6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Ram Mandir: घर वालों ने मरा समझ कर दिया था 12वां, कुछ दिन बाद लौट आए

पालड़ी जोधा गांव के चरवाहे मंगलाराम रेबारी। भेड़ों के रेवड़ चराते हुए सीधे जंगल से कारसेवा में चला गए। तब उम्र करीब 30 वर्ष थी। मंगलाराम बताते हैं 18 अक्टूबर 1990 का दिन था। नागौर से बड़ी संख्या में राम भक्त कारसेवा के लिए अयोध्या जा रहे थे।

less than 1 minute read
Google source verification
ram_mandir_10.jpg

नागेश शर्मा, हनुमानराम ईनाणियां
पालड़ी जोधा गांव के चरवाहे मंगलाराम रेबारी। भेड़ों के रेवड़ चराते हुए सीधे जंगल से कारसेवा में चला गए। तब उम्र करीब 30 वर्ष थी। मंगलाराम बताते हैं 18 अक्टूबर 1990 का दिन था। नागौर से बड़ी संख्या में राम भक्त कारसेवा के लिए अयोध्या जा रहे थे।

रामकाज के लिए लोगों को जाते देख जंगल से मेड़ता रोड पहुंचा और कारसेवकों के साथ ट्रेन में बैठकर अयोध्या के लिए रवाना हो गया। इसकी खबर अन्य चरवाहों ने घर पर पिता को दी। कुछ दिन बाद अयोध्या में रामभक्तों को गोली लगने से मारने की खबरें आ रही थीं, इसी बीच गांव में अफवाह फैल गई की गोली लगने से मेरी मौत हो गई। मुझे मरा हुआ मानकर घरवालों ने मेरा बारहवां कर दिया।

यह भी पढ़ें- VIDEO...श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर 11 हजार दीपक से जगमगाया बख्सासागर पार्क

साथ गए सुखराम भाकल ने बताया कि 21 अक्टूबर की रात हम उत्तरप्रदेश के अछनेरा पहुंचे तो पुलिस ने लाठियां भांजी। धोती कमीज में देख मंगलाराम को खूब पीटा, फिर गिरफ्तार कर जेल के बाहर खुले मैदान में रखा। 22 को सेंट्रल जेल (आगरा) में डाला। 30 अक्टूबर 1990 को जंगलों में छोड़ दिया। घना जंगल, घोर अंधेरा, भूखे प्यासे भटकते रहे। मंगलाराम के साथ वे पैदल चलते-चलते 31 अक्टूबर 1990 को दिन में डीग पहुंचे। बाद में अलग-अलग साधन में बैठकर गांव पहुंचे। मंगलाराम बताते हैं घर वालों ने कारसेवा में जाने से मना कर दिया था, इसलिए जंगल से सीधे जाने का मन बनाया।

यह भी पढ़ें- रामलला की प्राण प्रतिष्ठा: ऐसा प्रांत जहां राम बसे हर नाम... दशकों से चली आ रही परम्परा