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Rajasthan : फिल्मकार सत्यजीत रे की फिल्म ने जोड़ा जैसलमेर से बंगाल का अनोखा रिश्ता, कैसे, इस रहस्य को जानें

Rajasthan : महान फिल्मकार सत्यजीत रे की वर्ष 1974 में प्रदर्शित बांग्ला फिल्म ‘सोनार केल्ला’ यानि सोनार किले जैसलमेर का जादू बंगालियों पर आज 51 वर्ष के बाद भी बरकरार है।

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Filmmaker Satyajit Ray Film Linked Jaisalmer Rajasthan to Bengal unique relationship how to know this secret

जैसलमेर सोनार किला। फोटो पत्रिका

Rajasthan : महान फिल्मकार सत्यजीत रे की वर्ष 1974 में प्रदर्शित बांग्ला फिल्म ‘सोनार केल्ला’ का जादू बंगालियों पर आज 51 वर्ष के बाद भी बरकरार है। फिल्म को देखने के बाद बंगाल के लोगों की रुचि जैसलमेर के इस अजूबे किले में जगी और तब से अब तक लगातार इस किले को देखने के लिए आ रहे हैं। राजस्थान में भी अक्टूबर से पर्यटन सीजन शुरू हो रहा है जिसमें इस किले को देखने के लिए दिवाली तक करीब 30,000 बंगाली पर्यटकों के आने के उम्मीद है। इसी दौरान जैसलमेर मिनी बंगाल में बदल जाता है। व्यवसायियों के अनुसार इस बार यहां करीब 60 करोड़ रुपए का व्यवसाय होगा।

किले में की थी फिल्म की शूटिंग

सत्यजीत रे ने किले की वास्तुकला से प्रभावित होकर फिल्म की शूटिंग यहीं की थी। फिल्म का अधिकांश हिस्सा किले में ही फिल्माया गया था। यह फिल्म इस किले के लिए बहुत प्रसिद्ध हुई और इसके बाद यह किला पर्यटकों के बीच और भी मशहूर हो गया।

सस्पेंस थ्रिलर, सौमित्र बने जासूस

सोनार केल्ला (द गोल्डन फोट्रेस) फिल्म सत्यजीत रे के 1971 में लिखे रहस्य उपन्यास पर आधारित है, जो एक युवा लड़के के बारे में है, जो दावा करता है कि वह पिछले जन्म में जैसलमेर के एक किले में रहता था और एक जासूस उसकी मदद करता है। यह फिल्म जैसलमेर के ‘जीवित किले’ के चित्रण के लिए जानी जाती है, जो किले की दीवारों के भीतर एक शहर है, और इसमें सौमित्र चटर्जी ने प्रसिद्ध जासूस फेलुदा की भूमिका निभाई है। यह फिल्म सोशल मीडिया पर भी उपलब्ध है।

सैलानियों का अलग ही अंदाज

बंगाली सैलानियों की पहचान भी खास रहती है। छाते, टोपी और चश्मों के साथ समूह में घूमते ये पर्यटक आसानी से पहचाने जाते हैं। ये प्राय: ट्रेन, बस या दिल्ली-जयपुर से सफर कर जैसलमेर पहुंचते हैं। पर्यटन व्यवसायी आनंदसिंह तंवर का मानना है कि सादगी पसंद और मितव्ययी माने जाने वाले ये सैलानी हर साल दिवाली तक स्थानीय पर्यटन को मजबूत सहारा देते हैं। स्थानीय गाइड्स और होटेलियर्स ने भी इनके लिए विशेष व्यवस्था कर रखी है।

01 माह तक बंगाली पर्यटकों की विशेष आवक।
30 हजार के करीब सैलानियों के आने की संभावना।
60 करोड़ का व्यवसाय पर्यटन को मिलने की उम्मीद।
1980 के दशक से लगातार जारी है आने का सिलसिला।