बैठक में 15 जिलों से आए समिति के दो दर्जन से अधिक सदस्य शामिल हुए। बैंसला ने कहा पिछले गुर्जर आंदोलन के तीन मृतकों के आश्रितों को सरकारी नौकरी नहीं मिली है। मलारना आंदोलन के बाद 13 फरवरी को लागू किए 5 फीसदी आरक्षण के तहत प्रक्रियाधीन भर्तियों में गुर्जर, रेवारी, बंजारा, गाडिया लोहार आदि जातियों के अभ्यर्थियों को आरक्षण नहीं मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि रीट-2018 सहित प्रदेश में 30 विभागों में भर्ती प्रक्रियाधीन हैं। पूर्ववर्ती सरकारों ने भी नर्सिंग व कनिष्ठ लेखाकार की भर्ती में समझौते के मुताबिक आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कहा कि गुर्जर आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को वापस लेना भी समझौते में शुमार था, लेकिन सरकार ने इस पर भी सकारात्मक अमल नहीं किया है। संघर्ष समिति के प्रवक्ता एडवोकेट शैलेंंद्र सिंह ने पांच फीसदी आरक्षण नहीं मिलेगा तो समाज चुप नहीं बैठेगा।
राजनीति अलग, ये समाज का मामला है
कर्नल बैसला ने कहा कि वे भाजपा में स्वेच्छा से शामिल हुए हैं। आरक्षण पर उन्होंने भाजपा आलाकमान के समक्ष कोई शर्त नहीं रखी। आरक्षण सामाजिक हक है। इसके लिए गुर्जर समाज ओर संघर्ष समिति एकजुुट है। शैलेंद्र सिंह ने भी कहा कि गुर्जर समाज में कांग्रेस, भाजपा, बसपा और अन्य दलों से जुड़ाव रखने वाले लोग हैं। राजनीतिक विचारधारा अलग है,लेकिन समाज का मंच एक है।
कर्नल बैसला ने कहा कि वे भाजपा में स्वेच्छा से शामिल हुए हैं। आरक्षण पर उन्होंने भाजपा आलाकमान के समक्ष कोई शर्त नहीं रखी। आरक्षण सामाजिक हक है। इसके लिए गुर्जर समाज ओर संघर्ष समिति एकजुुट है। शैलेंद्र सिंह ने भी कहा कि गुर्जर समाज में कांग्रेस, भाजपा, बसपा और अन्य दलों से जुड़ाव रखने वाले लोग हैं। राजनीतिक विचारधारा अलग है,लेकिन समाज का मंच एक है।