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11 लोगों ने 37 साल पहले की थी ऐसे काम की शुरुआत, आज हजारों लोगों की इस तरह कर रहे सेवा

राठी ने बताया कि परिक्रमा में श्रद्धालु भगवान की तरह हैं, जिनका मान-सम्मान कर भोजन के लिए पाण्डाल में बुलाते हैं

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जोधपुर। भोगिशैल परिक्रमा में विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ श्री मित्र सेवा समिति आडा बाजार भी अग्रणी भूमिका में है। आज से करीब 37 साल पहले 1986 में 11 सेवाभावी लोगों ने भोगिशैल परिक्रमा में सेवा का कारवां शुरू किया था, जो आज वटवृक्ष बन गया। समिति में आज करीब 155 सदस्य हैं, जो सेवा दे रहे हैं। समिति की ओर से परिक्रमा के हर पड़ाव स्थल पर श्रद्धालुओं को नि:शुल्क चाय-नाश्ता व सुबह-शाम भोजन के साथ प्राथमिक चिकित्सा की भी व्यवस्था की गई है।

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घर जैसा खाना व आवभगत

राठी ने बताया कि परिक्रमा में श्रद्धालु भगवान की तरह हैं, जिनका मान-सम्मान कर भोजन के लिए पाण्डाल में बुलाते हैं। वहीं, खाने के लिए बाजोट पर आराम से खाना खिलाते हैं। खाना शुद्ध देसी घी व अच्छी गुणवत्ता वाले मूंगफली तेल में घर जैसा बना होता है। प्रतिदिन सुबह-शाम 3-4 हजार श्रद्धालु भोजन ग्रहण कर रहे हैं। समिति के संस्थापक सदस्य अजय राठी ने बताया कि सात दिवसीय परिक्रमा में सेवा कार्य के लिए किसी से चन्दा नहीं लेते है। सभी सदस्यों से ही सहयोग राशि ली जाती है।

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78 साल से संचालित हो रही महेश प्याऊ

वहीं माहेश्वरी बंधुओं की ओर से संचालित की जा रही महेश प्याऊ की स्थापना वर्ष 1945 में अमरचंद माछर, शंकर मूंदड़ा, मंछाराम लोहिया, जुगल धूत, कैलाश सारडा , इंदौरी लाल, पुखराज मोदी, जाजू, छोटसा माली, सोनी, मूलचंद नांदड सहित 20 सदस्यों ने की। उनमें से एकमात्र जीवित सदस्य मगराज फोफलिया ने बताया कि उस समय बहुत सीमित साधनों से प्याऊ चलाते थे। वर्तमान में इन सदस्यों की दूसरी व तीसरी पीढ़ी की ओर से महेश प्याऊ का संचालन किया जा रहा है।