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इस बार हाथी पर सवार होकर आएंगी माता रानी, बन रहे कई शुभ योग

Chaitra Navratra in katni

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कटनी

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Balmeek Pandey

Mar 28, 2025

Chaitra Navratra 2025

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9 दिवसीय महापर्व चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से होगा प्रारंभ

कटनी. शक्ति की भक्ति का 9 दिवसीय महापर्व चैत्र नवरात्रि इस बार 30 मार्च से प्रारंभ होगा। नवरात्रि में माता की सवारी का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि माता की सवारी के अनुसार ही आने वाले दिन में फल मिलता है। पंडित रामराज शास्त्री के अनुसार चैत्र नवरात्रि 2025 का आरंभ रविवार से हो रहा है। इस साल मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर धरती पर आएंगी। मां दुर्गा का हाथी पर सवार होकर आना बहुत ही शुभ संकेत माना जाता है। हाथी को सुख, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। माता जब हाथी पर सवार होकर आती हैं तो यह किसानों के लिए एक बहुत ही शुभ संकेत होता है। इसका अर्थ है कि इस साल अच्छी फसल होगी और बारिश की भी कमी नहीं होगी। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा होने लोगों के धन में वृद्धि होती है और अर्थ व्यवस्था में सुधार होता है। शास्त्रों में मां के इस रूप को भक्तों की समस्त इच्छाएं पूर्ण करने वाला माना जाता है।
साल में चार नवरात्रि
हर साल 4 नवरात्रि पड़ती हैं। इसमें से 2 गुप्त नवरात्रि होती हैं और दो प्रत्यक्ष। चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि प्रत्यक्ष नवरात्रि होती हैं, जिसमें गृहस्थों समेत सभी लोग माता की भक्ति करते हैं। जबकि गुप्त नवरात्रि में अक्सर तांत्रिक और अन्य साधक साधना करते हैं।

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तीन शुभ योग भी
इस बार चैत्र नवरात्रि पर कई शुभ योग भी बन रहे हैं। 30 मार्च को नवरात्रि का शुभारंभ सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रहा है। उस दिन इंद्र योग और रेवती नक्षत्र है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग शाम को 4.35 बजे से अगले दिन सुबह 06.12 बजे तक रहेगा। इस योग में आप जो भी कार्य करेंगे। वह सफल सिद्ध होंगे। यह एक शुभ योग है। महापर्व के दौरान चार दिन रवियोग तथा तीन दिन सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग रहेगा।

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हाथी से ही प्रस्थान
चैत्र नवरात्रि में माता रानी के आगमन की सवारी हाथी तो है ही, प्रस्थान की सवारी भी हाथी ही है। ज्योतिषाचार्य मोहनलाल द्विवेदी के अनुसार मां दुर्गा हाथी से आएंगी और सोमवार 7 अप्रेल को नवरात्रि समापन होने पर हाथी से ही प्रस्थान करेंगी।
नवरात्रि में किस दिन माँ दुर्गा के किस रूप की पूजा की जाती है
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति, चतुर्थकमम।।
पंचमं स्कन्दमातेति, षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति, महागौरीति चाष्टमम।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।

उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।
(नवरात्रि में 9 देवियों की पूजा इस प्रकार की जाती है। पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवें दिन स्कन्दमाता, छठें दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।