
Pokhran Firing Range (Patrika Photo)
जैसलमेर: एशिया की दूसरी बड़ी रेंज में शुमार पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज कई हथियारों, तोपों, टैंक और मिसाइलों के परीक्षण की गवाह रही है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बीच यहां वर्षभर परीक्षण और युद्धाभ्यास चलते रहते हैं।
बता दें कि करीब 20 हजार एकड़ में फैली इस रेंज में थल और वायु सेना से संबंधित युद्धाभ्यास के साथ परीक्षण होते हैं। सेना में शामिल होने से पहले मिसाइल, तोप और अन्य हथियारों का पोकरण फायरिंग रेंज में परीक्षण अवश्य होता है। इसके बाद ही उन्हें सेना में शामिल किया जाता है।
यहां भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी हैं, जिसके कारण यहां गर्मी के मौसम में तापमान 50 डिग्री तक पहुंचता है तो सर्दी में 0 व माइनस 1 व 2 डिग्री तक। ऐसे में देश की सीमाओं पर हर तरह के मौसम को देखते हुए यहां हथियारों का परीक्षण सफल होने के बाद ही सेना में शामिल किया जाता है।
-रक्षा अनुसंधान विकास संगठन डीआरडीओ की ओर से एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल नाग व उसके अत्याधुनिक वर्जन
-ब्रह्मोस मिसाइल-2, जिसका लक्ष्य 58 किलोमीटर दूर था
-एम 777 अल्ट्रा लाइट होविट्जर्स तोप, डायरेक्ट व इनडायरेक्ट फायर
-टी-90 भीष्म टैंक
-वायुसेना की ओर से वायुशक्ति युद्धाभ्यास के तहत फ्रंट लाइन एयरक्राफ्ट की ताकत का परीक्षण
-अर्जुन टैंक के अपग्रेड वर्जन
-पिनाक, स्मच्र, होविट्जर्स, धनुष, आकाश जैसे युद्धक हथियार
-वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम मिसाइल
-पिनाका एमके-1 के साथ स्वदेशी मिसाइल नाग
Published on:
16 Aug 2025 07:55 am
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