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नोटबंदी के दो साल बाद भी प्रभावित है 40 फीसदी उद्योगों का उत्पदान, सिर्फ डिजिटल लेनदेन में हुई बढ़ोतरी

locationजोधपुरPublished: Nov 11, 2018 12:07:33 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

देश में काले धन सामने लाने, आतंकी संगठनों को फंडिंग पर लगाम व नकली नोटों के बढऩे की समस्या के समाधान के नाम पर 500 व 1 हजार रुपए के नोटों को प्रचलन से बाहर किया गया था। लेकिन ये उद्देश्य पूरे होते नजर नहीं आ रहे।

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जोधपुर. देश में दो वर्ष पहले 8 नवम्बर 2016 को नोटबंदी की घोषणा के बाद डिजिटल लेनदेन तो बढ़ा, लेकिन उद्योग और व्यापार अब तक इसके साइड इफैक्ट से उबर नहीं पाए हैं। उद्योग-धंधे नोटबंदी का दंश झेल रहे हैं। इससे उद्योगों की कमर टूट गई और कई लोग बेरोजगार हो गए। देश में काले धन सामने लाने, आतंकी संगठनों को फंडिंग पर लगाम व नकली नोटों के बढऩे की समस्या के समाधान के नाम पर 500 व 1 हजार रुपए के नोटों को प्रचलन से बाहर किया गया था। लेकिन ये उद्देश्य पूरे होते नजर नहीं आ रहे।
छोटे उद्योग ज्यादा प्रभावित

जोधपुर में लघु व मध्यम उद्योग ज्यादा हैं। इनका अधिकांश व्यापार कैश आधारित है। आज भी 40 प्रतिशत उद्योगों का उत्पादन प्रभावित है। नोटबंदी के शुरुआती दौर में कई लघु इकाइयां बंद हो गई, बड़ी संख्या में मजदूर पलायन कर गए तथा कई उद्यमियों ने धंधे बंद कर दिए थे। इस वजह से लघु व मध्यम उद्यमी प्रतिस्पर्धा में पिछड़ गए।
डिजिटल लिटे्रसी की दरकार
विशेषज्ञों के अनुसार डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए पर्याप्त डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर व डिजिटल लिट्रेसी की दरकार है। नोटबंदी के चलते शुरुआती दौर में बैंकों में करेंसी की कम उपलब्धता के चलते डिजिटल लेनदेन विकल्प के रूप सामने आया। पिछले दो सालों में डिजिटल लेनदेन में वृद्धि हुई है। लेकिन आज भी एक बड़ा वर्ग डिजिटल पेमेंट सिस्टम से अनजान है।
अब बढ़ रहा है बिजनेस
‘लघु-मध्यम उद्योग में कैश से ही व्यापार होता था। नोटबंदी की शुरुआत में कैश हटने से उद्योग-धंधे प्रभावित हुए। बाजार में कैश का फ्लो कम हो गया। बाद में कैश का सही फ्लो होते ही व्यापार व बाजार सही चलने लगे। बिजनेस बढ़ रहा है, नोटबंदी के अच्छे परिणाम आ रहे हैं।
राजेन्द्र राठी, प्रदेश उपाध्यक्ष लघु उद्योग भारती

काले अध्याय के रूप में याद रखा जाएगा

‘अधूरी तैयारी के साथ थोपी गई नोटबंदी को काले अध्याय के रूप में याद रखा जाएगा। इससे कालाधन सामने आने के दावे खोखले साबित हुए हैं।
सुनिल परिहार, पूर्व राजसीको अध्यक्ष

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