
जांजगीर-चांपा. कलेक्टोरेट परिसर के पीछे हरिहर छत्तीसगढ़ योजना के तहत लाखों रुपए खर्च कर विभिन्न किस्मों के 6250 पौधे आग से जलकर खाक हो गए। आग कैसे लगी इसकी जानकारी स्पष्ट नहीं है, लेकिन हरियाली के लिए लगाए गए पौधे की सुरक्षा की जिम्मेदारी पर बड़ा सवाल उठने लगा है। क्योंकि पौधरोपण अभियान में सांसद, विधायक, कलेक्टर, एसपी सहित आला अफसरों के नाम की तख्ती तक जलकर खाक हो चुके हैं। फिलहाल दमकल के माध्यम से आग पर काबू पा लिया गया है। आग से सारे के सारे पौधे जलकर खाक हो गए हैं। आने वाले बारिश के दिनों में इतने में कितने पौधे फिर से कोपलें निकाल पाएंगे यह कहा नहीं जा सकता।
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हरिहर छत्तीसगढ़ योजना कार्यक्रम 2016 के तहत छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम कोटा परियोजना बिलासपुर के दिशा निर्देशन में जांजगीर कलेक्टोरेट परिसर के पिछले हिस्से में ढाई हेक्टेयर में रोपित प्रजाति के आम, नीम, कटहल सहित दो दर्जन प्रकार के पौधे लगाए गए थे। इन दिनों पौधों में हरियारी छाई थी, लेकिन शुक्रवार की सुबह तकरीबन 12 बजे हरियाली पर किसी की नजर पड़ गई। उद्यान के करीब लोगों ने अचानक आग की लपटें नजर आई।
देखते ही देखते आग धू-धूकर जलने लगा। आग इतना भयावह था कि उसे आसानी से बुझा पाना संभव नहीं था। मौके पर मौजूद लोगों ने मामले की सूचना दमकल को दी। तकरीबन आधे घंटे बाद दमकल पहुंचा और आग बुझाने प्रयास किया। दमकल के पहुंचते तक आग उद्यान को पूरी तरह से अपनी चपेट में ले लिया और धू-धूकर सारे के सारे पौधे जलकर खाक हो गए।
रखवाली भगवान भरोसे
आग को बुझाने यदि दमकल नहीं बुलाया जाता तो आग की लपटें अपनी भयावह रूप ले सकता था। क्योंकि आसपास में और भी उद्यानों में हरियाली छाई हुई है। वन विभाग ने हरियाली लाने योजना के तहत व्यापक रूप में पौधे तो लगा रहे, लेकिन हरियाली को सुरक्षित रखने किसी तरह का चौकीदार की व्यवस्था नहीं की है। जिसके चलते लाखों खर्च कर लगाए गए पौधे जलकर खाक हो गए।
इस तरह के पौधे हुए खाक
उद्यान में रोपित प्रजाति के पौधे लगाए गए थे। जिसमें आम, नीम, स्पेसोडिया, गुलमोहर, शिशु, कटहल, बादाम, नारियल, पेल्टाफार्म, आंवला, बेल, बोगनबिलया, अर्जुन, इमली, करंज आदि पौधे लगाए गए थे। पौधे लगभग पांच-पांच फीट के हो चुके थे। यदि इसकी रखवाली भलिभांति की जाती तो आगे चलकर यह पौधे लाखों रुपए के हो सकते थे।
वन विभाग का अमला बेखबर
वन विभाग ने कलेक्टोरेट परिसर में लाखों खर्च कर पौधे तो लगा दिए, लेकिन इसके रखरखाव के लिए आज तक ध्यान नहीं दिया। यही वजह है कि जिले में पौधरोपण योजना का बुरा हाल है। शुक्रवार को जब कलेक्टोरेट परिसर के पीछे लगे उद्यान में जब आग लगी तब वन विभाग के अफसरों को फोन कर आगजनी की जानकारी दी गई। इसके बाद भी वन विभाग का अमला आगजनी वाले स्थल में कोई नहीं पहुंचा। डीएफओ को फोन कर आगजनी की जानकारी दी गई तब उन्होंने फोन नहीं उठाया। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभागीय अफसर कितना संजीदा हैं।
Published on:
11 May 2018 07:22 pm
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