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गुर्जर आरक्षण: बैंसला ने सरकार को दिया 15 दिन का अल्टीमेटम, कहा-समझौते पर अमल नहीं तो चुप नहीं बैठेंगे

locationकरौलीPublished: May 10, 2019 10:08:23 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला आरक्षण के मामले में राज्य सरकार की ढिलाई से नाराज हैं।

kirori singh bainsla
हिण्डौनसिटी। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला आरक्षण के मामले में राज्य सरकार की ढिलाई से नाराज हैं। शुक्रवार को संघर्ष समिति की बैठक के बाद बैंसला ने पत्रकार वार्ता में सवाईमाधोपुर के मलारना में रेल रोको आंदोलन के तहत हुए समझौते पर सरकार द्वारा अमल नहीं करने का आरोप लगाया है। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि 15 दिन में समझौते पर अमल नहीं किया तो गुर्जर समाज चुप नहीं बैठेगा।
बैठक में 15 जिलों से आए समिति के दो दर्जन से अधिक सदस्य शामिल हुए। बैंसला ने कहा पिछले गुर्जर आंदोलन के तीन मृतकों के आश्रितों को सरकारी नौकरी नहीं मिली है। मलारना आंदोलन के बाद 13 फरवरी को लागू किए 5 फीसदी आरक्षण के तहत प्रक्रियाधीन भर्तियों में गुर्जर, रेवारी, बंजारा, गाडिया लोहार आदि जातियों के अभ्यर्थियों को आरक्षण नहीं मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि रीट-2018 सहित प्रदेश में 30 विभागों में भर्ती प्रक्रियाधीन हैं। पूर्ववर्ती सरकारों ने भी नर्सिंग व कनिष्ठ लेखाकार की भर्ती में समझौते के मुताबिक आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कहा कि गुर्जर आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को वापस लेना भी समझौते में शुमार था, लेकिन सरकार ने इस पर भी सकारात्मक अमल नहीं किया है। संघर्ष समिति के प्रवक्ता एडवोकेट शैलेंंद्र सिंह ने पांच फीसदी आरक्षण नहीं मिलेगा तो समाज चुप नहीं बैठेगा।
राजनीति अलग, ये समाज का मामला है
कर्नल बैसला ने कहा कि वे भाजपा में स्वेच्छा से शामिल हुए हैं। आरक्षण पर उन्होंने भाजपा आलाकमान के समक्ष कोई शर्त नहीं रखी। आरक्षण सामाजिक हक है। इसके लिए गुर्जर समाज ओर संघर्ष समिति एकजुुट है। शैलेंद्र सिंह ने भी कहा कि गुर्जर समाज में कांग्रेस, भाजपा, बसपा और अन्य दलों से जुड़ाव रखने वाले लोग हैं। राजनीतिक विचारधारा अलग है,लेकिन समाज का मंच एक है।

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