कटनी. देररात गहरी नींद में थे, (Indian Railways) लगभग एक बजे का समय था, तेज झटका लगा, एकदम से नींद खुली, झटका लगते ही बहुत ज्यादा डर गए, एकदम से यात्री चीखने लगे, (Ajmer-Jabalpur Dayoday Express) सभी चिल्लाने लगे क्या हो गया, लगता है ट्रेन एक्सीडेंट हो गया, सब ने कूदफांद मचा दी, (Train derailment) कुछ समय के लिए तो एसा लगा मानो जान चली जाएगी, उतरकर देखे तो पता मालूम चला कि ट्रेन सिर्फ पटरी से उतरी है, (Dayoday Express derailment) तब जाकर जान में जान आई…। यह बात ट्रेन क्रमांक 12182 अजमेर-जबलपुर दयोदय एक्सप्रेस में अजमेर से अंबिकापुर की यात्रा कर रहे यात्री गुलाम गौश ने पत्रिका से चर्चा के दौरान बताई। अजमेर से कटनी आ रहे नूर अहमद ने कहा कि रूठियाई रेलवे स्टेशन के समीप दयोदय एक्सप्रेस एकाएक हादसे का शिकार हो गई। हादसे के बाद यात्रियों में हड़कंप की स्थिति निर्मित हो गई। यह तो गनीमत रही कि ट्रेन की रफ्तार कम रही नहीं तो बड़ा हादसा होता। गुलाम गौश ने बताया कि अजमेर-जबलपुर दयोदय एक्सप्रेस मंगलवार अजमेर से 3 बजकर 25 मिनट पर रवाना हुई। 12.50 गुना स्टेशन पहुंची। इसके बाद वह बीना के लिए रवाना हुई। जैसे ही ट्रेन रुठियाई जंक्शन के पास पहुंची एकाएक ट्रेन पटरी से उतर गई। एक शयनयान श्रेणी एस-11 व दो सामान्य श्रेणी की बोगी पटरी से उतर गईं।
तीन घंटे हुए परेशान
अजमेर से सिंगरौली जा रहे जान मोहम्मद ने बताया कि ट्रेन में लेटे थे। जैसे ही तेज झटका लगा तो निकलकर बाहर अए। देखे तो ट्रेन हादसे का शिकार हो गई थी। यदि स्टेशन सामने न होता और ट्रेन धीमी न होती तो बड़ा हादसा होता। यह तो ऊपर वाले का करम था कि सभी यात्री सुरक्षित बच गए। जान मोहम्मद ने कहा कि हादसे के बाद लोको पायलट द्वारा तत्काल रुठियाई रेलवे स्टेशन, रेलवे अधिकारियों को घटना की जानकारी दी। सूचना मिलते ही रेल अधिकारी मौके पर पहुंचे। कोटा मंडल से एमएफडी पहुंची रेलवे के बचाव दल ने ऑपरेशन शुरू किया और लगभग 3 घंटे की मशक्कत के बाद दयोदय एक्सप्रेस को पटरी पर लाया गया। यात्रियों को तीनों बोगियों से उतारकर दूसरी बोगियों में बैठाकर के ट्रेन को कटनी के लिए रवाना किया गया। यात्री तीन घंटे तक रठियाई में परेशान हुए।
जल्दी पहुंचा था जबलपुर, लेट हो गई ट्रेन
इत्रलोक धाकड़ कोटा से जबलपुर जा रहे थे। उन्होंने कहा कि जबलपुर से दिल्ली जाना था। रास्ते में अचानक हादसा हो गया। बड़ी जानहानि बच गई। मनोज कुमार ने कहा कि सुबह जबलपुर जल्दी पहुंचना था। एसी कोच में होने के कारण ज्यादा अहसास नहीं हुआ, लेकिन साथी यात्रियों ने बताया कि ट्रेन हादसे का शिकार हो गई। अजमेर से कटनी की यात्रा कर रहे हरकेश ने बताया कि जैसे ही तेज आवाज और झटके के साथ ट्रेन पटरी से उतरी वैसे ही यात्रियों में अफरा-तफरी का माहौल निर्मित हो गया। रात के अंधेरे में ही यात्रियों ने ट्रेन से कूदफांद मचाई। जब उन्हें मालूम चला कि सिर्फ ट्रेन पटरी से उतरी है तब जाकर राहत की सांस ली।
5 घंटे 20 मिनट देरी से पहुंची ट्रेन
कोटा से कटनी आ रहे संजय कुमार जायसवाल ने कहा कि हादसे के कारण दयोदय एक्सप्रेस 5 घंटा 20 मिनट की देरी से पहुंची। ईश्वर ने यात्रियों की बड़ी सुरक्षा की। यात्रियों ने लगातार हो रहे हादसों से रेलवे की सुरक्षा और संरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। कहा है कि रेलवे अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
Railway News: इस वजह से चलते-चलते पटरी से उतरा इंजन, मच गया हड़कंप, देखें वीडियो
दो माह में सामने आए सात बड़े हादसे
