससे किसान को आर्थिक नुकसान तो होगा ही साथ ही उसकी कड़ाके की ठंड में की गई मेहनत भी बेकार हो रही है।
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वहीं किसानों ने बताया कि सुबह 10:30 बजे तक भी पाला पड़ने के बाद जमी बर्फ फसलों पर नजर आई। ऐसे में किसानों की चिंता बढ़ गई है और किसान दिनभर अपनी फसलों को देखते और बचाव के उपाय करते नजर आए। सहायक कृषि अधिकारी कोटखावदा आलोक शर्मा व सहायक कृषि अधिकारी गरुड़वासी घनश्याम शर्मा ने बताया कि किसानों को फसलों से बचाव के उपाय बताए जा रहे हैं। साथ ही आज पाला पड़ने से फसलों में हुए नुकसान की जानकारी लगभग 2 से 3 दिन बाद पूर्णरूप से सही मिल पाएगी।
सहायक कृषि अधिकारी आलोक शर्मा व घनश्याम शर्मा ने बताया कि किसानों को फसलों से बचाव के लिए गंधक के तेजाब का 0.1 प्रतिशत अर्थात एक हजार लीटर पानी में 1 लीटर शांद्र गंधक का तेजाब मिलाकर घोल तैयार करके एवं फसल पर छिड़काव करे अथवा घुलनशील गंधक के 0.2% घोल का छिड़काव भी फसलों में कर सकते है। वहीं उन्होंने बताया कि खेत की उत्तर पश्चिम दिशा में जिधर से शीतलहर आती है। फसलों के अवशेष, कूड़ा करकट, घास- फूस जलाकर धुंआ करें। पाले के दिनों में फसलों की सिंचाई करने से भी पाले का असर कम होता है।यह उपाय अपनाकर किसान अपनी फसलों को पाले के नुकसान से बचा सकते हैं।