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एमपी के इस जिले में अफसर-माफिया का अजब गठजोड़, हुआ चौंकाने वाला खुलासा

MP News: मध्य प्रदेश के कटनी शहर के ऑक्सीजन जोन कहे जाने वाले पार्क से सटी खदान फिर से चालू कर दी गई है। अफसरों की क्लीनचिट से खनन माफिया का जहरीला खेल शुरू हो गया।

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कटनी

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Akash Dewani

Sep 17, 2025

katni oxygen zone jagriti park bauxite-laterite mining mafia mp news

katni oxygen zone jagriti park bauxite-laterite mining mafia (patrika.com)

bauxite-laterite mining: कटनी जिले में खनिज संपदा का खनन कर माफिया मनमाफिक दोहन कर रहे हैं। करोड़ों रुपए के राजस्व की क्षति पहुंचा रहे हैं। शहरी क्षेत्र में भी अब खनिज कारोबारियों की हिमाकत बढ़‌ती जा रही है। माधवनगर थाना के पीछे शहर के ऑक्सीजन जोन कहे जाने वाले जागृति पार्क (oxygen zone jagriti park) से लगी हुई बॉक्साइड व लेटराइट की खदान जो 20 सालों से बंद थी, उसे चालू कर दिया गया है।

नगर निगम व शहरी सीमा क्षेत्र में खदानों का चलना मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक है, बावजूद इसके इस्माइल एंड संस को हर विभाग ने क्लीनचिट दे दी है। खनिज, प्रदूषण, सिया, वन विभाग, नगर निगम, प्रशासन ने बीच शहर फिर खदान चालू करके शहरवासियों के लिए दमघोंटू निर्णय ले लिया है। विरोध के बाद भी अधिकारियों ने अबतक मामले को संज्ञान में नहीं लिया। इस खदान का संचालन इधर बीच शहर इंडियन कॉफी हाउस के पीछे खदान पाटने का खेल एक बार फिर शुरु हो गया है। (MP News)

इस कंपनी ने शुरू करवाई प्रक्रिया

जानकारी के अनुसार, इस्माइल एंड संस कंपनी की बॉक्साइड और लैटराइट की खदान दो साल पहले खदान को चालू करने के लिए प्रक्रिया शुरू कराई गई। खदान चालू करने के लिए नगर निगम से एनओसी मिल गई, लोक सुनवाई करा ली गई। वन विभाग ने भी एनओसी दे दी और सिया से भी अनुमति हो गई। प्रदूषण विभाग ने सीटीओ जारी किया है।

50 साल की लीज पर दी गई खदान

खनिज विभाग ने बकाया जमा कराते हुए दो माह के लिए टीपी जारी कर दी हैं। अब विभागीय अधिकारियों का कहना है कि 31 अक्टूबर तक के लिए लीज बढ़ाई गई है। 50 साल के लिए लीज पर ही खदान दी गई है, जिसकी समयवधि 31 अक्टूबर को खत्म हो जाएगी। नियम के अनुसार नगर निगम सीमा क्षेत्र में खदान बीच शहर नहीं चल सकती, इसके बाद भी खनन हो रहा है, जिसका विरोध शुरु हो गया है। (MP News)

खत्म किया जा रहा खदान का अस्तित्व

शहर में पेयजल की गंभीर समस्या है। गर्मी में त्राहि-त्राहि की स्थिति बनती है। नगर निगम ‌द्वारा खदानों का सहारा लिया जाता है। ढाई करोड़ की योजना से इमलिया खदान से बैराज पानी पहुंचाया जा रहा है, इसके बाद भी शहर की तलैया व खदानें पाटी जा रही हैं। इंडियन कॉफी हाउस के पीछे गोयनका लाइम स्टोन की स्वीकृत खदान थी, 1970 में खदान खत्म हो चुकी है। अब इसे मलबा से पाटकर अस्तित्व खत्म किया जा रहा है। जबकि उच्च न्यायालय के आदेश है कि वे खदानें जो पानी के लिए उपयोग हो सकती हैं व वॉटर रिचार्ज होता है, उन स्रोतों को संरक्षित किया जाए। (MP News)

60 एकड़ में फैला है शहर का सबसे बड़ा पार्क

जानकारी के अनुसार जागृति पार्क करीब 60 एकड़ सरकारी क्षेत्रफल में है। पार्क की देखरेख कटनी पर्यावरण संधारण समिति करती है और इसके अध्यक्ष गुद कलेक्टर हैं। 10 वर्षों में पार्क से जुड़कर शहर के सैकड़ों दानदाताओं, उ‌द्योगपतियों, समाजसेवियों, पर्यावरण मित्रों ने इसे संवारा है।

शहर को साफ सांसें देने पहल की है, जिस पर अब खनन कारोबारी व अफसरों का गठजोड़ कुठाराघात कर रहा है। जागृति पार्क से सटकर ही बॉक्साइड, लेटराइट के लिए स्वीकृत क्षेत्र है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष अमित शुक्ला का कहना है कि पार्क के आसपास माइनिंग शुरु हुई इससे जागृति पार्क पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा और पूरा माधवनगर क्षेत्र प्रदूषण की चपेट में आएगा। हजारों पेड़ प्रदूषण की चपेट में आकर खत्म हो जाएंगे। (MP News)

20 साल से बंद पड़ी थी खदान

मेसर्स स्माइल एंड संस को माधवनगर में जागृति पार्क के पीछे टिकुरिया गांव में खसरा नंबर 2/9ए, 2/2, 2/3बी, 2/5, 98/5पी, और 55पी, कुल 16.87 हेक्टेयर क्षेत्र में बॉक्साइट, लेटराइट और चूना पत्थर खनिज के लिए 9/11/1995 से 31/10/2025 तक पट्टा दिया गया है। पट्टा स्वीकृत होने के बाद कुछ वर्षों तक खनन हुआ, लेकिन पर्यावरण मंजूरी नहीं मिलने के कारण करीब 20 वर्षों से खनन बंद है। एक बार फिर मेसर्स स्माइल एंड संस को यहां खनन की अनुमति मिल गई है। 28 मार्च, 2023 को पर्यावरण मंजूरी के लिए एक सार्वजनिक सुनवाई आयोजित की गई और प्रक्रिया पूरी करने के बाद रिपोर्ट बोर्ड को सौंपी गई। परियोजना क्षेत्र का विवरण देने वाले दस्तावेजों में खदान से शहर की दूरी 2.5 किमी बताई गई है, जबकि खदान शहर के मध्य में स्थित है। (MP News)

नियम के अनुसार जागृति पार्क के बाजू से बॉक्साइड व लेटराइट खदान को दो माह के लिए अनुमति मिली है। जब अनुति की प्रक्रिया चली थी, तब लोगों ने विरोध नहीं किया अब बेवजह विरोध कर रहे हैं। आइसीएच के पीछे की खदान को क्यों पाटा जा रहा है इसकी जांच कराएंगे।- रत्नेश दीक्षित, उपसंचालक खनिज