
ट्राईसाइकिल के लिए पैदल चक्कर लगा रहा है दिव्यांग, नहीं सुनी जा रही गुहार
कटनी. एक माह से कलेक्ट्रेट और जनपद के चक्कर लगा रहा हूं, अधिकारी कह देते हैं कि, वहां से काम होगा। सरपंच-सचिव आज-कल कहकर लौटा देते हैं। मैं ऐसे कब तक करता रहूंगा, दूसरों से मांगकर किराया लाता हूं। मुझे मात्र 600 रुपये पेंशन मिलती है। 6 रुपये में अधिकारी का किराना खर्चा चल जाएगा क्या?
कलेक्ट्रेट आने पर भी सुनवाई नहीं हो रही। कलेक्टर से मिलने के लिए चिट्ठी भी दे चुका हूं, लेकिन उसे फेल कर दिया गया और कलेक्टर कहीं चले गए। 11 बजे से भूखा-प्यास बैठा था। मुझे आस थी कि कलेक्टर से मुलाकात हो जाएगी तो मुझे अच्छा लगता और काम हो जाता, लेकिन दो बजे तक मिलने नहीं दिया गया। एक हफ्ते से प्रतिदिन आ रहा हूं, गांव से बस से आता हूं, एक दिन में 50 रुपये लगता है। दोस्त-भाईयों से कर्जा मांगकर कलेक्टर से मिलने आता हूं, लेकिन न तो कलेक्टर से मिलने दिया जा रहा और ना ही गरीबों की सुनवाई हो रही।
ट्राईसाइकिल खराब होने पर घिसटते हुए करना पड़ता है सफर
यह दर्द भरी कहानी है, मध्य प्रदेश के कटनी जिले के गुड़हा बांधा जनपद रीठी में रहने वाले धर्मेंद्र कुशवाह पिता सुरेंद्र कुशवाहा की। दिव्यांग ने बताया कि, 6 साल पहले ट्राईसाइकिल मिली थी, जो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है। ट्राईसाइकिल न होने से अब उसे यहां-वहां जाने में भारी परेशानी होती है। सभी जगह घिसटते हुए जाना पड़ता है। दिव्यांग ने कलेक्टर से बैटरी से चलने वाली ट्राइसाईकिल दिलवाए जाने की मांग की है। दिव्यांग का कहना है कि, उसकी उंगली में भी गंभीर चोट लगी है, जिससे भी उसे परेशान हो रही है।
Published on:
26 Oct 2021 02:15 pm
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