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महिला को रिक्शे में ही हो गया प्रसव, इस बेबसी को देख हैरान रह गए लोग, देखें वीडियो

- स्वास्थ्य व्यवस्था किस प्रकार की लचर है इसकी एक बानगी कटनी में एकबार फिर देखने को मिली, जहां एक प्रसूता की डिलेवरी एक रिक्शे में हो गई। यहां तक कि जब रिक्शा जिला अस्पताल गेट के सामने खड़ा था, तब भी किसी ने उसे अस्पताल के अन्दर ले जाने की जहमद नहीं की, बल्कि वहीं रिक्शे में महिला को अस्पताल का नर्सिंग स्टॉफ देखने लगा। - ये वाक्या कटनी जिला अस्पताल का है। गड्ढा टोला पाठक वार्ड निवासी प्रसूता प्रीति चौधरी को गुरुवार की शाम घर में प्रसव पड़ा हुई, तो उसके परिजनों ने आशा कार्यकर्ता को फोन करके जानकारी दी। 108 एंबुलेंस और जननी को कॉल लगाया गया। - 108 के द्वारा करीब आधे से एक घण्टे बाद मौके पर पहुंचे की जानकारी परिजनों को दी गई। प्रसूता की पीड़ा देख परिजनों ने रिक्शे से ही प्रसूता को प्राथमिक उपचार के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया।

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Balmeek Pandey

Jul 05, 2019

कटनी. स्वास्थ्य व्यवस्था किस प्रकार की लचर है इसकी एक बानगी कटनी में एकबार फिर देखने को मिली, जहां एक प्रसूता की डिलेवरी एक रिक्शे में हो गई। यहां तक कि जब रिक्शा जिला अस्पताल गेट के सामने खड़ा था, तब भी किसी ने उसे अस्पताल के अन्दर ले जाने की जहमद नहीं की, बल्कि वहीं रिक्शे में महिला को अस्पताल का नर्सिंग स्टॉफ देखने लगा। ये वाक्या कटनी जिला अस्पताल का है। गड्ढा टोला पाठक वार्ड निवासी प्रसूता प्रीति चौधरी को गुरुवार की शाम घर में प्रसव पड़ा हुई, तो उसके परिजनों ने आशा कार्यकर्ता को फोन करके जानकारी दी। 108 एंबुलेंस और जननी को कॉल लगाया गया। 108 के द्वारा करीब आधे से एक घण्टे बाद मौके पर पहुंचे की जानकारी परिजनों को दी गई। प्रसूता की पीड़ा देख परिजनों ने रिक्शे से ही प्रसूता को प्राथमिक उपचार के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया। जैसे ही प्रसूता महिला जिला अस्पताल के गेट के पास पहुंची वैसे ही प्रसूता ने नवजात को गेट के सामने ही जन्म दे दिया गया। करीब 10 से 15 मिनट तक जच्चा-बच्चा रिक्शे में ही थे। जिसके बाद जिला अस्पताल की नर्सिंग स्टॉफ के द्वारा दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्रसूता की परिजन रजनी कोल ने बताया कि जब 108 सेवा की एम्बुलेंस की देरी के बारे में कॉल सेंटर प्रभारी से जानकारी मांगी गई तो उनका कहना था कि जिस वक्त कॉल आया था तो कोई भी एम्बुलेंस मौके पर नही थी। जिसके चलते कॉल सेंटर के द्वारा 30 मिनट का समय मौके पर पहुंचने का बताया गया था।

 

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पड़ोसी महिला ने दिखा हौंसला
प्रसूता को जैसे ही प्रसव पीड़ा अधिक हुई तो उसने तत्परता दिखाई और कोई भी वाहन न मिलने पर वह पास से जाकर एक रिक्शा लेकर आई और प्रसूता को तत्काल जिला अस्पताल लेकर पहुंची। हालांकि प्रसूता अस्पताल गेट पर ही पहुंची और उसे प्रसव रिक्शे में ही हो गया। महिला रजनी कोल का कहना था कि हमने तत्काल आशा कार्यकर्ता को सूचना दी। आशा का कहना था कि एक घंटे बाद एंबुलेंस आएगी। तब जो साधन मिला उससे लेकर पहुंचे। अस्पताल पहुंचने से पहले ही बच्चा बाहर आ गया। रजनी का कहना था कि 108 को फोन लगाया गया, लेकिन सबके द्वारा आधे घंटे से अधिक का समय दिया जा रहा था। समय पर एंबुलेंस न मिलने से रजनी गुस्से में भी दिखीं, लेकिन उनको इस बात का बड़ा संतोष था कि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।

 

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ये बोले जिम्मेदार
इस संबंध में जिगित्सा हेल्थकेयर भोपाल जो कि प्रदेश भर में 108 एंबुलेंस व जननी वाहनों की व्यवस्था देख रही है कटनी के प्रभारी डॉ. संजीव शर्मा का कहना था कि हमें इसकी जानकारी नहीं थी। वीडियो देखकर ही जानकारी लगी। आशा कह रही थी 40 मिनट बाद आशा गाड़ी आने की बात कह रही थी। एंबुलेंस न पहुंचने पर आशा प्रसूता को अस्पताल अपने साधन से लेकर आ गई। उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल में दो 108 और दो जननी वाहन हैं। चोरों वाहन एनएफटी रैफर जबलपुर केस में जाना बताया गया। हैरानी की बात तो यह है जिला अस्पताल से महज एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी में भी एंबुलेंस की मदद नहीं मिल पा रही, इससे व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है।

 

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कई मामले, फिर भी जिम्मेदार मौन
108 एंबुलेंस व्यवस्था में हो रही बेपरवाही का यह कोई पहल मामला नहीं है, जिले में कई मामले सामने आ चुके हैं, बावजूद इसके जिम्मेदार मौन हैं। हाल ही में बरही थाना क्षेत्र के ग्राम गोहावल में एक एंबुलेंस चालक पेड़ से गिरे व्यक्ति को लेने गांव तक नहीं पहुंची, परिजन चार पाई में मरीज को लेकर आधा किलोमीटर तक चले। इसके पूर्व भी गंभीर लापरवाहियां सामने आ चुकी हैं, इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया जाता।

इनका कहना है
प्रसंूता को समय पर एंबुलेंस क्यों नहीं मिली, इस बात की जांच कराई जाएगी। कई बार रैफर केस में चली जाती हैं, इसका पता लगाया जाएगा। प्रसूताओं को परेशानी न हो इस बात का ध्यान रखा जाता है। एंबुलेंस प्रभारी को सख्त निर्देश दिए जाएंगे।
डॉ. एनके निगम, सीएमएचओ।