
कानपुर. भाजपा ने 2019 में अपना परचम लहराने के लिए मास्टर प्लान बना लिया है। इसके अंतर्गत अमित शाह बूथों पर नजर रखेंगे, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सभाएं करेंगे व उपमुख्यमंत्री जिलों के दौरे पर जाएंगे। संगठन के दौरे के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रमुख स्थानों पर सभाएं होंगी जिससे प्रदेश में लोकसभा की सभी 80 सीटें कवर हो जाएं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और डॉ. दिनेश शर्मा के भी जिले में दौरे पर होंगे। इसमें यह संगठन के फीडबैक के आधार पर लोकसभा क्षेत्र वार केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं की समीक्षा करेंगे। साथ ही उन खामियों को दूर करेंगे जिनके कारण अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहा है।
अमित शाह जानेंगे जमीनी हकीकत
अमित शाह जून-जुलाई में 4-4 लोकसभा क्षेत्रों की बैठक करके जमीनी हकीकत जानेंगे। इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडे, राष्ट्रीय महामंत्री संगठन शिवप्रकाश और प्रदेश महामंत्री सुनील बंसल सभी लोकसभा क्षेत्रों का दौरा कर वहां की हकीकत समझेंगे। इसमें मुख्य रूप से संबंधित स्थानों के विधायकों और सांसदों की छवि उनके काम और पार्टी कार्यकर्ताओं तथा जनता से संवाद की हकीकत जानना शामिल है।
यूपी से दिल्ली की कुर्सी का रास्ता निकलता है। इसी को देखते हुए सभी राजनीतिक दल अपनी सियासी जमीन तैयर कर भाजपा को पटखनी देने के लिए रणनीति बना रहे है। पहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी मिशन 2019 को फतह करने के लिए एक्शन में आ गए हैं और सूबे के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं चुस्त-दुरूस्त करने के लिए लगे हुए हैं। इसी कड़ी के तहत भाजपा कानपुर-बुंदेलखंड परिक्षेत्र के 17 जिलों की 52 विधानसभा और 10 लोकसभा सीटों पर अपनी पक ड़ मलबूत करने के लिए अन्नदाताओं के पास जाएगी। किसानों के साथ चौपाल लगाकर उनके जख्मों को भरेगी। भाजपा के प्रदेश मंत्री देवेश सिंह कोरी, किसान मोर्चा के क्षेत्रीय अध्यक्ष संतोष सिंह ने रविवार को फजलगंज स्थित कैलाश भवन में बैठक की और जिला इकाई से आए हुए पदाधिकारयों से कहा कि वह एक मई से 109 ब्लॉकों में कार्यशाला का आयोजन करें। गांव, कस्बों और वार्ड स्तर के कार्यकर्ताओं के जरिए किसानों को कार्यशाला में लाएं और उनकी समस्याएं सुने और पीएम मोदी की योजनाओं की जानकारी देने के साथ ही उसे लागू करवाएं।
17 जिलों में कार्यशाला का आयेजन
देश की सत्ता की चाभी 70 फीसदी आबादी किसानों के पास रहने के बावजूद वह आज भी बदहाल है और प्रकृतिक आपदाओं के साथ राजनेताओं की उपेक्षा के चलते आएदिन खुदकुशी कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर रहा है। पीएम मोदी के चार साल के कार्यकाल के दौरान किसानों के लिए कई योजनाएं बनी, लेकिन सरकारी सिस्टम के चलते वह किसानों तक नहीं पहुंच सकीं। 2019 से पहले भाजपा अपने मजबूत वोटबैंक को हाथ से नहीं खिसकने देना चाहती और इसी के चलते अब भाजपा के मंत्री, सांसद, विधायक, पार्षद और पदाधिकारी एक मई से किसानों के बीच जाएंगे और उनके दुख दर्ज को सुनेंगे और मौके पर ही इलाज करवाएं। भाजपा का यह कार्यक्रम कानपुर-बुंदेलखंड के 17 जिलों के 109 ब्लॉकों में शुरू होगा। भाजपा के प्रदेश मंत्री देवेश सिंह कोरी ने बताया कि 52 विधानसभा सीटों पर 47 भाजपा के विधायक चुने गए हैं। साथ ही 10 लोकसभा में से 9 पर भाजपा के उम्मीदवार जीते हैं। इन सभी को कहा गया है कि वह अपने-अपने क्षेत्रों में किसानों के बीच जाएं और मोदी सरकार की सारी योजनाएं जमीन पर लाएं।
कृषि विभाग के अफसर रहेंगे मौजूद
इस कार्यशाला में जहां भाजपा के जनप्रतिनिधि और पदाधिकारी मौजूद होंगे, वहीं कृषि विभाग के अफसर व कर्मचारी भी किसानों की पंचायत में शामिल होंगे। किसानों की आए कैसे दोगुनी की जाए, फसल बीमा और प्रकृतिक आपदाओं से किसानों की फसलों को बचाने के उपाय भी बताए जाएंगे। किसान मोर्चा के क्षेत्रीय अध्यक्ष संतोष सिंह ने बताया कि भाजपा किसान मोर्चा के सभी सदस्यों के साथ ही कार्यकर्ताओं को गांव-गांव भेजा जाएगा और ब्लॉक स्तर पर लगने वाली कार्यशाला में उन्हें लेकर आया जाएगा। किसान मोर्चा के क्षेत्रीय अध्यक्ष संतोष सिंह ने कहा कि आजादी के 70 सालों में 60 साल कांग्रेस सहित अन्य राजनीकि पार्टियों ने देश में राज किया, लेकिन 70 फीसदी आबादी पर किसी ने सुधि नहीं ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने शपथ लेने के बाद किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई, जिनसे कुछ हद तक किसानों को लाभ हुआ है। कार्यशाला के जरिए किसानों की आए दोगुनी कारने का प्रमुख लक्ष्य लेकर भाजपा चल रही है और इसे हम पूरा कर के ही दम लेंगे।
109 ब्लॉकों में लगेंगी कार्यशाला
किसानों की कार्यशाला कानपुर-बुंदेलखंड के 17 जिलों के 109 ब्लॉकों में आयोजित की जाएंगी। एक ब्लॉक में 70 से 80 ग्राम पंचायतें आती हैं। सभी ग्रामपंचायतों से किसानों को भाजपा किसान मोर्चा, भाजपा के पदाधिकारी, कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि अपने-अपने वाहनों से लेकर ब्लॉक परिसर में पहुंचेगी। हर एक को कार्य सौंप दिया गया है। संतोष सिंह ने बताया कि बुदेलखंड के बांदा, हमीरपुर, झांसी, ललितपुर, महोबा, चित्रकूट व जालौन जिलों में इस वर्ष 2014 से लेकर 2017 तक किसानों के खुदकुशी के मामलों में कमी आई है। जबकि इसके पहल 2010 में 519 तो 2009 568 ने फांसी लगाई। साथ ही 2010 में यह आंकड़ा बड़कर 583 पहुंच गया। तो 2012 और 2014 के बीच 610 किसानों ने खुदकुशी की। मोदी सरकार के आने के बाद किसानों की आत्महत्या के मामलों में कमी है और हमें से शून्य तक लेकर जाना है। इसी के चलते भाजपा किसानों को बेतहर फसल की बोवनी और वाजिब कीमत मिले इसके लिए कार्यशाला में उन्हें जानकारी दी जाएगी।

Published on:
23 Apr 2018 08:10 am
बड़ी खबरें
View Allकानपुर
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
