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शीशराम ने ऊंचा किया देश का शीश, कारगिल युद्ध में खट्टे किए थे दुश्मन के दांत

देश की सरहद की रक्षा करते हुए प्राण न्यौछावर करने वाले वीर सपूत शीशराम की शहादत का किस्सा आज भी ग्रामीणों की जुबां पर है।

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1999 Kargil War Hero

शीशराम ने ऊंचा किया देश का शीश, कारगिल युद्ध में खट्टे किए थे दुश्मन के दांत

गुढाचन्द्रजी (करौली)। देश की सरहद की रक्षा करते हुए प्राण न्यौछावर करने वाले वीर सपूत शीशराम ने अपनी जांबाजी से गांव या जिला नहीं बल्कि देश के 'शीश' को फख्र से ऊंचा किया है। शीशराम की शहादत का किस्सा आज भी ग्रामीणों की जुबां पर है।

गुढाचन्द्रजी कस्बे के समीपवर्ती छोटे से गांव आंधियाखेड़ा के शीशराम गुर्जर ने करगिल युद्ध में दुश्मन के दांत खट्टे कर दिए। किसान परिवार में जन्मे शहीद शीशराम गुर्जर बचपन से ही जांबाज और बहादुर थे।

उनमें बचपन से ही फौज में भर्ती होकर देश सेवा की ललक थी। उनकी यह आरजू 23 सितम्बर 1997 को राजपूत रेजीमेंट में भर्ती होकर पूरी हुई। वतन पर जान न्यौछावर करने का प्रण लिए हुए शीशराम 15 अगस्त 1999 में करगिल के ऑपरेशन विजय में शहीद हो गए।

उनकी वीरांगना पत्नी कमोद देवी ने बताया कि उनकी शादी के कुछ दिन बाद ही वह शहीद हो गए। पति के शहीद होने के समय वह अपने पीहर में थी। अकेले ही थे परिवार का सहारा शहीद शीशराम के परिवार में वे अकेला ही सहारा थे।

उस समय शीशराम के भाई धीर सिंह बहुत छोटे थे। करगिल युद्ध में उनके परिवार का एक मात्र सहारा छिन गया। सरकार व पत्रिका की ओर से उनके परिवार को बहुत सम्बल मिला। सरकार की ओर पैकेज में गैस एजेन्सी, थ्री फेज बिजली कनेक्शन व गांव के लिए सड़क मिली।

पत्रिका से मिली सहायता से लगाई शहीद की प्रतिमा लगाई वीरांगना कमोद देवी ने बताया कि पत्रिका से 50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता मिली थी, जिससे शहीद शीशराम की प्रतिमा स्थापित कराई गई है। पत्रिका का यह सहयोग जीवन भर याद रहेगा। वीरांगना ने इसके लिए पत्रिका का आभार जताया।

शहीद स्मारक पर सुविधाओं का टोटा शहीद शीशराम के स्मारक पर पानी व बिजली सुविधा का अभाव है। इससे स्मारक पर फूलदार पौधे तैयार नहीं हो पा रहे हैं। कई बार उच्चाधिकारियों को समस्या से अवगत करा चुके हैं, लेकिन उसका अभी तक कोई हल नहीं निकला है।