
katni river ghats contaminated water Pitru Paksha tarpan (Patrika.com)
MP News: रविवार से पितृपक्ष (Pitru Paksha) शुरु हो गया है। एक पखवाड़े तक लोग पुरखों को 'पानी' देने (Tarpan) के लिए लोग नदी घाटों पर जाते हैं। यहां पर पुरखों की याद में स्नान आदि करके तर्पण करते हैं, ताकि उनके पुरखों को मोक्ष की प्राप्ति हो, लेकिन मैली जीवनदायनी के घाटों में पुरखों को मोक्ष देना लोगों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
कटनी में कटनी नदी के घाट (Katni River Ghats) एकदम मैले हैं, हालात ऐसे हैं कि यहां के पानी से लोग आचमन तक नहीं कर सकते। यह भयंकर स्थिति कटनी नदी के गाटरघाट से लेकर नई बस्ती के आगे तक बने हुए हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि शहर के 30 फीसदी लोगों का कंठ तर करने वाली नदी का दाम यहां पर एकदम मैला है। नदी में शहर का गंदे नाले मिल रहे हैं।
अमृत प्रोजेक्ट के अंतर्गत रिवर फ्रांट योजना में मोहन घाट और मसुरहा घाट में करोड़ों की लागत से कराया गया सौंदर्याकरण बदहाल हो गया है। पहली ही बारिश में यहां नदी के किनारे हुई पिंचिंग बह गई है तो कई स्थानों पर पत्थर उखड़ गए हैं। नगरनिगम के पार्षदों सहित नगरनिगम अध्यक्ष मनीष पाठक ने भी इस निर्माणकार्य पर सवाल खड़े किए थे लेकिन अबतक कार्रवाई नहीं हुई।
उपनगरीय क्षेत्र में गायत्रीनगर के समीप स्थित बाबाघाट में सिमरौल नदी का घाट भी बदहाल है। यहां बारिश के साथ बहकर आया कचरा स्टॉप डेम की रेलिंग में फंसा हुआ है। घाट पर बनी सीढ़ियों का आलम यह है कि सीढ़ियों से उतरते ही नदी में सीधे गहराई में लोग पहुंच जाते हैं, जिसके कारण हादसा होने का खतरा बना हुआ है।
शहर के चारों नदी घाटों के हालात खराब हैं। कटनी नदी के गाटरघाट, मसुरहा घाट, मोहनघाट व गिरजाघाट के हाल बेहाल हैं। यहां पर कोई भी ऐसा घाट नहीं हैं, जो पर लोग नदी के पानी से आचमन कर सकें। मसुरहा के समीप ही नालों का पानी नदी में मिलते दिखाई दे रहा है।
Published on:
08 Sept 2025 01:20 pm
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