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जोधपुर। 'मैं प्रेमनाथ सब इंस्पेक्टर बोल रहा हूं राजीव गांधी नगर थाने से। थाने में 89 नम्बर मुकदमा दर्ज है। उसमें आपका नाम लिखाया है। आपको नामजद आरोपी बनाया है। आपको थाने आना पड़ेगा। यदि नहीं आओगे तो हम खुद आ जाएंगे।' 20 हजार रुपए की रिश्वत लेने के मामले में फरार मुख्य आरोपी उप निरीक्षक प्रेमनाथ ने कुछ इस तरह से भूखण्ड पर कब्जा करने के मामले की जांच में प्रॉपर्टी व्यवसायी व अन्य लोगों को फोन कर धमकाया था। जबकि उप निरीक्षक ने बतौर जांच अधिकारी कोई नोटिस तक नहीं दिया था।
एसीबी सूत्रों के अनुसार राजीव गांधी थाने के बाहर 20 हजार रुपए रिश्वत लेने पर थानाधिकारी के रीडर कांस्टेबल भविष्य कुमार को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था। उसे शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया। रिश्वत लेने का मुख्य आरोपी उप निरीक्षक प्रेमनाथ फरार हो गया था। वह 2018 बैच का उप निरीक्षक है।
गौरतलब है कि सागर गहलोत ने भूभूताराम बिश्नोई व अन्य के खिलाफ धमकियां देने व भूखण्ड पर कब्जा करने का मामला दर्ज करवा रखा है। जांच एसआइ प्रेमनाथ के पास है। नाम निकालने की एवज में उसने 30 हजार रुपए रिश्वत मांगे थे। फिर 20 हजार रुपए लेने पर सहमति जताई गई थी।
एसीबी ने गुरुवार देर शाम एसआइ प्रेमनाथ व कांस्टेबल को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ने की योजना बनाई थी। परिवादी कार से थाने के बाहर पहुंचा तो कांस्टेबल भविष्य कुमार बाहर आकर कार में बैठ गया। परिवादी ने कार कुछ आगे ले जाकर कांस्टेबल को 20 हजार रुपए दिए थे। एसीबी को वहीं पर कांस्टेबल को पकड़ना था, लेकिन कांस्टेबल ने परिवादी पर वापस थाने छोड़ने का दबाव डाला था।
परिवादी कार लेकर थाने आ गया था। तभी एसीबी ने घेराबंदी कर कांस्टेबल भविष्य कुमार को रंगे हाथों पकड़ लिया था। उस समय थाने में सभी पुलिसकर्मी रोल कॉल से छूटे ही थे। कार्रवाई का पता लगते ही थाने में हड़कम्प मच गया था और एसआइ प्रेमनाथ व 20-25 पुलिसकर्मी थाना छोड़कर भाग गए थे।
एसआइ के बोल…मैं व्हाट्सऐप पर नोटिस भेज देता हूं
(प्रेमनाथ व प्रॉपर्टी व्यवसायी के बीच फोन पर बातचीत के प्रमुख अंश…)
एसआइ प्रेमनाथ : मेरे को आपसे बात करनी है। क्या करते हैं आप?
व्यवसायी : मैं प्रॉपर्टी व्यवसायी हूं। बनाड़ में रहता हूं। आप कौन बोल रहे हैं?
एसआइ : मैं प्रेमनाथ सब इंस्पेक्टर बोल रहा हूं। 89 नम्बर मुकदमा है राजीव गांधी नगर थाने में। जिसमें आपका नाम है। आप नामजद आरोपी हैं। आपको थाने आना पड़ेगा।
व्यवसायी : क्या मुकदमा है? मेरा नाम क्या है? मुकदमा आपके पास आया है या मेरे पास आया? आ जाओ पहले नोटिस दे दो।
एसआइ : नोटिस भेज देंगे। आपको आना पड़ेगा। आप नामजद आरोपी हैं। आपको पता होना चाहिए। आप परिवादी पार्टी को प्लॉट पर जाकर धमकाकर आए हो।
व्यवसायी : कैसा मुकदमा है।
एसआइ : मैं बता रहा हूं ना। मुकदमा दर्ज है। आप हाइपर मत होइये। थाने आओगे तब बताएंगे।
व्यवसायी : पहले यहां आकर नोटिस दे दो।
एसआइ : मैं व्हाट्सऐप पर नोटिस भेज देता हूं।
व्यवसायी : व्हाट्सऐप पर नहीं चलेगा। तामील नहीं होगा। यहां आकर नोटिस देना होगा। व्हाट्सऐप कर देंगे।
एसआइ : नहीं आओगे तो हम खुद आ जाएंगे।
व्यवसायी : ओ भाई साब, ध्यान रख लेना। पुलिस वाली धमकी अपने पास रखे लो। मुझे मालूम होना चाहिए किस बात का मुकदमा है। आप मुझे बकायदा नोटिस दो। आकर जवाब दूंगा।
एसआइ : वो सारी चीज फोन पर बता दी है। थाने आ जाओ पता लग जाएगा। नहीं तो हम खुद आ जाएंगे लेने।
एसआइ आरोपी है, पकड़ा नहीं गया…
सत्यापन में उप निरीक्षक प्रेमनाथ की रिश्वत मांगने की स्पष्ट भूमिका है। रिश्वत लेने से ठीक पहले कांस्टेबल ने थानेदार से कहा था कि आदमी आ गया है। उप निरीक्षक ने उससे कहा था कि ठीक है ले लो। प्रेमनाथ पकड़ा नहीं जा सका। तलाश की जा रही है।
ओमप्रकाश चौधरी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, एसीबी स्पेशल यूनिट जोधपुर
Published on:
20 Dec 2025 03:46 pm
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