
जोधपुर। तरंशक्ति युद्धाभ्यास के दौरान स्वदेशी लाइट कॉम्बेक्ट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस के पायलट विशेष हेलमेट एमएसए गैलेट एलए-100 पहने नजर आए। ये हेलमेट लड़ाकू विमानों की विपरित परिस्थितियों को ध्यान में रखकर डिजाइन किए गए हैं।
वायुसेना ने 2022 में ऐसे हेलमेट का ऑर्डर दिया था। वर्तमान में केवल रफाल की स्क्वाड्रन ही ऐसे हेलमेट का प्रयोग कर रही है। तेजस और अन्य लड़ाकू विमानों के पायलट का एमएसए गैलेट एलए-100 हेलमेट पहनना भारतीय वायुसेना के पूरी तरीके से आधुनिकीकरण की ओर संकेत है।
1. विंडब्लास्ट रजिस्टेंस: तेज गति से उड़ रहे लड़ाकू विमान के पायलट को ऑक्सीजन की आपूर्ति और तेज हवा के विरुद्ध यह हेलमेट विंडब्लास्ट रजिस्टेंस (तेज हवा के विरुद्ध प्रतिरोध) प्रदान करता है। इससे पायलट आसानी से सुपरसोनिक गति में जा सकता है।
2. बाहर निकलना आसान : यह हेलमेट हल्का है। इमरजेंसी के दौरान कॉकपिट से इजेक्शन (बाहर निकलना) प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। ऑक्सीजन मास्क को बेहतरीन इंजीनियरिंग से सेट किया गया है।
3. जी फोर्स रेजिलिएशन: हेलमेट की हल्की संरचना उच्च जी-फोर्स युद्धाभ्यास के दौरान अधिकतम आराम प्रदान करती है। थकान को कम करने के साथ पायलट की अधिक समय तक हवा में रहने की क्षमता बढ़ाती है।
4. एडवांस विजर सिस्टम: हेलमेट में यूवी और इंफ्रारेड से बचाव के लिए सोलर विजर सिस्टम लगाया है। लॉ विजिबिलिटी के समय भी विशेष विजर दिया गया है, ताकि पायलट आसानी से देख सके।
5. पॉलीस्टाइनिन: हेलमेट में पॉलीस्टाइनिन की आंतरिक पैडिंग दी गई है, जो उच्च गति के दौरान स्थिरता देती है।
6. फाइबर: विशेष फाइबर संभावित दुर्घटनाओं के समय झटके सहन करने में सक्षम है।
Published on:
12 Sept 2024 09:39 am
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