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Navratri 2024: साल में केवल 18 दिन ही खुलता है यह चमत्कारी मंदिर, 1 क्विंटल देसी घी से होता है हवन, 15 सौ फीट ऊंचाई पर बना

Navratri 2024: दुर्गाष्टमी पर मंदिर में प्रतिवर्ष मेला भरता है। मेले में करीब एक क्विंटल देशी घी से हवन में आहुुतियां देते हैं।

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Mahishasura Mardini Mata Mandir

Navratri 2024: खारिया मीठापुर शहर से 25 किलोमीटर दूर पडासला कला गांव की पहाड़ी पर बने महिषासुर मर्दिनी माता के प्राचीन मंदिर के प्रति क्षेत्र के लोगों में बड़ी आस्था है। विक्रम संवत 1921 में महामारी के दौरान गांव के एक व्यक्ति को स्वप्न में नई मूर्ति सोजत से आने का दृष्टांत हुआ तो उसने यह बात ग्रामीणों को बताई। ग्रामीणों ने पहाड़ पर जाकर देखा तो एक मूर्ति खंडित मिली। बाद में ग्रामीण बैल गाड़ियां लेकर जब सोजत पहुंचे तो वहां पर पडासलां कला नाम से देवी की मूर्ति मिली।

ग्रामीण मूर्ति को लेकर गांव आए और पहाड़ी पर मिली खंडित मूर्ति के पास मंदिर बनाया। कई साल तक श्रद्धालु पगडंडी के सहारे 15 सौ फीट की ऊंचाई पर बने मंदिर पहुंचकर दर्शन करते रहे। साल 1964 में क्षेत्र के एक व्यापारी की मनोकामना पूरी होने पर उसने 365 सीढ़ियों के निर्माण के साथ पहाड़ी पर बने निज मंदिर का विस्तार करवाया। दुर्गाष्टमी पर मंदिर में प्रतिवर्ष मेला भरता है। मेले में करीब एक क्विंटल देसी घी से हवन में आहुुतियां देते हैं।

सदियों से जुड़ी है आस्था

पडासला कलां के ग्रामीणो ने बताया कि यहां दूरदराज से लोग नवरात्रा में दर्शन करने आते है। साल में सिर्फ दो बार ही नवरात्रा में अखंड ज्योत प्रज्ज्वलित की जाती है। चैत्री नवरात्र व शारदीय नवरात्र के नौ दिन व शारदीय नवरात्रा के नौ दिन कुल 18 दिन ही साल में मंदिर खुलता है। वहीं नवरात्र शुरू होते ही निज मंदिर में ज्वारा बोए जाते हैं। किसान इन्हें देखकर अगले साल के शगुण मानते है। नवरात्र में यहां उत्सव जैसा माहौल रहता है, लेकिन साल के शेष 347 दिनों में यहां वीरानी छाई रहती है। शेष दिनों में ना पूजा होती है और ना ही कोई पुजारी मंदिर में रहता है। मंदिर में बलि प्रथा पूरी तरह बंद है।

सीढ़ियां चढ़कर भी नहीं होती थकावट

माता के प्रति लोगों की आस्था भी इतनी अटूट है कि नवरात्रि में भक्तों का जनसैलाब लगा ही रहता है। बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्ग भी इस मंदिर की करीब सीढ़ियां चढ़कर माता दरबार पहुंचकर शीश नवाते हैं। इतनी सीढ़ियां चढ़ने-उतरने के बाद भी माता के भक्त खुद को थका हुआ महसूस नहीं करते हैं।

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