
गुढ़ाचंद्रजी। प्याज की छटाई करती महिलाएं। फोटो-पत्रिका
गुढ़ाचंद्रजी. माड़ क्षेत्र की काली चिकनी मिट्टी में काला सोना सरसों की बंपर पैदावार होती है। लेकिन जागरूक किसान अब नवाचार करने लगे हैं। कई किसानों ने प्याज की खेती कर लाखों रुपए की आमदनी की है। माड़ क्षेत्र के गुढ़ाचंद्रजी सहित मांचड़ी, भांवरा, आमकाजाहिरा, पाल, गढ़मोरा, गढखेड़ा आदि गांवों में किसानों ने सैकड़ों भूमि में किसानों ने प्याज की फसल नवम्बर के माह में लगाई थी।
इसके बाद समय समय पर पानी, खाद व देखभाल करने के बाद अप्रेल से किसान खेतों से प्याज की फसल ले रहे हैं। किसानों ने बताया कि एक बीघा भूमि में 40 से 45 क्विंटल प्याज की पैदावार होती है। कई किसानों ने पहले थोड़ी जमीन में खेती की। कम लागत आने के साथ अच्छा मुनाफा मिलने पर किसान अब कई बीघा भूमि में खेती कर रहे हैं। किसानों ने बताया कि प्याज की पैदावार से किसानों के घर खुशहाल हो रहे हैं।
किसानों ने बताया कि इस वर्ष एक क्विंटल प्याज के 1300 से 1500 रुपए के भाव मिल रहे हैं। किसानों ने बताया कि किसानों ने बताया कि इस बार उपज भी अच्छी होने से किसानों को लाखों रुपए की आमदनी हुई है। इससे किसानों के घरों में खुशहाली छाई हुई है।
किसानों ने बताया कि प्रमाणित किस्म की कणी से पौध तैयार की जाती है। मिट्टी के हिसाब से प्रशांत, प्राची और एन 53, एलोरा आदि किस्मों के प्याज उगाए जाते हैं। बीज का रोपण के साथ सीधी बुवाई भी करते हैं। इसके बाद समय समय पर सिंचाई की जाती है। फसल में गोबर की खाद दी जाती है। पौधों को कीटों के प्रकोप से बचाने के लिए कीटनाशक दवाई का प्रयोग किया जाता है। प्याज की फसल 5 से 6 महीने में तैयार होती है। इसके बाद कटाई व ग्रेडिंग करके फसलों को मंडियों में भेजा जाता है।
क्षेत्र के क ई किसानों ने नवाचार कर प्याज की फसल पैदावार की है। इससे उन्हें मुनाफा भी हो रहा है। क्षेत्र में करीब बीघा में प्याज की खेती की जा रही है।
कैलाश चंद्रवाल, सहायक कृषि अधिकारी
Published on:
22 May 2025 04:15 pm
बड़ी खबरें
View Allकरौली
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
