
2019 में हुए बड़े फैसले, जम्मू-कश्मीर का इतिहास और भूगोल दोनों बदले
(जम्मू,योगेश): समापन के मुहाने पर खड़ा साल 2019 जम्मू और कश्मीर के लिए बड़ा बदलाव भरा रहा जिसने ना केवल इतिहास बल्कि राज्य के भूगोल को भी बदल कर रख दिया।
देश में पहली बार हुआ यह काम...
केंद्र सरकार के फैसले के बाद 72 वर्षों से विशेष राज्य का दर्जा हासिल करने वाले जम्मू—कश्मीर को गत 31 अक्टूबर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में बदल दिया गया। यह पहली बार था जब किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया गया था। 5 अगस्त को सरकार के घोषणा किए जाने के बाद संसद के दोनों सदनों में अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने और दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के प्रस्ताव को बहुमत मिला।
पुलवामा हमला जिसने देश को दहला दिया...
इससे पहले जम्मू—कश्मीर 14 फरवरी को देश को हिलाकर रख देने वाले आतंकी हमले का गवाह बना। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर ने 100 किलो से अधिक विस्फोटक से भरे वाहन से सीआरपीएफ के काफिले को टक्कर मार दी थी। इस फिदायीन हमले में सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हो गए थे। पुलवामा की घटना ने व्यापक आक्रोश पैदा किया। केंद्र सरकार ने आतंकवाद को माकूल जवाब देने की ठानी।
IAF ने दिखाया शौर्य— ''एयर स्ट्राइक ''
26 फरवरी को, भारतीय वायुसेना जेट्स ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर पर हमला (Air Strike) किया। यह पहली बार था जब भारत ने 1971 के बाद से पाकिस्तानी क्षेत्र में कोई हमला किया। पाकिस्तान वायु सेना ने अगले दिन जम्मू और कश्मीर के अंदर हमले किए, लेकिन भारतीय वायु सेना ने तेजी से प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिससे हवाई हमले हुए। विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान ने एक पुरानी मिग 21 बाइसन को उड़ाते हुए, पाकिस्तानी वायु सेना के एक बहुत बेहतर एफ -16 को गोली मार दी, इससे पहले कि वह नीचे लाया गया और पाकिस्तान सेना द्धारा उस पर कब्जा कर लिया गया। हालाँकि, उन्हें दो दिन बाद भारत वापस सौंप दिया गया था। जबकि हवाई डॉगफाइट में प्राप्त ऊपरी हाथ पर देश भर में खुशी थी, आईएएफ ने छह अधिकारियों को खो दिया, जो 27 फरवरी को एक हेलीकॉप्टर में सवार थे जिसे पाकिस्तानी विमान समझ कर अपने ही सहयोगियों ने कश्मीर में उडा दिया। बडगाम जिले के एक गांव के बाहर हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे स्थानीय युवा मारा गया।
घाटी में कड़े प्रतिबंध
केंद्र सरकार ने सुरक्षा के लिहाज से बेहतर कदम उठाते हुए अनुच्छेद 370 और 35 ए के प्रावधानों को निरस्त करने के बाद दशकों पुराने अलगाववादी आंदोलन को कुचल कर रख दिया। कश्मीर और जम्मू के इलाको में लोगों की आवाजाही और संचार प्रणालियों पर कड़े प्रतिबंध लागू किए। जम्मू-कश्मीर, लेह में हर नुक्कड़ पर अर्धसैनिक बल और पुलिस को तैनात किया गया।
स्थानीय नेताओं की नजरबंदी
तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों - फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित मुख्यधारा और अलगाववादी शिविरों के सैकड़ों राजनीतिक नेताओं को प्रतिबंधात्मक हिरासत में ले लिया गया। तीन बार के मुख्यमंत्री, फारूक अब्दुल्ला को बाद में सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत बंद किया गया था। यही कानून उनके पिता शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने 1978 में लकड़ी के तस्करों से निपटने के लिए लागू किया था, लेकिन 1990 के बाद की सरकारों ने उग्रवाद और अलगाववादी आंदोलन के लिए इस्तेमाल किया।
सख्ती से लागू किया कर्फ्यू
सरकार ने कर्फ्यू लगाया और इसे सख्ती से लागू किया, इंटरनेट सेवाओं सहित संचार के सभी साधनों को तोड़ दिया, केबल टीवी सेवाओं को निलंबित कर दिया और सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया। तथापि कश्मीर में पथराव की सैकड़ों घटनाएं हुईं लेकिन कर्फ्यू को सख्ती से लागू करने का मतलब था कि बड़ी सभाओं को टाला गया और सुरक्षा बलों को विरोध प्रदर्शनों से निपटना पड़ा जो बड़े पैमाने पर स्थानीय थे। सरकार ने जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने के निर्णय के 15 दिनों के भीतर लगभग पूरी घाटी से कर्फ्यू हटा लिया, कश्मीर में बंद लगभग 120 दिनों तक चला। इस अवधि के लिए स्कूल और शैक्षणिक संस्थान बंद रहे लेकिन शेड्यूल के अनुसार परीक्षाएँ आयोजित की गईं।
गवर्नर विदा, मुर्मू बने LG
सत्य पाल मलिक जम्मू और कश्मीर राज्य के अंतिम गवर्नर बने। गिरीश चंदर मुर्मू ने पहले उपराज्यपाल के रूप में शपथ लीइतिहास भूगोल के साथ-साथ सरकार ने इतिहास में भी नया बदलाव कर डाला।
शहीदी दिवस और शेख जयंती को विदाई...
नए जम्मू—कश्मीर में अब शहीदी दिवस (13 जुलाई) और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला के पिता मरहूम शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की जयंती (05 दिसंबर) पर अवकाश न दे कर प्रशासन ने विलय दिवस पर 26 अक्टूबर को राजकीय अवकाश घोषित किया है। इससे पहले लद्दाख ने भी अपना कैलेंडर जारी करते हुए शहीदी दिवस और शेख अब्दुल्ला की जयंती पर अवकाश रद्द कर दिया है और लोसर पर्व पर नया अवकाश घोषित किया। जम्मू—कश्मीर के भारत में विलय के लगभग 72 साल बाद विलय दिवस पर अवकाश का एलान हुआ है।
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Published on:
30 Dec 2019 05:28 pm
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