गांव के अनिल राठौर का गढ़पारा के पास निजी भूमि है। वहीं पर एक शासकीय भूमि भी है जहां से उनका आवागमन होता है। इस शासकीय भूमि खसरा नंबर 1830 रकबा 30 डिसमिल में पास के ही भरत लाल राठौर द्वारा अनाधिकृत रूप से मकान बनाया जा रहा है। इस मामले को लेकर अनिल राठौर ने तहसीलदार के कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत किया था। इस मामले में तहसीलदार ने भरत लाल राठौर को नोटिस देकर स्थगन आदेश दिया था। जिस पर भरत लाल राठौर को तहसीलदार ने नोटिस देकर 6 जनवरी 2018 को न्यायालय में उपस्थित होने कहा था। भरत लाल राठौर न्यायालय में उपस्थित जरूर हुआ, लेकिन वह मकान बनाना बंद नहीं किया। इसके बाद अनिल राठौर ने तहसीलदार को फिर रिमाइंडर किया था। लेकिन रिमाइंडर का तहसीलदार पर कोई असर नहीं पड़ा। अलबत्ता भरत लाल राठौर का मकान पूरी तरह से बन गया। वहीं राजस्व अफसर आंख मूंदे बैठी है।
खुलेआम दे रहा धमकी
कानून व्यवस्था को बनाने बिगाडऩे में काफी हद तक हाथ प्रशासन का भी होता है। क्योंकि गड़बड़ी की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई नहीं होती। शिकायतकर्ता अनिल राठौर ने बताया कि कोर्ट से स्टे के बाद भी भरत लाल द्वारा सरकारी भूमि पर मकान निर्माण किया जा रहा है। कोर्ट से स्टे मिलने के बाद भी उसकी अकड़ नहीं जा रही है। अतिक्रमणकारी भरत लाल राठौर का कहना है कि चाहे जहां भी शिकायत कर लो उसका कोई कुछ बिगाड़ नहीं पाएगा। दो दिन पहले दोनों पक्षों के बीच विवाद भी हुआ। इसके बाद भी प्रशासन को कोई सरोकार नहीं है।