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Rajasthan News: लिफ्ट कैनाल पाइपलाइन बिछाने की धीमी चाल, डेडलाइन में 4 महीने बचे… अभी इतना काम बाकी

Rajiv Gandhi Lift Canal: पश्चिमी राजस्थान के पांच जिलों के 76 लाख लोगों और हजारों औद्योगिक इकाइयों के लिए हिमालय का पानी अभी मृग मरीचिका बना हुआ है।

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Rajiv Gandhi Lift Canal work

अभिषेक सिंघल/ अविनाश केवलिया
जोधपुर। पश्चिमी राजस्थान के पांच जिलों के 76 लाख लोगों और हजारों औद्योगिक इकाइयों के लिए हिमालय का पानी अभी मृग मरीचिका बना हुआ है। प्रदेश की करीब दस प्रतिशत आबादी को अपनी प्यास बुझाने के लिए और संघर्ष करना होगा। राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल (तीसरे चरण) का एक तिहाई काम बाकी है और डेडलाइन में महज चार माह बचे हैं। पीने के पानी के लिए 200 किमी लंबी पेयजल लाइन बिछाई जा रही है।

जोधपुर, बाड़मेर, पाली, फलोदी, ब्यावर जिलों को इससे लाभ मिलेगा। इस लाइन से जुड़ा इंडस्ट्रीयल प्रोजेक्ट 40 हजार लोगों को रोजगार दिलवाएगा। रक्षा जरूरतों के लिए भी इसके जरिये पानी पहुंचाया जाएगा। अब तक 64 प्रतिशत काम ही पूरा हुआ है। अधिकारी इसके निर्धारित तिथि 20 मई 2025 से करीब छह महीने में काम पूरा करने का दावा कर रहे हैं। मौके के हालात बता रहे हैं कि अभी देर होने की आशंका है।

सात जगह अधूरा काम

मदासर में रिजर्वायर बनाया जा रहा है। 7 जगह बोडाणा, लोर्डिया, जालोड़ा, बिजारी की बावड़ी, गगाड़ी, बालरवा, इंद्रोका में अभी पाइपों को जोड़ने का काम काम चल रहा है।

टीम पहुंची तो चंद लोग मिले काम करते

राजीव गांधी लिफ्ट केनाल के तीसरे चरण की चुनौतियों को परखने पत्रिका टीम जोधपुर से करीब 80 किमी दूर चामू के निकट चौथे पम्प हाउस का निर्माण देखने के लिए पहुंची तो मौके पर सीमेंट कॉलम का काम हो रहा था। करीब 8-10 श्रमिक सरिए और आरसीसी का काम करते नजर आए। यहां 1300 वर्गमीटर क्षेत्र में यह पम्प हाउस बन रहा है।

मदासर, घटोर, फलोदी और चामू में चार पम्प हाउस बन रहे हैं। चामू में मिले अभियंता सुरेन्द्र गोदारा व अमित पाराशर ने बताया कि ढाई साल से काम चल रहा है और कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। पम्प हाउस के बाद पाइप लाइन का कार्य देखने के लिए टीम गगाड़ी के समीप पहुंची। यहां भी करीब सात-आठ मजदूर काम पर लगे थे।

तीन बड़ी चुनौतियां

1. लेबर को रोकना : यूपी व बंगाल की लेबर को भीषण गर्मी और सर्दी में अधिक ठंड में काम करने के लिए रोकना चुनौती। 50 प्रतिशत लेबर पलायन कर जाती है।

2. रेत को काट कर रास्ता बनाना : मदासर से लेकर गगाड़ी व कुछ आगे तक पूरी जमीन रेतीली है। इसमें 10 से 15 फीट की खुदाई करना चुनौतीपूर्ण था।

3. पत्थरों की लेयर काटते मशीनें टूटीं : बालरवा, इंद्रोका व जोधपुर के समीप पाइप लाइन डालने के कार्य के चलते पत्थरों की लेयर काटना काफी मुश्किल हुआ।

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इनका कहना है

मदासर के समीप बन रहा पम्प हाउस दुर्गम जगह में है। नेटवर्क भी नहीं है। मजदूर टिकते नहीं है। इसलिए देरी हो रही है। समय पर काम करने का प्रयास करेंगे।
-नक्षत्र सिंह चारण, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, पीएचईडी प्रोजेक्ट विंग

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