एक बुजुर्ग सपा नेता ने कहा कि यदि एक मिनट के लिए अखिलेश यादव रुक जाते तो उनका क्या बिगड़ जाता। बहुत से कार्यकर्ता अपनी समस्याएं लखनऊ तक नहीं पहुंचा पाते, इसी के चलते वह आज यहां पर आए थे। राष्ट्रीय अध्यक्ष के नहीं रुकने से कष्ट हुआ है।
नेता जी रखते थे कार्यकर्ताओं का ख्याल
लाल बंगला निवासी बुजुर्ग सपा कार्यकर्ता रहमत उल्ला ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली थी कि आज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कानपुर आ रहे हैं। उनकी आगवानी के लिए हमने फूलों का हार खरीदा और एक घंटे से उनका इंतजार कर रहे थे। अखिलेश यादव का काफिला जैसे ही शहर के अंदर प्रवेश किया तो कइयों ने उन्हें रुकने का इशारा किया, पर वह कार के अंदर से हाथ हिलाकर निकल लिए। रहमत ने कहा कि पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह और शिवपाल यादव अपने कार्यकर्ताओं को बहुत प्यार करते थे। यदि कार के अंदर नेता जी होते तो वह बिना हम लोगों से मिले यहां से आगे नहीं बढ़ते।
लाल बंगला निवासी बुजुर्ग सपा कार्यकर्ता रहमत उल्ला ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली थी कि आज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कानपुर आ रहे हैं। उनकी आगवानी के लिए हमने फूलों का हार खरीदा और एक घंटे से उनका इंतजार कर रहे थे। अखिलेश यादव का काफिला जैसे ही शहर के अंदर प्रवेश किया तो कइयों ने उन्हें रुकने का इशारा किया, पर वह कार के अंदर से हाथ हिलाकर निकल लिए। रहमत ने कहा कि पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह और शिवपाल यादव अपने कार्यकर्ताओं को बहुत प्यार करते थे। यदि कार के अंदर नेता जी होते तो वह बिना हम लोगों से मिले यहां से आगे नहीं बढ़ते।
महिला कार्यकर्ता फूट-फूट कर रोने लगी
अपने नेता से मिलने के लिए सुबह से एक महिला फूलों का हार लिए हुए उनका इंतजार कर रही थी। जैसे ही अखिलेश यादव का काफिला नजदीक आया तो वह खुशी से झूम उठी और उनसे मिलने के लिए दौड़ पड़ी। सैकड़ों की भीड़ को पार कर वह जब तक सड़क पर पहुंच पाती, अखिलेश यादव निकल चुके थे। यह देख महिला सड़क पर बैठकर फूट-फूट कर रोने गली। अन्य सपाईयों ने उसे ढांढस बंधाया और पानी पिलाकर उसे घर के लिए रवाना कर दिया। मौके पर मौजूद सपा कार्यकर्ता अभिमन्यू यादव ने बताया कि हो सकता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यक्रम की समाप्ति के बाद हम लोगों से मिलने के लिए पार्टी कार्यालय आएं।
अपने नेता से मिलने के लिए सुबह से एक महिला फूलों का हार लिए हुए उनका इंतजार कर रही थी। जैसे ही अखिलेश यादव का काफिला नजदीक आया तो वह खुशी से झूम उठी और उनसे मिलने के लिए दौड़ पड़ी। सैकड़ों की भीड़ को पार कर वह जब तक सड़क पर पहुंच पाती, अखिलेश यादव निकल चुके थे। यह देख महिला सड़क पर बैठकर फूट-फूट कर रोने गली। अन्य सपाईयों ने उसे ढांढस बंधाया और पानी पिलाकर उसे घर के लिए रवाना कर दिया। मौके पर मौजूद सपा कार्यकर्ता अभिमन्यू यादव ने बताया कि हो सकता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यक्रम की समाप्ति के बाद हम लोगों से मिलने के लिए पार्टी कार्यालय आएं।
बबुआ अब में बड़े हो गए
एक सपा कार्यकर्ता ने बताया कि 2012 के विधानसभा चुनाव के वक्त अखिलेश यादव साइकिल पर सवार होकर कानपुर आए थे और गली-मोहल्लों में हम लोगों के साथ घूमे थे। सीएम की कुर्सी मिलने के बाद उनकी सुरक्षा बढ़ गई और पार्टी के वह सर्वेसर्वा हो गए। पहले जब भी अखिलेश कानपुर आते तो अपने कार्यकर्ताओं के साथ मुलाकात जरूर करते, पर अब बबुआ बड़े हो गए हैं। हम जैसे छोटे से कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए उनके पास समय नहीं है। नेता जी ने यूपी में तीन दशक तक राज अपने कार्यकर्ताओं के बल पर की है, पर अब पार्टी के अंदर ऐसा नहीं रहा।
एक सपा कार्यकर्ता ने बताया कि 2012 के विधानसभा चुनाव के वक्त अखिलेश यादव साइकिल पर सवार होकर कानपुर आए थे और गली-मोहल्लों में हम लोगों के साथ घूमे थे। सीएम की कुर्सी मिलने के बाद उनकी सुरक्षा बढ़ गई और पार्टी के वह सर्वेसर्वा हो गए। पहले जब भी अखिलेश कानपुर आते तो अपने कार्यकर्ताओं के साथ मुलाकात जरूर करते, पर अब बबुआ बड़े हो गए हैं। हम जैसे छोटे से कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए उनके पास समय नहीं है। नेता जी ने यूपी में तीन दशक तक राज अपने कार्यकर्ताओं के बल पर की है, पर अब पार्टी के अंदर ऐसा नहीं रहा।
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