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इत्रनगरी में पहली बार दौड़ा इलेक्ट्रिक इंजन, व्यापारियों को होगा फायदा

कानपुर (kanpur) के कल्यानपुर रेलवे स्टेशन (kalyanpur railway station) से कन्नौज (kannauj) के बीच इलेक्ट्रिक ट्रेन (electric train) दौड़ने का रास्ता लगभग साफ हो गया है।

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LUCKNOW

इत्रनगरी में पहली बार दौड़ा इलेक्ट्रिक इंजन, व्यापारियों को होगा फायदा

कन्नौज. कानपुर (kanpur) के कल्यानपुर रेलवे स्टेशन (kalyanpur railway station) से कन्नौज (kannauj) के बीच इलेक्ट्रिक ट्रेन (electric train) दौड़ने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। इस रूट पर इलेक्ट्रिक इंजन (electric engine) दौड़ाने का परीक्षण सफल रहा है। बुधवार रात करीब आठ बजे जैसे ही इंजन कन्नौज स्टेशन पर सफलतापूर्वक पहुंचा, रेलवे अधिकारियों के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। चालक और परिचालक की पीठ थपथपा कर उन्हें बधाई दी। अब 29 जुलाई को रेलवे के मुख्य संरक्षा आयुक्त को आना है।

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देर रात पहुंचा इलेक्ट्रिक इंजन

कल्यानपुर से कासगंज स्टेशन (kashganj railway station) तक बिछाई जाने वाली इलेक्ट्रिक लाइन का काम कन्नौज तक पूरा हो चुका है। अधिकारियों ने अगस्त में इस लाइन को चालू करने की उम्मीद जताई थी। इसी के तहत बुधवार शाम करीब छह बजे कल्यानपुर रेलवे स्टेशन से परीक्षण के लिए इलेक्ट्रिक इंजन को दौड़ाया गया। यह करीब 70 किमी का रास्ता तय करते हुए कन्नौज स्टेशन तक देर रात पहुंचा। इंजन लेकर पहुंचे चालक यूके गुप्ता और परिचालक एमके मीणा को स्टेशन पर मौजूद अधिकारी हर्ष खरे, आरपी वर्मा, वीरेंद्र कांती, यतवीर यादव, धर्मेंद्र यादव आदि ने बधाई दी।

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अगस्त माह से शुरू हो सकता है इलेक्ट्रिक गाड़ियों का आवागमन

इलेक्ट्रिक इंजन के साथ डीजल इंजन को भी जोड़कर रखा गया था। इससे कि जरूरत पड़ने पर इसे इस्तेमाल में लाया जा सके। अधिकारियों ने ट्रायल को पूरी तरह सफल बताया है। रेलवे के वरिष्ट विद्युत इंजीनियर सत्येंद्र कुमार की माने तो 29 को मुख्य संरक्षा आयुक्त यहां आएंगे। उनकी मौजूदगी में भी इलेक्ट्रिक इंजन का ट्रायल होगा। उम्मीद है कि अगस्त माह में इस लाइन में इलेक्ट्रिक इंजन का संचालन शुरू हो जाएगा।

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इत्र व्यापारियों को होगा फायदा
इलेक्ट्रिक गाड़ियों के संचालन से सबसे ज्यादा फायदा यहां के इत्र व्यापारियों को होगा। क्योंकि लम्बे रूट की कई गाड़ियां अब सीधे यहां से मिलेगी। जब कि अभी दूर दराज तक का सफर करने के लिए यहां से कानपुर जाकर ट्रेन पकड़नी पड़ती है। इससे यहां के परम्परागत व्यापर को खासा फायदा होगा।

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