
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर चुटकी ली कि आज की परिस्थिति में राहुल गांधी की अपनी पार्टी में भी उन्हें नायक मानने को लेकर ऊहापोह की स्थिति है। रविवार को अपने आवास पर मीडिया से बातचीत में केंद्रीय मंत्री शेखावत ने राहुल गांधी से जुड़े एक सवाल पर कहा कि जननायक की पहचान व्यक्तिगत रूप के प्रयास से हासिल नहीं होती। जननायक बनने की पहचान जनता के स्नेह से मिलती है।
उन्होंने कहा कि किसी के विषय में कागज पर लिखा जाने या भाषण में कहा जाने से कोई व्यक्ति जननायक नहीं बन जाता। जननायक तो जनता बनाती है। वह अपने स्नेह, अपने विश्वास और अपने निर्णय से किसी को नेता बनाती है। शेखावत ने कहा कि मैं हमेशा यह कहता हूं कि किसी व्यक्ति को नेता न कोई दल बना सकता है, न कोई दूसरा नेता। नेता वही बनता है, जिसे जनता अपना मानती है। अगर जनता राहुल गांधी को नायक के रूप में स्वीकार करेगी, तभी उन्हें वह विश्वास और समर्थन मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथन कि राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस ने मिलकर बिहार की शिक्षण प्रणाली को बर्बाद कर दिया है, से जुड़े सवाल पर शेखावत ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इस कथन में किसी प्रकार की अतिशयोक्ति है। प्रधानमंत्री ने बिल्कुल सही कहा है। वह बिहार, जिसने कभी विश्वगुरु का दर्जा प्राप्त किया था। वह बिहार, जो ज्ञान और अध्ययन का केंद्र हुआ करता था। यदि हम बहुत पुरानी नहीं, केवल पिछले 50–60 वर्षों की बात करें तो उस समय बिहार के विश्वविद्यालय देश के प्रमुखतम विश्वविद्यालयों में गिने जाते थे, लेकिन आज बिहार की शिक्षा व्यवस्था की स्थिति सबके सामने है।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में एनडीए सरकार के आने के बाद कुछ सुधार अवश्य हुए हैं, परंतु यह भी सत्य है कि एक समय ज्ञान, धर्म और अहिंसा की भूमि, भगवान बुद्ध और भगवान महावीर स्वामी की धरती की पहचान अपराध, बंदूक और भ्रष्टाचार जैसी नकारात्मक छवियों से जुड़ गई थी। शेखावत ने कहा कि हाल के वर्षों में कुछ सुधार दिखाई दे रहे हैं, लेकिन अभी भी व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता है। यह उम्मीद की जानी चाहिए कि बिहार की जनता इस वास्तविकता को समझते हुए आने वाले चुनाव में अपने निर्णय से राज्य के भविष्य की दिशा तय करेगी।
कोल्ड्रिक कफ सिरप से जुड़े सवाल पर शेखावत ने कहा कि अगर किसी भी दवा को देखें तो भारत सहित पूरी दुनिया में दवाओं के मानकीकरण का एक निश्चित प्रोटोकॉल निर्धारित है। इसके लिए एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया बनी हुई है। किसी भी दवा को मानव उपभोग के लिए अनुमति देने से पहले उसे एक कठोर परीक्षण प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। लाइसेंसिंग, प्रत्येक बैच की पहचान और टेस्टिंग, इन सभी के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं।
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उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि भारत में भी अंतरराष्ट्रीय मानकों से अधिक कठोर मानक अपनाए गए हैं। फिर भी यदि किसी तकनीकी कारण, रासायनिक प्रतिक्रिया या किसी अन्य वजह से इस तरह की कोई घटना सामने आती है तो निश्चित रूप से जिम्मेदार लोगों पर कठोरतम कार्रवाई होनी चाहिए। इसकी पूरी जांच की जानी चाहिए और आगे की कार्रवाई नियमों के अनुसार की जानी चाहिए, क्योंकि उन नियमों में हर प्रकार की परिस्थिति के लिए आवश्यक प्रावधान मौजूद हैं।
Published on:
05 Oct 2025 02:37 pm
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