
भानुप्रतापपुर-संबलपुर तक अवैध कारोबार (Photo source- Patrika)
CG News: इलाके में जुआ और सट्टे का अवैध कारोबार खुलेआम फल-फूल रहा है। भानुप्रतापपुर और उससे सटे संबलपुर गांव में यह गोरखधंधा इस कदर पैर पसार चुका है कि अब हर गली-मोहल्ले में नए खाईवाल (सट्टा एजेंट) उभर रहे हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि युवा पीढ़ी बड़ी संख्या में इस दलदल में फंसती जा रही है। उनकी जिंदगी बर्बादी की कगार पर है।
इलाके में चल रहे जुआ-सट्टे की जानकारी हर किसी को है, लेकिन पुलिस या तो इस पर जानबूझकर आंख मूंदे बैठी है या फिर कहीं ना कहीं इस पूरे नेटवर्क को संरक्षण मिल रहा है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, पूरा मामला पुलिस के संज्ञान में है लेकिन कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हुई। इसी का नतीजा है कि लोग अब खुलेआम सट्टा खेलते नजर आते हैं और पुलिस से बेखौफ अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। सट्टेबाज लोगों को एक रुपए को अस्सी बनाने का लालच देकर फंसा रहे हैं।
खासकर युवा वर्ग इन झूठी उम्मीदों में फंसकर अपना पैसा, समय और भविष्य बर्बाद कर रहा है। मोबाइल पर स्कीम और नंबर वाले चार्ट फ्री में भेजे जा रहे हैं। टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल करते हुए यह सट्टा कारोबार अब पारंपरिक कागज-कलम से निकलकर मोबाइल ऐप और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जा पहुंचा है।
बस्तर संभाग की पुलिस जहां आधुनिक संसाधनों का इस्तेमाल कर अपराध पर लगाम लगाने का दावा कर रही है, वहीं सट्टा कारोबार में लगे लोग भी अब हाईटेक हो गए हैं। मई में आईपीएल के दौरान स्वस्तिक और बेटओनली जैसे ऐप्स के जरिए भानुप्रतापपुर में जमकर ऑनलाइन सट्टा खेला गया। मीडिया ने इसे उजागर किया, तब पुलिस ने कार्रवाई का दावा भी किया। हालांकि, हकीकत ये है कि अब भी इलाके के बड़े खाईवाल पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।
भानुप्रतापपुर, संबलपुर समेत आसपास के गांवों में सट्टा कारोबार ने समाज की जड़ों को कमजोर कर दिया है। बेरोजगार युवा, गरीब तबके के लोग और यहां तक कि मध्यम वर्ग के लोग भी इस जाल में फंसते जा रहे हैं। यह न केवल आर्थिक बल्कि मानसिक और सामाजिक स्तर पर भी नुकसान पहुंचा रहा है। ऐसे में अब वक्त आ गया है कि स्थानीय प्रशासन, पुलिस और समाज मिलकर इस पर ठोस कदम उठाएं वरना यह कारोबार पूरे इलाके को अपनी गिरफ्त में ले लेगा।
राज्य में जब कांग्रेस की सरकार थी, तब भाजपा ने महादेव सट्टा ऐप को लेकर सरकार को घेरा था। अब सत्ता में भाजपा है और सट्टा कारोबार और भी तेज हो गया है। आश्चर्य की बात ये है कि विपक्षी दल इस सामाजिक बुराई पर अब पूरी तरह खामोश हैं। अब बड़ा सवाल ये कि जब सत्ता में और विपक्ष दोनों ही खामोश हों, तो इस अवैध कारोबार पर लगाम कैसे लगे?
CG News: पुलिस विभाग में हर महीने अपराधों की समीक्षा के लिए बैठकें होती हैं। इन बैठकों में नक्सल गतिविधियों से लेकर अन्य अपराधों की समीक्षा की जाती है। आला अधिकारी अपराध रोकने के निर्देश देते हैं, लेकिन जुए-सट्टे पर इन निर्देशों का कोई असर नहीं दिख रहा है। इससे साफ है कि सट्टेबाजों को स्थानीय स्तर पर किसी न किसी स्तर पर संरक्षण मिल रहा है।
शेर बहादुर सिंह ठाकुर, एसडीओपी, भानुप्रतापपुर: इलाके में चले रहे जुआ-सट्टे के बारे तकदीर कर सटोरियों पर कार्रवाई की जाएगी।
Published on:
20 Aug 2025 04:17 pm
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