– दो अक्टूबर को कटनी-जबलपुर रेल खंड पर खंभा नंबर 1069/12 से 1069/14 के बीच में ट्रैक फैक्चर रहा, इसमें जबलपुर-अंबिका इंटरसिटी एक्सप्रेस टूटी हुई पटरी से गुजर गई, वहीं मुंबई-हावड़ा टूटी पटरी से निकल गई। यह तो गनीमत रही कि समय रहते पता चल गया और बड़ा हादसा टल गया।
– 10 अक्टूबर को कटनी-जबलपुर रेल खंड पर स्लीमनाबाद से संसारपुर स्टेशन के बीच ट्रेन क्रमांक 12181 जबलपुर-अजमेर दयोदय एक्सप्रेस हादसे का शिकार हो गई, नए इंजन का कचलर उखड़ गया और ट्रेन दो हिस्सों में बंट गई, यात्रियों में अफरा-तफरी मची, तीन घंटे ट्रैक बाधित रहा और बड़ी लापरवाही सामने आई।
– 14 अक्टूबर को कटनी-सिंगरौली रेलखंड पर खन्नाबंजारी (बरही) रेलवे स्टेशन की साइडिंग पर सिंगरौली की ओर से आ रहा मालगाड़ी का इंजन ट्रैक पर कांक्रीट जमा होने के कारण पटरी से उतर गया, दो घंटे तक बचाव कार्य चला, इंजन की स्पीड कम थी, जिसकी वजह से हादसा टला, लेकिन बड़ी बेपरवाही सामने आई।
– एक सितंबर को मुख्य रेलवे स्टेशन से चंद कदम बी केबन के समीप ट्रेन क्रमांक 12150 दानापुर-पुणे एक्सप्रेस कटनी आ रही थी, खिरहनी ओवर ब्रिज के नीचे बी-केबन के पास पहुंची, एकाएक ट्रेन के इंजन में आग भड़क गई, ट्रेन में धुआं उठने लगा और पॉवर ने काम करना बंद कर दिया, तत्काल पायलट ने ब्रक लगाया और यात्रियों में दहशत का मौल निर्मित हो गया।
– 17 अगस्त को कटनी-बीना रेलखंड पर बकलेहटा स्टेशन के समीप खंभा नंबर 1197/27 में ट्रैक फैक्चर सामने आए, कई ट्रेनें टूटे ट्रैक से पार हो गईं, दो युवाओं ने टूटे ट्रैक को देखा और स्टेशन मास्टर को सूचना दी, काफी मशक्कत के बाद उसे ठीक किया गया, यह तो गनीमत थी कि कोई ट्रेन हादसे का शिकार नहीं हुई और बड़ा हादसा टल गया।
– 27 अगस्त को कटनी सिंगरौली रेलखंड पर सिंगरौली रेलवे स्टेशन की लाइन नंबर 6 में डिरेलमेंट हो गया। मालगाड़ी के डिब्बे पटरी से उतर गए। इससे यातायात प्रभावित रहा। यह तो गनीमत रही की रफ्तार कम होने के कारण बड़ा हादसा टल गया।
– 15 सितंबर को एपीसीएल गुड्स ट्रेन डिपार्चर हुई, यह ट्रेन बिलासपुर की ओर से बीना की तरफ जा रही थी, जब यह मालगाड़ी कटनी मुड़वारा और मझगवां फाटक के बीच थी, तभी अचानक मालगाड़ी कपलिंग टूट जाने से दो भागों में बंट गई। लगभग 20 डिब्बों के साथ इंजिन 200 मीटर आगे तक बढ़ गया, जबकि शेष डिब्बे पीछे रह गए, इससे दो घंटे तक ट्रैक प्रभावित रहा।
एक्सपर्ट व्यू:
रेलवे के तकनीकी विभाग से सेवानिवृत्त हुए सीताशरण का कहना है कि हादसों की मुख्य वजह रेलवे का निजीकरण हैं। ट्रैक बदलने, स्लीपर बदलने का काम अब रेलवे कर्मचारी नहीं कर रहे। रेलवे ट्रैक नवीनीकरण सहित अन्य काम ठेकेदारों के हाथ में है। खलासी मैकेनिक का काम कर रहे हैं। रेलवे कर्मचारी सिर्फ मुकद्दमी कर रहे हैं। अफसरों के फुटप्लेट में माइलेज की भूमिका निभाते हैं। वहीं वर्क लोड अधिक होने, जिम्मेदारी का ठीक से निर्वहन न करने, गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिए जाने के कारण हादसे हो रहे हैं।
इनका कहना है
हादसों को लेकर हम सभी चिंतित हैं। इस पर गहन अध्ययन भी चल रहा है। दयोदय एक्सप्रेस का डिरेलमेंट भोपाल मंडल में हुआ है। मामले की जांच शुरू हो गई है। फिर भी यात्रियों की सुरक्षा को लेकर गहन अध्ययन किया जा रहा है। हादसे क्यों हो रहे हैं इन पर रोक लगाने के लिए भी रणनीति बनाई जा रही है। इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति ना हो इसको लेकर सभी अधिकारी कर्मचारियों को विशेष दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
डॉ. मनोज सिंह, डीआरएम।