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अगर आपका चेक भी हुआ है बाउंस, तो जाना पड़ सकता है जेल, एक्शन मोड में विशेष पायलट स्टडी कोर्ट

न्यायालय ने चार अलग-अलग मामलों में आरोपियों पर 10.90 लाख रुपए का जुर्माना लगाया।

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जोधपुर। चेक अनादरण मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए बनी विशेष पायलट स्टडी कोर्ट (एनआइ एक्ट) के न्यायाधीश सिद्धेश्वर पूरी ने चेक अनादरण के बढ़ते मामलों को गंभीरता से लेते हुए चार मामलों का निस्तारण किया। पीठासीन अधिकारी ने फैसले में लिखा कि वर्तमान समय में व्यापारिक गतिविधियों के लिए बैंकिंग चैक से संव्यवहार होता है। इनके अनादरण की बढ़ती घटनाओं से आर्थिक गतिविधियों और विश्वसनीयता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है,ऐसे मामलों में रियायत नहीं दी जा सकती।


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न्यायालय ने चार अलग-अलग मामलों में आरोपियों पर 10.90 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। बासनी निवासी नरेशकुमार ने रातानाडा निवासी महेंद्रसिंह के खिलाफ 1.57 लाख का चेक रिटर्न का मुकदमा लगाया। कोर्ट ने आरोपी को एक वर्ष की सजा तथा 2.40 लाख जुर्माने की सजा सुनाई। हाउङ्क्षसग बोर्ड निवासी मनीष व्यास ने पीडब्ल्यूडी कॉलोनी निवासी चंद्रप्रकाश के खिलाफ परिवाद पेश किया, कोर्ट ने आरोपी को एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत दोषी ठहराते हुए एक वर्ष के साधारण कारावास तथा चार लाख रुपए का जुर्माना लगाया। तीसरे मामले में रातानाडा निवासी गोवर्धन ने भोपालगढ़ निवासी मनोहर के खिलाफ परिवाद दिया। कोर्ट ने आरोपी को 6 माह के कारावास तथा 1.15 लाख का जुर्माना लगाया। चौथे मामले में प्रतापनगर निवासी महेश ने सुभाषचौक निवासी तरुण के खिलाफ परिवाद पेश किया। कोर्ट ने आरोपी को एक वर्ष की जेल तथा 3.35 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।

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4.50 लाख का जुर्माना

चेक अनादरण के ही एक अन्य मामले में विशिष्ट महानगर मजिस्ट्रेट (एनआई एक्ट संख्या 8) की पीठासीन अधिकारी स्वाति चौधरी ने 6 वर्ष पुराने मामले का फैसला करते हुए आरोपी को 6 माह के साधारण कारावास के अलावा 4.50 लाख रुपए क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया। रातानाडा राजेश राठी ने अधिवक्ता मनोहरलाल पालीवाल के मार्फत न्यायालय में परिवाद पेश कर बताया कि वर्ष 2017 में परिवादी ने परिचित शाहनवाज को 3.22 लाख रुपए उधार दिए,बदले मे दिये दो चेक बिना भुगतान के रिटर्न हो गए। आरोपी की ओर से कहा गया कि पैसों का भुगतान किया जा चुका है, झूठा फसाया है।कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद रातानाडा निवासी शाहनवाज पुत्र गुलाम हैदर को सजा सुनाई।